गाड़ी आपके पास नई हो या पुरानी. महंगी हो या सस्ती. दो पहिया हो या चार पहिया. मारुति हो या Mercedes. सभी में एक बात कॉमन है. गड्डी का इंश्योरेंस. एक ऐसी चीज जिसके बिना गाड़ी की गरारी आगे नहीं बढ़ती, वो है इंश्योरेंस. इंश्योरेंस होना भी चाहिए ही सिर्फ भले वो थर्ड पार्टी ही क्यों नहीं हो. लेकिन सिर्फ इंश्योरेंस होना ही काफी नहीं है. इंश्योरेंस होते हुए भी आपको दिक्कत (Important Insurance Add-ons) हो सकती है. इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है या फिर आपकी गाड़ी की वैल्यू कम या बेहद कम मिल सकती है.
गाड़ी का इंश्योरेंस काफी नहीं है, अगर ये पांच Add-ons नहीं लिए तो मोटा फटका लग सकता है!
गाड़ी का इंश्योरेंस होना काफी नहीं है. इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है या फिर आपकी गाड़ी की वैल्यू कम या बेहद कम मिल सकती है. इसलिए हम आपको इंश्योरेंस के साथ मिलने वाले कुछ Add-ons के बारे में बताते जो ना सिर्फ आपकी गाड़ी की कीमत का ख्याल रखेंगे बल्कि गाड़ी के छोटे-छोटे खर्चे को भी कवर करेंगे.

इसलिए हम आपको इंश्योरेंस के साथ मिलने वाले कुछ Add-ons के बारे में बताते जो ना सिर्फ आपकी गाड़ी की कीमत का ख्याल रखेंगे बल्कि गाड़ी के छोटे-छोटे खर्चे को भी कवर करेंगे.
Return To Invoiceबात सिर्फ Add-ons की होने वाली है. मतलब इंश्योरेंस होगा ही लेकिन उसके साथ कुछ और पैसे देकर एक्स्ट्रा फीचर का जुगाड़. सबसे पहले बात RTI की. गाड़ी लेते समय अगर ये कर लिया तो तीन साल की दिक्कत खत्म. ये वाला Add-on नई गाड़ी के साथ ही मिलेगा और तीन साल की वैधता के साथ आएगा. इस दौरान अगर गाड़ी चोरी हुई या फिर कोई और दुर्घटना होती है तो आपको गाड़ी की पूरी कीमत वापस मिलेगी. मतलब जितने का बिल बना था उतना अमाउन्ट. आम इंश्योरेंस में इसकी जगह IDV (Insured Declared Value) ही मिलती है. मतलब अगर गाड़ी की कीमत 100 रुपये तो IDV 80 या 70. क्लेम इससे भी कम मिलेगा. नई गाड़ी लेने वाले हैं तो RTI लेने में फायदा है.
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Consumable Coverगाड़ी के इंश्योरेंस क्लेम के समय अक्सर बड़े पार्ट्स पर खूब बात होती है मगर छोटी-छोटी चीजों को दरकिनार कर दिया जाता है. मगर यही छोटी चीजें लंबा फटका लगवाती हैं. जैसे इंजन ऑइल, ब्रेक ऑइल, गियर ऑइल, नट-बोल्ट से लेकर कूलेंट तक. कब इनका बिल हजारों में बन जाता है पता ही नहीं लगता. इसका सबसे अच्छा उपाय है कि Consumable Cover वाला Add-on ले लिया जाए.

ये वाला Add-on नहीं लिया और अगर गाड़ी की चाबी खो गई तो ‘कोढ़ में खाज’ वाली कंडीशन. अब ये कोई आम ताले की चाबी तो है नहीं जिसका डुप्लिकेट बन जाएगा. आजकल गाड़ियों में एडवांस लॉक सिस्टम आता है. चाबी खो गई तो पूरा सिस्टम ही बदलेगा. छोटी गाड़ी में भी इसका खर्च 15 हजार से कम नहीं. बड़ी गाड़ी में तो ये लाखों में भी होता है. ऐसे में Key Replacement Cover लेने में ही समझदारी है.

वैसे तो गड़ी का इंश्योरेंस इंजन को भी कवर करता है मगर कुछ शर्तों के साथ. अगर गाड़ी में पानी भर गया मतलब बारिश में आपने घूमी-घूमी का मन बनाया और अंडरपास में गाड़ी डूब गई तो फिर इंश्योरेंस भूल जाइए. इसे आपकी लापरवाही में गिना जाएगा. इसलिए जरूरी है कि Engine Protection Cover लिया जाए.

इसके नाम में ही इसका अर्थ छिपा हुआ है. मतलब प्रोडक्ट का मूल्य कम नहीं होगा. यहां प्रोडक्ट से मतलब गाड़ी के पार्ट्स से है. सारा खर्च इंश्योरेंस कंपनी का भले वो प्लास्टिक वाला हिस्सा हो या मेटल वाला. हालांकि ये सिर्फ पहले पांच साल ही वैध होता है, मगर लेने में भलाई है.
ये सारे Add-on असल इंश्योरेंस में ठीक-ठाक पैसा एड करते हैं मगर पास के घाटे में दूर का फायदा भी देते हैं. इसलिए एक बार इनके बारे में सोचा जा सकता है.
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