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सरकारी इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम काम कैसे करेगा? US में 'जॉम्बी वायरस' से हड़कंप मचा था

Emergency alert सिस्टम आपदा में बहुत काम आ सकता है. वजह मोबाइल की पहुंच. मतलब टीवी से लेकर रेडियो पर और लोकल लेवल पर सरकारी कर्मचारी ऐसे अलर्ट जारी करते हैं. लेकिन क्या साइबर हैकिंग इस सिस्टम की एक चुनौती बन सकता है?

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इमरजेंसी अलर्ट क्यों जरूरी (तस्वीर: पिक्सेल)

जो एक बार होता है, वो दोबारा नहीं होता और जो दोबारा होता है वो तीसरी बार जरूर होता है. और जो तीसरी बार होता है वो बार-बार होता है. अब जो पहली लाइन है वो ब्राजील के उपन्यासकार Paulo Coelho की बेस्ट सेलर किताब ‘The Alchemist’ का कोट है. और दूसरी लाइन खाकसार ने बना ली है. मजा देखिए स्टोरी पर एकदम फिट बैठ भी रही है. स्टोरी फोन पर आ रहे इमरजेंसी अलर्ट (Emergency alert on smartphone) की. दो महीने पहले 20 जुलाई को पहला अलर्ट आया. फिर दूसरा अलर्ट 17 अगस्त को मोबाइल स्क्रीन पर चमका. और गुजरे शुक्रवार को तीसरा अलर्ट आया. ये तो टेस्ट थे, मगर ऐसे अलर्ट भविष्य में भी आते रहेंगे.

20 जुलाई और 17 अगस्त को बहुत कम यूजर्स के मोबाइल पर अलर्ट पहुंचा था. लेकिन 15 सितंबर को कई लोगों के फोन टन-टना गए. कई जगह लोगों के पूरे ग्रुप में ऐसा हुआ. एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर मैसेज आए और साथ में सायरन भी बजा. भारत सरकार ने NDRF के साथ ये सिस्टम डेवलप किया है जो आपदा के दौरान समय रहते अलर्ट भेजने में मदद करेगा. इस खबर को आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

लेकिन एक मौजूं सवाल. आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी और इसकी शुरुवात कहां से हुई? एंड्रॉयड स्मार्टफोन चीख रहे तो iPhone क्यों शांत हैं? हम बताते हैं.

11 साल पहले हुई शुरुआत

अमेरिका में साल 2012 में मोबाइल पर इमरजेंसी अलर्ट भेजने का सिस्टम लॉन्च हुआ था. आज की तारीख में दुनिया के कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं विशेषकर जहां प्राकृतिक आपदाएं, जैसे भूकंप, सुनामी, साइक्लोन बहुत ज्यादा आते हैं. अलर्ट का मुख्य उद्देश्य लोगों की सुरक्षा को बढ़ाना और समय रहते लोगों को आपातकालीन अलर्ट भेजना है. बात करें भारत की तो ग्लोबल रिस्क इंडेक्स 2022 में प्राकृतिक आपदा के लिहाज से भारत को दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा खतरे वाला देश बताया गया है. इस रिपोर्ट में फिलीपींस पहले स्थान पर है. 

ऐसे में मोबाइल अलर्ट सिस्टम बहुत काम आ सकता है. वजह, मोबाइल की पहुंच. मतलब टीवी से लेकर रेडियो पर और लोकल लेवल पर सरकारी कर्मचारी ऐसे अलर्ट जारी करते हैं. मगर उनकी पहुंच उतनी व्यापक नहीं हो पाती है. हाल फिलहाल के लिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही भाषा में मोबाइल पर ये मैसेज भेजे जाते हैं और साथ में सायरन भी बजता है. सायरन बजने के लिए पूरी व्ययवस्था आपके फोन में होती है. फोन भले एंड्रॉयड हो या आईफोन या फिर बेसिक फीचर फोन, सेटिंग्स में ऑप्शन होता ही है.

इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का ऑप्शन फोन में होगा ही. भले वो ऑफ हो या ऑन हो. अगर आप एंड्रॉयड यूजर हैं तो सेटिंग का रुख कीजिए.

# यहां Safety & Emergency का ऑप्शन मिलेगा. 

# यहां वायरलेस इमरजेंसी अलर्ट का ऑप्शन मिलता है.

# यहां अलर्ट से जुड़े कई तरीके के ऑप्शन मिलते हैं जैसे टेस्ट, वाइब्रेशन आदि.

# वैसे इसको ऑफ किया जा सकता है मगर हमारी आपसे गुजारिश होगी कि ऑफ नहीं करें बल्कि सारे ऑप्शन इनेबल कर दें.

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एंड्रॉयड

अब बात iPhone यूजर्स की

# जनरल में सेटिंग्स का रुख कीजिए.

# यहां नोटिफिकेशन पैनल के अंदर ‘Government अलर्ट’ का ऑप्शन मिल जाता है.

# इमरजेंसी अलर्ट, पब्लिक सेफ़्टी अलर्ट जैसे ऑप्शन मिलते हैं.

# आप भी पहली फुरसत में इसको इनेबल कर लीजिए.

अगर आपको लग रहा है कि आईफोन में अलर्ट क्यों नहीं आ रहे तो ये बस एक तकनीकी लेवल है. अब ये बात कोई छिपी हुई तो है नहीं कि Apple अपने सिस्टम में कुछ भी बाहर से इनेबल करने में थोड़ा टाइम लेता है. कुछ सालों पहले भी स्पैम मैसेज के साथ ऐसा हुआ था. लेकिन फिर वो फ़िल्टर भी इनेबल हुआ. ये भी जल्द हो जाएगा. बस आप ऑप्शन इनेबल रखें. अगले कुछ महीनों में आपके फोन भी चीखने वाले हैं.

क्यों जरूरत है और कैसे काम करता है ये तो जान लिया. अब शायद दिमाग में ख्याल आएगा कि इससे सरकार आपकी लोकेशन ट्रैक करेगी. प्राइवेसी  में दखल देगी. अलर्ट के पैसे लेगी क्या. तो जनाब ऐसा कुछ भी नहीं है. सरकार ऐसे किसी अलर्ट का कोई पैसा नहीं लेगी. दुनिया में कोई सरकार नहीं लेती है. रही बात लोकेशन की तो अलर्ट आपके दरवाजे पर घंटी बजाकर नहीं आने वाला. अलर्ट एक बड़े एरिया के लिए जारी होता है. मसलन शहर या राज्य. तो लोकेशन आपका शहर या आपका एरिया होगा. आपका फोन नहीं.

कम से कम इस मामले में तो नहीं.

सब मौजा ही मौजा नहीं है

इतना पढ़कर आपको लगेगा भई वाह. मौज आ गई. लेकिन थोड़ा ठहरिए जनाब. नामुराद साइबर हैकर्स इमरजेंसी अलर्ट में भी घुसने का मौका नहीं छोड़ते. फरवरी 2013 में अमेरिका में एक ऐसा वाकया हुआ. अमेरिका के मोंटाना और मिशिगन जैसे शहरों में इमरजेंसी मैसेज भेजकर बताया गया कि जॉम्बी वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों के शव कब्र से निकलकर जिंदा लोगों पर हमला कर रहे हैं. अलर्ट के रूप में आई इस फेक न्यूज से बिला वजह में लोगों में डर फैला. हालांकि सरकार ने समय रहते इस पर काबू पा लिया था. कहने का मतलब अगर आपको भी कभी कोई इमरजेंसी अलर्ट आए तो जरा मैसेज को ढंग से पढ़ लें और सारी सावधानी रखते हुए अपने आप को सुरक्षित रखें.

वीडियो: आईफोन 15 को टक्कर दे रहे हैं ये टॉप 5 एंड्रॉयड स्मार्टफोन