टेस्ला और स्पेसएक्स प्रमुख एलन मस्क (Elon Musk) भारत में स्टारलिंक लाने को लेकर बेहद तत्पर हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान मस्क ने पीएम मोदी के साथ हुई मीटिंग में इसके बारे में बताया. दनिया के सबसे अमीर शख्स की कंपनी स्पेसएक्स ने भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस देने के लिए काफी समय से प्रयास का रही है. बताते चलें कि भारत में इस किस्म की सर्विस के लिए ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस लेना जरूरी होता है. इसे डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) जारी करता है. अब आपके मन में सवाल होगा कि जब हमारे देश में इंटरनेट की उपलब्धता चारों तरफ है, तो मस्क इंडिया में इसको क्यों लाना चाहते हैं? क्या मस्क का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड दूसरे सर्विस जैसा है या फिर अलग है? इस आर्टिकल में यही जानने की कोशिश करेंगे.
PM मोदी से मिलने के बाद एलन मस्क इंडिया के लिए बड़ी प्लानिंग कर रहे, हंगामा होने वाला है?
एलन मस्क जो करना चाहते हैं, उसके लिए कई स्तर पर मंजूरी की जरूरत है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने भारत में लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ है. हालांकि, मस्क की स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली कोई पहली कंपनी नहीं है. जियो स्पेस टेक्नोलॉजी और एयरटेल वनवेब भी इसके लिए आवेदन कर चुके हैं. एक बात और, स्टारलिंक ने इसके पहले भी भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की कोशिश की थी. कंपनी ने बाकायदा 2021 में इसके लिए प्री-बुकिंग लेना शुरू कर दिया था. लेकिन नवंबर 2021 में DoT ने ये कहते हुए स्टारलिंक को भारत में काम करने से मना किया कि अभी उनको सभी आवश्यक लाइसेंस लेने होंगे. इसके बाद कंपनी ने यूजर्स को पैसा वापस कर दिया था.
कैसे काम करता है स्टारलिंक?स्टारलिंक किट, जिसमें होता है एक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड. खुले आसमान या छत के नीचे रखकर इसको एंड्रॉयड और iOS ऐप के जरिए मॉनिटर किया जाता है. लो ऑर्बिट मतलब धरती से 550 किलोमीटर ऊपर उड़ते करीब 2,700 से ज्यादा सैटेलाइट के जरिए इनको सिग्नल मिलता है. कंपनी के मुताबिक, उसने अभी तक 3,451 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं और भविष्य में 12,000 सैटेलाइट लॉन्च करने वाली है. कंपनी दावा करती है कि सैटेलाइट नेटवर्क से यूजर्स देश के किसी भी कोने में हाई-स्पीड और लो-लेटेंसी इंटरनेट हासिल कर सकते हैं . कंपनी 150 MB/Second स्पीड का भी दावा करती है.
स्टारलिंक की सबसे बड़ी ताकत इसका लो ऑर्बिट में होना है. सामान्य तौर पर ऐसे सैटेलाइट धरती से 36,000 किलोमीटर दूर स्थित होते हैं और इनकी लेटेंसी 600 मिनट्स से अधिक होती है. दूसरी तरफ स्टारलिंक में ये सिर्फ 20 मिली/सेकंड के आस-पास होती है. आपको लगेगा ये लेटेंसी क्या बला है? तो लेटेंसी से मतलब वो समय जो डेटा को एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचने में लगता है. स्टारलिंक अपनी इसी तकनीक का उपयोग करके युद्धग्रस्त यूक्रेन में इंटरनेट दे रहा है.
क्या वाकई में स्टार्ट हो जाएगा इंडिया में?मुश्किल है डगर पनघट की, क्योंकि भारत में सैटेलाइट बेस्ड बॉडबैंड सर्विस के लिए और भी कई सारे लाइसेंस और अप्रूवल चाहिए होते हैं. मसलन इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथोराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) का अप्रूवल और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस से सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम भी लेना होगा. ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब तक ये सर्विस चालू हो पाएगी.
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