बड़े-बुजुर्गों ने कहा है कि नकल के लिए भी अक्ल की ज़रूरत होती है और Apple के केस में ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है. ऐप्पल भले नहीं माने लेकिन टेक जगत में सभी जानते हैं कि कंपनी आमतौर पर वैसे फीचर्स ही पेश करती है जो पहले से मार्केट में उपलब्ध होते हैं. मगर एक बात ये भी है कि ऐप्पल जब भी कॉपी करता है कमाल करता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ. टेक दिग्गज ने अपना पहला AR हेडसेट 'Apple Vision Pro' लॉन्च किया. लॉन्च के साथ ही प्रोडक्ट ने डिजिटल वर्ल्ड में धूम मचा रखी है. हमने भी इसकी खोज खबर ली.
Apple Vision Pro में कंपनी का कितना विजन दिखता है, लोग मजाक उड़ा रहे!
Apple Vision Pro Headset ऐसा प्रोडक्ट है, जो वर्चुअल और रियल दुनिया को आपस में जोड़ता है. लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं.
लंबे इंतजार के बाद कंपनी का पहला एआर–वीआर हेडसेट लॉन्च हो गया है. कंपनी पिछले सात सालों से इसकी तैयारी कर रही थी. लग रहा जैसे एआर हेडसेट न हुआ बल्कि यूपीएससी एग्जाम हो गया हो जो क्लियर ही नहीं हो रहा था. बहरहाल, आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि ये कोई दुनिया का पहला वीआर हेडसेट नहीं है. दुनिया का पहला वीआर हेडसेट 1991 में सेगा कंपनी ने लॉन्च किया था. मेटा भी पिछले कुछ सालों पहले ही मेटा क्वेस्ट प्रो बाजार में उतार चुकी है. इसके अलावा भी कई और कंपनियों के प्रोडक्ट मार्केट में मिलते हैं. लेकिन अभी जरा ऐप्पल का विजन देखते हैं.
# यूजर को ये डिवाइस सर पर बोझ जैसा नहीं लगे इसलिए हेडसेट को एरो स्पेस एल्यूमीनियम से बनाया गया है.
# हेडसेट को ऑपरेट करने के लिए लिए ऐप्पल ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम विजन ओएस (Vision OS) बनाया है.
# AR हेडसेट में विशेष तौर से बनाई R1 चिप के साथ आईफोन और मैकबुक में इस्तेमाल होने वाली M2 चिप लगी हुई है. सीईओ टिक कुक के मुताबिक हेडसेट वो सारे काम कर सकता है जिसके लिए अभी तक आप आईफोन या मैकबुक के भरोसे थे.
# हेडसेट में 12 कैमरे, 5 सेंसर्स और 6 माइक्रोफोंस दिए हैं जिनकी मदद से आप इसे ऑपरेट कर पाएंगे. बोले तो किसी कंट्रोलर की जरूरत नहीं होगी बल्कि आपके हाथ, आंख और आवाज ही पूरी मौज उठाने के लिए काफी होंगे.
# दोनों ही आंखों में 4K माइक्रो OLED डिस्प्ले लगा हुआ है. अभी भी कई टीवी के लेटेस्ट मॉडल में 4K रेजोलूशन मुश्किल से देखने को मिलता है.
# डिवाइस का एक और बढ़िया फीचर है 'आईसाइट', मतलब अगर आप डिवाइस पहने हुए सामने खड़े व्यक्ति से बात करते हैं तो वो आपकी आंखों को देख पाएगा. वीआर हेडसेट में ये फीचर पहली बार लाया गया है वरना तो काले रंग की स्क्रीन से कुछ नजर नहीं आता.
# सबकी आंखों का तारा बनना. लगता है ऐप्पल इस कहावत से बहुत इंप्रेस है. तभी तो उसने हेडसेट में एक बेहद खास फीचर दिया है. आईट्रैकिंग. एकदम हॉलीवुड की साई-फ़ाई फिल्म जैसा. यूजर सामने दिख रहे जिस भी ऐप की तरफ अपनी आंख ले जाएगा, हेडसेट उसे हाईलाइट कर देगा. इसके बाद बस हाथ की उंगली और अंगूठे को आपस में टच करने की देर है. ऐप या फीचर काम करने लगेगा.
# 3D अवतार की मदद से आप इस हेडसेट से वीडियो कॉल भी कर सकेंगे. फोटो और वीडियो कैप्चर करने में भी कोई दिक्कत नहीं आने वाली. फोटो और वीडियो को जब गैलरी में निहारेंगे तो लगेगा जैसे सब अभी हो रहा हो.
फीचर्स देखकर तो ऐसे लगता है जैसे ऐप्पल ने मार्वल सिनेमेटिक यूनिवर्स को हकीकत में उतार दिया है. ऐप्पल का अपना 'ऐप्पलवर्स,' लेकिन सब शानदार-जबरदस्त-जिन्दाबाद है क्या. शायद नहीं. और ऐसा हम नहीं कह रहे. सबसे पहले तो कीमत. 3499 डॉलर मतलब करीब दो लाख 90 हजार रुपये. आम जनता तो ठीक एलन मस्क जैसे अरबपति भी इसका मजाक उड़ाते नजर आ रहे.
इत्ते सारे पैसे के बाद भी डिवाइस में बैटरी का कोई जुगाड़ नहीं. ऐप्पल विजन प्रो में कोई इंटरनल बैटरी नहीं है. बल्कि कंपनी ने एक एक्सटर्नल बैटरी दी है जो की वायर के माध्यम से हेडसेट से जुड़ी होगी और इसका बैकअप भी महज 2 घंटे का होगा. क्या ही कहें.
AR हेडसेट को अमूमन गेमिंग के शानदार और लाइव अनुभव से जोड़ा जाता है, लेकिन ऐप्पल ने इसके बारे में कोई खास चर्चा नहीं की है. हालांकि ये पहला वर्जन है और शायद मार्केट में आने से पहले कुछ और जुड़े. लेकिन विजन प्रो पर टेक एक्सपर्ट बेन गेसकिन की टिप्पणी काफी कुछ कहती है. बेन ने इसको ऐप्पल Arcade games का 2D वर्जन बता दिया.
उनके साथ कई सारे टेक एक्सपर्ट ने भी इसके रियल वर्ल्ड में इस्तेमाल पर संशय जताया है. खैर जब 2024 में प्रोडक्ट अमेरिकी बाजार में आएगा तब पूरे धागे खुलेंगे. भारतीय बाजार के लिए अभी कोई जानकारी नहीं है.
(इस खबर के लिए रिसर्च हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे अक्षत त्रिवेदी ने किया है.)
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