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ऐप्पल चलाने वालों के लिए इससे बड़ी खुशखबरी नहीं आई होगी!

एंड्रॉयड से लेकर माइक्रोसॉफ्ट जैसे दूसरे प्लेटफॉर्म पहले से ही टाइप -सी चार्जर दे रहे.

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ऐप्पल का कहना है कि ये इनोवेशन के ख़िलाफ़ है. (फोटो - Unsplash)

हज़रात! हज़रात! हज़रात! बहुत महंगी कंपनी ऐप्पल(apple) को बहुत हैवी झटका. अब चलेगा केवल एक चार्जर. हर डिवाइस के लिए होगा सी-टाइप चार्जर. फोन, टैब, लैपटॉप, स्मार्टवॉच… सबका चार्जर एक. एक केबल, एक चार्जर. हज़रात! हज़रात! हज़रात!

सारी डिवाइस का USB-C चार्जर

अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक़, यूरोपीय संघ ने ये आदेश पारित किया है कि ऐप्पल जैसी बड़ी कंपनियों को अपनी हर डिवाइस के साथ सी-टाइप चार्जर देना पड़ेगा. ऐप्पल अपने iPad, Macbook और स्मार्टवॉच के साथ तो सी-टाइप चार्जर ही देता है. लेकिन iPhone के साथ अभी भी लाइटनिंग केबल आती है. इस आदेश के बाद ऐप्पल को iPhone के साथ भी सी-टाइप चार्जर देना पड़ेगा.

(USB-C ज़रूरी है या मजबूरी? यहां क्लिक कर पढ़ लीजिए)

ये प्रस्ताव पहली बार यूरोपीय आयोग ने दिया था. 2021 में. मक़सद, पर्यावरणीय कचरे में कटौती करना और यूज़र्स के पैसे बचाना. कितने पैसे? एक साल में अंदाज़न 250 मिलियन पाउंड. यानी क़रीब 2,000 करोड़ रुपये. ये सिर्फ यूरोपियन यूनियन के देशों का आंकड़ा है. दुनियाभर का गणित आप खुद ही जोड़ लीजिए.

मसला जून 2022 में ही तय हो गया था. ख़बर आ गई थी. इस मसले पर यूरोपियन यूनियन के 27 देशों के कुल 602 लॉ-मेकर्स ने वोट किया. केवल 13 फ़ैसले के ख़िलाफ़ थे और आठ ने वोट नहीं दिया. ये नियम 2023 के शुरुआत से लिखित क़ानून बन जाएगा. और, 2024 के अंत तक यूरोपियन यूनियन के सभी देशों लाइटनिंग चार्जर ख़त्म हो जाएगा. क़यास ये भी हैं कि भारत में भी कुछ दिनों में ऐसा किया जा सकता है.

इस ख़बर से सबसे ज़्यादा उखड़ा हुआ है ऐप्पल क्योंकि ज़्यादातर ऐंड्रॉइड फोन में सी-टाइप चार्जर का ही चलन है. ऐप्पल का कहना है कि ये फ़ैसला इनोवेशन के ख़िलाफ़ है. हालांकि, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कंपनी अभी कुछ मॉडल्स का परीक्षण कर रही है, जो अपने USB-C कनेक्टर के साथ ही चलेंगे.

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