अमेरिका का एलबेमा, साल 1914. यहां रहने वाले एक गरीब परिवार में पैदा हुआ एक लड़का. ये लड़का अपने माता-पिता की आठ संतानों में सातवें नंबर पर था. इनके पिता उधार की जमीन पर खेती किया करते थे. इस बच्चे के जन्म के कुछ ही वक्त बाद इसके पिता ने घर छोड़ दिया. और मां ने दूसरी शादी कर ली. और अब मां के दूसरे पति के छह बच्चे भी इस फैमिली के साथ जुड़ गए.
वो बॉक्सर, जिसकी जीत पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- जर्मनी को हराने के लिए हमें ऐसी ही मसल्स चाहिए
कहानी अमेरिका में रंगभेद को करारी ठोकर मारने वाले जो लुइस की.

यानी इस घर में खाने वालों की संख्या लगभग डबल हो गई. लेकिन खिलाने वालों की जेब अब भी खाली ही थी. अन्य अफ्रीकी अमेरिकी परिवारों के साथ इस परिवार को भी नस्लीय भेदभाव, हिंसा के कारण साउथ से नॉर्थ की और शिफ्ट होना पड़ा. ये परिवार नॉर्थ में डट्रॉयट की और चला गया. वहां उन्होंने फिर से घर बसाया.
हमारी कहानी के इस लड़के ने वहां का स्कूल भी जॉइन कर लिया. लेकिन घर के हालात को देखते हुए 15 साल की उम्र में ही उसको स्कूल छोड़ना पड़ गया. और परिवार की मदद करते हुए इन्हीं सालों में इस लड़के के दोस्त ने इसको दुनिया के महानतम मुक्केबाज़ों में से एक, जो लुइस बना दिया.
जी हां, जो के अमेचर बॉक्सिंग दोस्त ने एक दिन उनको अपने साथ एक मैच करने के लिए मना लिया. और यही से शुरू हुआ जो का ऐतिहासिक करियर. साल 1934 तक जो ने 54 अमेचर फाइट में से 50 को जीत लिया. जिसमें से 43 नॉकआउट के जरिए जीती गई.
अमेचर फाइट्स के बाद जो ने हैवीवेट कैटेगरी में कदम रखा. और यहां भी मैच जीतने शुरू कर दिए. अटैकिंग अंदाज ने उनको बहुत जल्द अफ्रीकन अमेरिकन कम्यूनिटी का हीरो बना दिया. जो लुइस जूनियर ने अपने पिता के ऊपर लिखी किताब में दावा किया है कि मशहूर नेल्सन मंडेला भी रेडियो पर जो की फाइट्स लाइव सुना करते थे. उन्होंने लिखा,

