The Lallantop

फेसबुक-इंस्टा पर तस्वीरें डालते हैं तो आपकी लोकेशन से जुड़ी ये जानकारी मिस ना करें

सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है या कहें ताल ठोक कर दावा किया जा रहा है कि आप और हम सोशल मीडिया पर जो फोटो शेयर करते हैं, उनसे आपकी लोकेशन का पता चल सकता है. देशांतर से लेकर अक्षांश का पता चल सकता है. हैकिंग हो सकती है. वगैरा-वगैरा. बताइए इतनी जबरदस्त ट्रिक तो हमें पता ही नहीं थी.

post-main-image
सोशल मीडिया पोस्ट से लोकेशन पता चलने का सच.

कल रात मेरी इंस्टाग्राम फ़ीड में एक बाबा जी नजर आए. ना-ना वो वाले बाबा जी नहीं जिनके बारे में आप सोच रहे. ये बाबा जरा दूजे किस्म के हैं. कौन से बाबा हैं वो आपको स्टोरी खत्म होते समझ आ ही जाएगा. पहले एक मीम अपने ध्यान में लाइए. अद्भुत, असाधारण, अविश्वनीय वाला. याद किए, अब इसको पॉजिटिव नहीं निगेटिव सेंस में लीजिए. इतना पढ़ कर शायद आपको लगेगा क्या बेसिर-पैर की बातें कर रहे हो. अरे जनाब हम नहीं बल्कि सोशल मीडिया वाले कर रहे. वहां शेयर हुई फ़ोटो के बारे में.

कहा जा रहा है या कहें ताल ठोक कर दावा किया जा रहा है कि आप और हम सोशल मीडिया पर जो फोटो शेयर करते हैं, उससे आपकी लोकेशन (track location from social media post) का पता चल सकता है. देशांतर से लेकर अक्षांश तक का पता चल सकता है. हैकिंग हो सकती है. वगैरा-वगैरा. बताइए इतनी जबरदस्त ट्रिक तो हमें पता ही नहीं थी.

Metadata की महिमा

हालांकि जो दावा किया जा रहा वो एकदम गलत है. मतलब सोशल मीडिया वाली फ़ोटो से लोकेशन का पता चलता तो हर किसी को पता होता कि विराट कोहली किस होटल में ठहरे या हमारे बॉस ने आज कहां तफरी मारी. लेकिन ये बात भी सही है कि फ़ोटो से लोकेशन का पता चल सकता है. मगर वो फ़ोटो आपकी फ़ोन गैलरी से डाउनलोड होनी चाहिए. ऐसा होता है Metadata की वजह से.

Metadata मतलब डेटा के अंदर का वो डेटा जो आसानी से दिखाई नहीं देता. जब भी आप किसी फोन से फ़ोटो क्लिक करते हैं तो कई सारी जानकारी भी इसके साथ नत्थी होती है. मसलन कैमरा कितने मेगापिक्सल का. कलर कंपोजिशन, फ़ोटो क्लिक होने का टाइम, ISO आदि. इन सब जानकारी की जरूरत आम यूजर को नहीं लेकिन एडिटिंग वालों को जरूर पड़ती है. इसके साथ उस फ़ोटो की लोकेशन या कहें GPS का डेटा भी सेव होता है.

geotagging

वैसे इस फीचर का एक और फायदा है. अक्सर आपने देखा होगा कि फ़ोटो गैलरी से कई बार किसी डेट का नोटिफिकेशन आता है. जगह की याद वाली फ़ोटो पॉप अप होती है. ये सब इसी जीपीएस या कहें लोकेशन का कमाल होता है. आजकल तो कई स्मार्टफोन में बाकायदा लोकेशन दिखाने और कैमरे का नाम लिखने की भी सुविधा होती है. geotagging कहते हैं इसको. मगर ये फीचर ऑन-ऑफ किया जा सकता है.

इसके साथ एक और जानकारी भी परदे के पीछू सेव होती है. Exif डेटा बोले तो Exchangeable image file format. मतलब फ़ोटो फॉर्मेट जैसे JPEG या BMP. ये दो जानकारी अगर किसी एक्सपर्ट या हैकर के हाथ लगे तो मुमकिन है कि वो आपकी लोकेशन के बारे में जान सकता है. लेकिन क्या ऐसा सोशल मीडिया पर भी होता है. जवाब है नहीं. 

ये भी पढ़ें: महंगा हुआ फोन रीचार्ज, अगले 4 साल तक सस्ते में निपटने का जुगाड़ हमसे जान लीजिए!

सोशल मीडिया ऐप्स रखते हैं ख्याल

सोशल मीडिया ऐप्स मसलन फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स फ़ोटो शेयर होने से पहले ही उसका पूरा डेटा हटा देते हैं. मतलब प्लेटफॉर्म पर कोई भी इमेज अपलोड होती है तो वो एकदम खाली होती है. CNET जैसे कई संस्थानों ने इसकी पुष्टि की है. मतलब आप मजे से फ़ोटो शेयर करते रहिए. हां, जो आपको लोकेशन की चिंता है तो अपने फोन में जाकर लोकेशन ऑफ कर दीजिए. ये अलग बात है कि किसी फ़ोटो में आपने खुद ही लोकेशन बता रखी, होटल को टैग कर रखा तो फिर क्या ही कहने.

क्योंकि बात सोशल मीडिया पर इमेज शेयर करने की है तो एक सलाह मान लीजिए. जब भी घर से बाहर किसी यात्रा पर हों तो उस दौरान फ़ोटो शेयर करने से बचें. हैकर को अंदाजा होता है कि आप अपने सिस्टम से दूर हैं. इस बात का फायदा उठाकर आपके सोशल मीडिया को जरूर हैक करने की कोशिश हो सकती है. क्योंकि आप यात्रा पर हैं तो मुमकिन है आपके पास इंटरनेट एक्सेस नहीं हो. इधर कांड होता रहे और जब आपको पता चले तब देर हो चुकी हो. 

वीडियो: नए क्रिमिनल लॉ के सभी बड़े बदलावों को जान लीजिए