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डेढ़ लाख के फोन में अगर ये डेढ़ सौ वाला प्रोडक्ट लगाया तो... एप्पल और एंड्रॉयड दोनों मना कर रहे

Apple और Android मेकर्स अपने यूजर्स को चेता रहे हैं. स्मार्टफोन से जुड़ी कुछ एक्सेसरीज इस्तेमाल नहीं करने की बात कह रहे. आसान भाषा में कहें तो डेढ़ लाख का फोन खरीदकर डेढ़ सौ रुपये वाली एक्सेसरीज नहीं लगाने को बोल रहे. ऐसा नहीं किया तो लंबा नुकसान तय है.

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ये वाली एक्सेसरीज कहीं बड़ा नुकसान नहीं करवा दे

एक तरफ है iPhone और दूसरी तरफ है Android. दो अलग-अलग प्लेटफॉर्म हैं. दोनों के यूजर्स आपस में लड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते. दोनों ही प्लेटफॉर्म के स्मार्टफोन्स बनाने वाली कंपनियां भी कोई कम नहीं. मतलब, एप्पल अच्छा या एंड्रॉयड. अनंत काल से चलती आ रही बहस जो फ्यूचर में भी खत्म नहीं होने वाली. कहने का मतलब अपनी ढपली अपना राग वाला मामला. ऐसे में अगर दोनों प्लेटफॉर्म मिलकर एक ही बात कहें तो अजीब लगना स्वाभाविक है. इतना ही नहीं, अगर बात यूजर के फायदे की हो तो फिर एक बारगी विश्वास करना ही कठिन होगा. लेकिन,

ऐसा हुआ है क्योंकि एप्पल और एंड्रॉयड मेकर्स अपने यूजर्स को चेता रहे हैं. स्मार्टफोन्स से जुड़ीं कुछ एक्सेसरीज इस्तेमाल नहीं करने की बात कह रहे हैं. आसान भाषा में कहें तो डेढ़ लाख का फोन खरीदकर डेढ़ सौ रुपये वाली एक्सेसरीज नहीं लगाने को बोल रहे हैं. ऐसा नहीं किया तो लंबा नुकसान तय है. अगर इतना पढ़कर आपको लगता है कि फिर क्या महंगी एक्सेसरीज लेने की बात कर रहे हैं? नहीं जनाब, वो भी नहीं. वो आपकी मर्जी. बस कंपनियां क्या कह रहीं वो जान लीजिए.

डेढ़ सौ वाला बैक कवर कुछ कवर नहीं करता!

इसको लेकर चेताया है एप्पल ने, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इसका एंड्रॉयड से कोई वास्ता नहीं. दरअसल एप्पल ने आईफोन यूजर्स को सस्ते और बेकार क्वालिटी वाले मैगसेफ कवर का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है. यहां बात मैगसेफ़ वाले कवर की हो रही है. माने वो कवर जिसमें अंदर की तरफ चुंबक लगी होती है और वो एप्पल की मैगसेफ़ तकनीक को सपोर्ट करती है. कंपनी ने आईफोन 12 के साथ इस तकनीक को लॉन्च किया था. ये एक मैगनेट बेस्ड सिस्टम है जिसकी मदद से बिना वायर के चार्जिंग की जा सकती है और साथ में कई दूसरे प्रोडक्ट मसलन वालेट को इससे जोड़ा जा सकता है. ऐसे में अगर किसी सस्ते कवर को फोन में लगाया गया तो मुमकिन है कि उसकी चुंबक असल मैगनेट का काम खराब कर दे. इसकी वजह से जो वाइब्रेशन होगा उसका असर आईफोन की कैमरा असेंबली पर भी पड़ सकता है.

असली मैगसेफ़ कवर (तस्वीर साभार: एप्पल) 

सस्ते कवर के कवर में एंड्रॉयड भी आता है क्योंकि मार्केट में एंड्रॉयड फोन्स के लिए भी ऐसी एक्सेसरीज उपलब्ध हैं. इनका एक हिस्सा फोन में और दूसरा कवर में चिपका होता है. सोचिए अगर तकनीक बनाने वाली कंपनी इनके लिए मना करती है तो जिस फोन में वो सपोर्ट ही नहीं करता. वहां कितना बड़ा असर पड़ सकता है.

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इसलिए ऐसे सस्ते कवर से दूर रहिए. इसका मतलब ये भी नहीं कि भयंकर महंगा कवर लगाना है. नहीं जनाब, बस एक्सेसरीज बनाने वाली किसी भी अच्छी कंपनी का कवर ठीक रहेगा. डेढ़ लाख के फोन के लिए 1500 तो खर्च करना बनता है ना.

स्क्रीन गार्ड कोई सुरक्षा नहीं देने वाला

इस मामले पर दोनों स्मार्टफोन मेकर्स सहमत हैं. बात हो रही है अल्ट्रा वायलेट (UV) रे वाले स्क्रीन गार्ड की. मार्केट में ये खूब नजर आते हैं. जहां आम स्क्रीन गार्ड लाइट ग्लू या जेल बेस होते हैं तो इनमें UV लाइट जैसा कुछ होता है. ये पदार्थ जबर तरीके से स्क्रीन पर चिपक जाता है और फिर उस स्क्रीन गार्ड को निकालना तकरीबन असंभव होता है. अगर जोर-जबरदस्ती से निकाला तो डिस्प्ले का खराब होना तय है. फोन आपका आईफोन है या एंड्रॉयड. ऐसे स्क्रीन गार्ड से बचें. बेहतर होगा जिस जगह से फोन लिया वहीं से कोई प्रोटेक्शन फिल्म लगवा लीजिए. अगर ऑनलाइन खरीद रहे हैं तो Hydro Gel वाले स्क्रीन गार्ड अच्छा विकल्प होते हैं. आसानी से लगते हैं और उतनी ही आसानी से निकल भी जाते हैं.

अब स्मार्टफोन कोई रोज-रोज बदलने वाली चीज तो है नहीं. बजट फोन भी दो साल वाले कार्यक्रम से आता है. फ्लैगशिप डिवाइस मतलब 4-5 साल का प्रबंध. ऐसे में उनके लिए अच्छी क्वालिटी वाली एक्सेसरीज लेना बनता है.    

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