आजकल कारों में एक डैशकैम (Car dash cams) बहुत कॉमन हो गया है. हालांकि इसकी लोकप्रियता के पीछू सबसे बड़ा हाथ ट्रैवल ब्लॉगर्स का है वरना डैशकैम कोई नई चीज नहीं है. खैर किसी ने भी इनको लोकप्रिय बनाया हो, इसमें दो राय नहीं कि बिला-शक कमाल का प्रोडक्ट है. अगर इसे हर कार में लगाना अनिवार्य भी कर दिया जाए तो कोई बुराई नहीं. कार चलाने वाले की सेफ्टी तो होती ही है साथ में सड़क पर चल रहे लोगों का भी भला हो जाता है. एक्सीडेंट से लेकर इंश्योरेंस क्लेम करने में मदद मिलती है. लेकिन क्या इसको बस ऐसे ही लगा लेना चाहिए.
कार में डैशकैम लगवाने जा रहे, ये जान लीजिए वरना गाड़ी की वारंटी फुर्र हो जाएगी
अगर आपने डैशकैम (Car Dash cams) कार की विंडशील्ड पर बस ऐसे ही चिपका दिया तो ही सकता कि गाड़ी की वारंटी खत्म हो जाए. ये भी हो सकता है कि दुर्घटना की सूरत में इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर दे.

जवाब है नहीं क्योंकि अगर आपने डैशकैम गाड़ी की विंडशील्ड पर बस ऐसे ही चिपका दिया तो ही सकता कि गाड़ी की वारंटी खत्म हो जाए. ये भी हो सकता है कि दुर्घटना की स्थति में इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर दे. इतना पढ़कर अगर आप अपनी कार का डैशकैम निकालने चल पड़े तो तनिक रुक जाइए. सारी जरूरी बातें तो जान लीजिए.
यूएसबी डैशकैम ही लगानाअब अगर आपकी कार में डैशकैम पहले से लगा हुआ है, बोले तो फैक्ट्री से फिट होकर आया है तो फिर चिंता नक्को. लेकिन जो आप बाज़ार से ख़रीद कर डैशकैम लगाने वाले हैं तो इसके तारों का तारतम्य जान लीजिए. आपने वो वाला डैशकैम लेना है जो गाड़ी में लगे यूएसबी पोर्ट से कनेक्ट हो. एक तो इसको इंस्टाल करना बेहद आसान है और दूसरा ये गड्डी की सेहत पर कोई असर नहीं डालता. आफ्टर मार्केट में मिलने कई सारे डैशकैम को कार की बैटरी से जोड़ दिया जाता है. एक तो ये खतरनाक है क्योंकि गाड़ी में स्पार्क हो सकता है और दूसरा ये गाड़ी की वारंटी पर भी असर डालता है. बेसिक समझ की बात है क्योंकि गाड़ी में किसी भी किस्म की छेड़खानी होने पर कार कंपनी वारंटी देने से इंकार कर सकती है. ऐसा ही कुछ इंश्योरेंस क्लेम के समय हो सकता है. मतलब कंपनी कह सकती है कि भइया इस ख़ुराफ़ात की वजह से गाड़ी में गड़बड़ हुई. वैसे ऐसा होगा ही होगा, वो जरूरी नहीं. लेकिन नहीं होगा वो भी जरूरी नहीं. इसलिए हमेशा यूएसबी पोर्ट वाला ही सही रहेगा.
ये भी पढ़ें: इस छोटे से प्रोडक्ट ने खोज निकाली चोरी हुई करोड़ों की फरारी, ये कहानी भयंकर वायरल है
सिम कनेक्टिविटीआमतौर पर डैशकैम को कनेक्ट करने के लिए मोबाइल या दूसरे किसी इंटरनेट सोर्स की जरूरत होती है. हालांकि इसका डिवाइस में होने वाली वीडियो रिकॉर्डिंग से कोई संबंध नहीं है क्योंकि वो तो मेमोरी कार्ड में सेव होती है. इंटरनेट का काम डैशकैम के ऐप को एक्सेस करने से लेकर लाइव लोकेशन ट्रैक करने का होता है. वाईफाई हॉटस्पॉट या लोकल वाईफाई से कोई दिक्कत नहीं मगर जो सिम कनेक्टिविटी मिल जाए तो मजा ही मजा. कई सारे डैशकैम ऐसी सुविधा के साथ आते हैं. इसमें आपके पहचान वाली सिम लगी होती है जिसकी मदद से गाड़ी को ट्रैक करना और लाइव वीडियो देखना संभव होता है. कार में अगर ऐसा डैशकैम लगा है तो भले वो पार्किंग में खड़ी हो या फिर घर से दूर. लगातार निगरानी रखना भी आसान हो जाता है. इसलिए अगर बजट की दिक्कत नहीं तो इस प्रकार का डैशकैम बढ़िया रहेगा.

डैशकैम शब्द सुनते ही कार की विंडशील्ड नजर के सामने आती है. सामने जो हो रहा वो रिकॉर्ड कर लिया और कहानी ख़त्म. लेकिन हम भूल जाते हैं कि दुर्घटना तो पीछे से भी हो सकती है. इसलिए हो सके तो डबल स्क्रीन वाला डैशकैम खरीदें. इसके साथ कुछ और फीचर्स पर भी नजर डाल लें. मसलन उसमें ऑटो स्टार्ट का फ़ीचर हो, बोले तो गड्डी स्टार्ट और कैमरा भी ऑन. मेमोरी कार्ड सपोर्ट जितना ज़्यादा मिले, उतना अच्छा. वीडियो क्वालिटी एचडी से कम नहीं चाहिए. ये भी ध्यान रखें वरना फुटेज का कोई ख़ास फ़ायदा नहीं होगा.

कथा सार ये कि मालिक जब इतना खर्च हो गया है तो थोड़ा और सही पर फोकस करते हुए बेसिक डैशकैम की जगह एक फ़ीचर पैक्ड डैशकैम ही इस्तेमाल करें.
वीडियो: सोशल लिस्ट : iPhone 16 हुआ भारत में लॉन्च, भीड़-भाड़ और पागलपन देख उठे सवाल