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वर्क फ्रॉम होम में कामचोरी पकड़ने की ये 'टेकनीक' देख मक्कारी करने में हाथ कांपेंगे!

कई लोगों की नौकरी तक चली गई है. हल्के में ना लेना...

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वर्क फ्रॉम में कामचोरी भारी पड़ेगी

अगर आप वर्क फ्रॉम होम (WFH) में काम करते हैं, मगर काम नहीं करते हैं तो ये खबर आपके लिए है. कहने का मतलब अगर आप भी वर्क फ्रॉम होम में ये मानकर मौज काट रहे कि कोई देख नहीं रहा तो आप मुगालते में हैं. कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम में आपकी हर एक्टिविटी को धरने का इंतजाम कर लिया है. इस चक्कर में एक महिला की नौकरी भी चली गई है. माउस के क्लिक से लेकर कीबोर्ड की खटपट तक सब रिकॉर्ड हो रहा है. इधर आपने झोल किया उधर कंपनी ने आपको ऑफ रोल किया. मतलब रिमोट वर्किंग का रिमोट आपके पास नहीं बल्कि आपकी कंपनी के पास है. क्या है पूरा मामला, हमसे जान लीजिए.

रिमोट वर्किंग का मतलब मौज नहीं है

कोरोना के बाद तो वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्किंग का दौर खूब चलन में हैं. कई सारी कंपनियों ने तो अपने आपको पूरी तरह इस सिस्टम पर शिफ्ट कर लिया है. लेकिन रिजल्ट शायद उम्मीद के मुताबिक नहीं आ रहे. इसलिए माइक्रोसॉफ्ट से लेकर एमेजॉन जैसी बड़ी कंपनियों ने बाकायदा अपने कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए धमकी तक दे डाली है.

जो अभी भी रिमोट वर्किंग वाले मॉडल पर हैं उन्होंने भी अपने कर्मचारियों पर कड़ी निगाह रखना स्टार्ट कर दिया है. सॉफ्टवेयर से लेकर कैमरे तक से नजर रखी जा रही है. जिस तकनीक की मदद से लोगों ने कंपनियों को बेवकूफ बनाने का सोचा था, उसी तकनीक का इस्तेमाल कंपनियां अब नजर रखने के लिए कर रही हैं. बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक इसी निगरानी की वजह से ऑस्ट्रेलिया में एक महिला कर्मचारी को अपनी कंसल्टेंट की नौकरी से हाथ धोना पड़ा.

दरअसल महिला की कंपनी ने उनके सिस्टम पर keystroke मॉनीटर करने वाला सॉफ्टवेयर लगाया हुआ था. ये सॉफ्टवेयर इस बात की गिनती करता है कि दिन भर में आपने कीबोर्ड को कितने बार पीटा. मतलब कितनी देर तक टाइपिंग की. मोहतरमा को हर घंटे 500 बार कीबोर्ड पर खटपट करना थी, लेकिन वो सिर्फ 100 दफा ही ऐसा कर रही थीं. नतीजा... हो गया टाटा.

एक और दिलचस्प किस्सा. Michael Patron नाम के यूजर ने एक्स पर पोस्ट करके बताया कि उन्होंने अपने दो कर्मचारियों को फायर कर दिया क्योंकि वो माउस मूविंग तकनीक का इस्तेमाल करके उनको गोली दे रहे थे. आपकी जानकारी के लिए (सिर्फ जानकारी के लिए) बता दें कि कुछ सॉफ्टवेयर की मदद से माउस को एक सेट टाइम के बाद हिलाया जा सकता है. ऐसा करने से लगता है जैसे स्क्रीन ऑन है. काम चल रिया है. लेकिन कहते हैं ना सेर को सवा सेर मिल ही जाता है. 

Michael भैया ने सिस्टम में Time Doctor नाम से सॉफ्टवेयर लगाया हुआ था जो डिवाइस की असल गतिविधि रिकॉर्ड करके कंपनी को भेज रहा था. उनके मुताबिक जब उन्होंने नोटिस किया कि कर्मचारी घंटों तक जवाब नहीं दे रहा था तब उन्होंने उसकी एक्टविटी को मॉनीटर करना चालू किया. पता चला एक नहीं बल्कि दो कर्मचारी अलसाये पड़े हुए थे. हालांकि इसके पहले भी साल की शुरुआत में ऐसा ही एक और कांड हुआ था, जहां एक और महिला कामचोरी करते पकड़ी गई थी. 

तो भैया कथा का सार ये है कि वर्क फ्रॉम होम काम करने के लिए है. मौज काटने के लिए नहीं. जब तक दाल में नमक मिल रहा तब तक ठीक, लेकिन जैसे ही नमक में दाल मिलेगी तो वो गलने से रही.        

 

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