आम आदमी के लिए कोर्ट कचहरी फिल्मों तक ही अच्छी होती है. असल जीवन में जब भी उसका सामना कोर्ट से होता है तो वो सहज नहीं होता. इसके साथ लंबी कानूनी प्रक्रिया, कागजी कार्यवाही, वकील की फीस और ‘तारीख पे तारीख’ वाला दर्द तो है ही. दिक्कत तब और बढ़ जाती है, जब मामला किसी बेकार सर्विस या खराब प्रोडक्ट से जुड़ा हो. मतलब, एक यूजर के तौर पर पहले घटिया सर्विस मिली, फिर उसके मुआवजे के लिए कोर्ट के चक्कर लगाओ. मगर अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि e-Daakhil पोर्टल पूरे भारत में स्टार्ट हो गया है.
होटल से आया घटिया खाना या वेबसाइट ने भेजा खराब सामान, ये पोर्टल घर बैठे मुआवजा दिलाएगा!
e-Daakhil पोर्टल की मदद से आप घर बैठे अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. कस्टमर सर्विस से जुड़ीं शिकायतों को ऑनलाइन जरिए से दर्ज कराने के लिए एनआईसी (NIC) की तरफ से एक पोर्टल विकसित किया गया है. पूरी प्रोसेस हम बता देते हैं.

e-Daakhill पोर्टल की मदद से आप घर बैठे अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. कस्टमर्स अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकें, इसके लिए ये पोर्टल NIC ने विकसित किया है. चलिए, फिर दाखिला लेते हैं. मतलब, पूरी प्रोसेस समझ लेते हैं.
e-Daakhil पोर्टलये पोर्टल साल 2020 में ही लॉन्च हो गया था. 8 सितंबर 2020 को सबसे पहले लागू करने वाला पहला राज्य दिल्ली था. मगर नवंबर 2024 से पोर्टल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हो गया है. 'edaakhil.nic.in पर आप खुद केस फ़ाइल कर सकते हैं. मतलब, अगर कोई होटल या रेस्टोरेंट मालिक जबरदस्ती सर्विस चार्ज वसूलता है या फिर कोई ई-कॉमर्स पोर्टल गलत सामान भेजता है, तो आप इस पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. होटल से बेकार और बासी खाना आया या फिर वारंटी में रहते किसी प्रोडक्ट पर कंपनी ने सर्विस देने में आनाकानी की तो भी इसी पोर्टल पर समाधान मिलेगा.

20 जुलाई, 2020 से प्रभावी हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत बने इस पोर्टल पर डिजिटल माध्यम के जरिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं. मसलन, ई-नोटिस, मामले से जुड़े दस्तावेजों को डाउनलोड करने के लिए लिंक, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के लिए वीडियो लिंक, दूसरे पक्ष को लिखित जवाब दाखिल करने की सुविधा और एसएमएस/ई-मेल अलर्ट की सुविधा आदि शामिल है.
पोर्टल पर लॉगिन करने के लिए आपको ईमेल और मोबाइल नंबर की जरूरत होगी. आपके मोबाइल नंबर पर एक OTP आएगा. इसके बाद आप शिकायत से जुड़ी सारी जानकारी भर सकते हैं. इतना ही नहीं, शिकायत से जुड़े सपोर्टिंग दस्तावेज अपलोड करने का भी प्रबंध है. पोर्टल का यूज आम यूजर के साथ वकील भी कर सकते हैं. पोर्टल का एप्लिकेशन गूगल प्ले और ऐप स्टोर पर भी उपलब्ध है.

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पता है,पता है, आप कहोगे भईया ये सब तो ठीक है मगर फीस कितनी है? मुफ़्त-मुफ़्त-मुफ़्त. अगर मामला 5 लाख रुपये तक की सर्विस या बेकार प्रोडक्ट से जुड़ा है, तो कोई फीस नहीं है. तो अगली बार अगर कोई दिक्कत हो तो दुकान वाले से झगड़ा नहीं करें बल्कि उसको e-Daakhil में दाखिला दिलवा दें.
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