‘आप जानते हैं, नेल्सन मंडेला, जब वो रोबेन द्वीप से मुक्त होने के बाद यूनाइटेड स्टेट्स आए, तो उन्होंने मुझे बताया कि वह, साउथ अफ्रीका में हजारों अश्वेत लोगों के साथ, रेडियो पर मेरे पिता की फाइट को सुनने के लिए जागते थे. इससे उनको उम्मीद मिलती थी.’
जो कई सारी फाइट जीत कर अफ्रीकन अमेरिकन कम्यूनिटी को काफी आगे लेकर गए. लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी एक फाइट ने पूरे अमेरिका को इकट्ठा कर दिया था? चलिए फिर, आज हम आपको उनकी इसी फाइट के बारे में बताते हैं.
साल 1936 में जो ने हेवीवेट कैटेगरी में कदम रखा. और अपना मैच जर्मनी के सबसे मशहूर बॉक्सर मैक्स श्मलिंग (Max Schmeling)के खिलाफ़ लड़ा. इस मैच के लिए यांकी स्टेडियम पूरा भर गया. और पूरे अमेरिका ने इस मैच को सुना. कुछ लोगों को उम्मीद थी कि जैसे साल 1935 में जो ने प्राइमो कारनेरा और मैक्स बेएर (Primo Carnera and Max Baer) को हराया था, ठीक वैसे ही वो मैक्स श्मेलिंग को भी हरा देंगे.
लेकिन कुछ अमेरिकन जर्मन खिलाड़ी को सपोर्ट कर रहे थे. द गार्डियन से बात करते हुए जो के बेटे जो लुइस जूनियर ने बताया,
‘जब वो 1936 में लड़े थे, बहुत सारे व्हाइट अमेरिकन्स ने जर्मन बॉक्सर को सपोर्ट किया था.’
इस बीच मैच पर वापस लौटें तो, मुकाबले के 12वें राउंड में मैक्स ने जो को नॉकआउट कर ये मुकाबला जीत लिया. जो के बेटे ने इस पर बताया,
‘उनको लगा कि उन्होंने पूरी ब्लैक कम्यूनिटी को झुका दिया है, क्योंकि वो लड़ाई हार नहीं सकते थे. उनको इसे जीतना था और खूब सारी तालियों के साथ जीतना था.’
इस हार के बाद जो ने खुद पर और काम किया. उस समय के हेवीवेट चैम्पियन जिम ब्रैडॉक (jim braddock) को हरा दिया. और फिर सेट हुआ मैक्स श्मलिंग के साथ एक और मैच. ये मौका जो को अगले बरस यानी साल 1938 में ही मिल गया. और इस बार ये मैच सिर्फ एक मैच नहीं था, ये थी एक लड़ाई. लड़ाई इसलिए क्योंकि इस समय तक यूएस और जर्मनी के राजनैतिक संबंध काफी खराब हो चुके थे.
जो दर्शक दो साल पहले श्मलिंग को सपोर्ट कर रहे थे, वो भी अब उनके विरोध में आ गए थे. लोगों ने इस मैच को एक ब्लैक अमेरिकन वर्सेज़ नात्ज़ी के बीच का मैच बना दिया था. क्योंकि नात्ज़ी प्रोपेगंडा चला रहे लोगों ने श्मलिंग को ‘पवित्र तकदीर वाला आर्यन रेस का पोस्टर बॉय’ बना रखा था. और इस बात ने आग में घी डालने वाला काम किया.
और इसी चक्कर में मैच अनाउंस होने के तुरंत बाद ही सारी टिकट बिक गई थी. दुनिया भर से लोगों ने इस मैच को रेडियो पर सुना था. हालांकि, ये मुकाबला शुरू होते ही खत्म हो गया. जब तक यांकी स्टेडियम में लोगों ने सीट ली, तब तक मैच फिनिश. NationalWW2museum.org की मानें तो ये मैच कुल दो मिनट और चार सेकेंड तक चला.

मैच मे जो ने श्मलिंग को तीन बार नॉक किया. इसके बाद रेफरी ने टेक्निकल नॉकआउट के जरिए जो को विजेता घोषित कर दिया. इस जीत के बाद जो ने प्रेसिडेंट फ्रैंकलिन डी रूसवेल्ट से हुई अपनी मुलाकात के बारे में बताया. गार्डियन के अनुसार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस मुलाकात में जो से कहा,
‘जो, जर्मनी को हराने के लिए हमें आपके जैसे मसल्स की जरूरत है.’
यहां मज़े की बात ये थी कि जर्मनी ने बेशक श्मलिंग को अपना पोस्टर बॉय बना रखा हो, लेकिन श्मलिंग के मन में ऐसा कुछ नहीं था. NationalWW2museum.org के अनुसार श्मलिंग ने कभी नात्ज़ी पार्टी जॉइन ही नहीं की थी. और क्रिस्तेनाख्त होलोकॉस्ट के दौरान उन्होंने दो यहूदी बच्चों की जान भी बचाई थी. इसके साथ ही वो जो के अच्छे दोस्त भी थे. उनकी दोस्ती के बारे में जो जूनियर ने बताया था,
‘जब मेरे पापा की मौत हुई. मैक्स ने कहा उन्होंने एक अच्छा दोस्त खो दिया. आप मैक्स के फेस पर मुस्कुराहट देख सकते थे, जब मैंने उनसे अपने पापा के ऊपर लिखी बुक के लिए बात की. और हमने साल 1936 की फाइट पर भी खूब बात की. साल 1938 की फाइट पर, ज्यादा नहीं.’
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