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रिफंड में देरी के लिए Amazon पर 45 हजार का जुर्माना, ऑनलाइन कस्टमर्स ये खबर जरूर पढ़ें

दिल्ली के कोर्ट ने एक ऑनलाइन कस्टमर के पक्ष में फैसला सुनाया है. इस बार कटघरे में खड़ा हुआ Amazon. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने रिफ़ंड में देरी की और नतीजतन कंज्यूमर कोर्ट ने 45 हजार का जुर्माना लगा दिया. पूरा मामला जान लीजिए तो जो कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में हिचक नहीं होगी.

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ऐमजॉन पर रिफ़ंड में देरी के लिए कोर्ट ने हजारों का जुर्माना लगाया है

हम जो आपको अभी बताने वाले हैं उसको पढ़कर निश्चित तौर पर अच्छा लगेगा. हो सकता है आपके कलेजे को ठंडक भी पहुंचे. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की परिस्थिति से आप और हम कभी ना कभी गुजरे जरूर हैं. गुजरे भी हैं और मन मसोस कर भी रह गए, क्योंकि कोई सुनने वाला नहीं होता. बात है ई-कॉमर्स कंपनियों की सर्विस में कमी की. कभी गलत प्रोडक्ट, कभी गलत कीमत तो कभी रिटर्न में देरी. आए दिन ऐसी दिक्कतों से हम दो चार होते हैं और ऐसे में जब कोर्ट हमारे (Consumer court impose fine on Amazon) पक्ष में फैसला देता है तो सुकून मिलता ही है.

कस्टमर के पक्ष में कोर्ट का ऐसा ही एक और फैसला आया है. इस बार कटघरे में खड़ा हुआ Amazon. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने रिफ़ंड में देरी की और नतीजतन कंज्यूमर कोर्ट ने 45 हजार का जुर्माना लगा दिया. पूरा मामला जान लीजिए तो जो कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में हिचक नहीं होगी.

दिल्ली कंज्यूमर कोर्ट का फैसला

मामला जुड़ा है लैपटॉप की खरीदी और उसके रिफ़ंड में हुई भयानक देरी से. शिकायतकर्ता के मुताबिक उसने 29 अक्टूबर 2021 को ऐमजॉन से Asus कंपनी का लैपटॉप 78000 रुपये में खरीदा था. डिवाइस में कुछ दिक्कत हुई तो डिलीवरी वाले दिन ही रिटर्न प्रोसेस किया. शिकायत के मुताबिक कंपनी ने प्रोडक्ट रिटर्न लेने में 10 दिन का वक्त लिया और इसके साथ कोई रिटर्न रिसीप्ट भी नहीं दी. 

यहां तक तो ठीक था, मगर इसके बाद शुरू हुआ परेशानी का सिलसिला. बार-बार मांगे जाने पर भी ऐमजॉन ने पैसा रिफ़ंड नहीं किया. और दिसंबर 2021 में एक मेल करके प्रोडक्ट वापस मिलने से भी इनकार कर दिया. परेशान ग्राहक ने कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने ना सिर्फ ऐमजॉन पर सर्विस में देरी के लिए 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया बल्कि अनुचित ट्रेड प्रेक्टिस के लिए लताड़ा भी. कोर्ट ने कहा,

यह OP1 (ऐमजॉन) का कर्तव्य है कि वह असली और बिना डिफ़ेक्ट वाले प्रोडक्टस की बिक्री सुनिश्चित करे और इसके अलावा यदि रिटर्न किया जाता है, तो उसे समय पर उठाकर उचित समय के भीतर रिफंड भी जनरेट करे.

इस मामले में एक और दिलचस्प बात है. ऐमजॉन कोर्ट द्वारा जवाब के लिए दिए गए समय में अपना पक्ष ही नहीं रख पाया. मतलब देरी सिर्फ रिफ़ंड में ही नहीं हुई बल्कि जवाब देने में भी आलस किया.

हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं जब कोर्ट ने ई-कॉमर्स कंपनियों को लताड़ा हो और जुर्माना भी लगाया हो. कुछ दिनों पहले फ्लिपकार्ट को भी कोर्ट ने पुराना मोबाइल भेजने के लिए खरी-खोटी सुनाई थी. आप ये मामला नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं.  

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