भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Association of Indian) का चुनाव हुआ. संजय सिंह WFI के प्रेसिडेंट बने. जिसके बाद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) खेमे ने नारा लगाया ‘दबदबा था, दबदबा रहेगा’. मगर अब सच्चाई ये है कि नवनियुक्त भारतीय कुश्ती संघ (WFI) का 24 दिसंबर को खेल मंत्रालय की तरफ से निलंबन (suspension) हो चुका है. खेल मंत्रालय ने WFI प्रेसिडेंट संजय सिंह (Sanjay Singh) के सभी हालिया फैसलों पर भी रोक लगा दी. सरकार की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि नवनियुक्त संघ की तरफ से जूनियर नेशनल चैंपियनशिप का एलान जल्दबाजी में किया गया है और उसके लिए सही प्रक्रिया का पालन भी नहीं हुआ. अब इसके सस्पेंशन को लेकर नई जानकारी सामने आई है.
दरअसल बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह 21 दिसंबर को WFI के नए अध्यक्ष बने थे. जिसके बाद नवनियुक्त कुश्ती संघ ने जूनियर नेशनल चैंपियनशिप की घोषणा की थी. इस टूर्नामेंट का आयोजन 28 दिसंबर से यूपी के गोंडा में होना था. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े मिहिर वसावदा की रिपोर्ट के मुताबिक ‘बृजभूषण सिंह के प्रभाव में आकर नए अध्यक्ष संजय सिंह ने जूनियर चैंपियनशिप को गोंडा में कराने का फैसला किया. और यह फैसला नवनियुक्त संघ के गले की फांस बन गया.’
बृजभूषण ने कही, संजय सिंह ने मानी, वो फैसला जिसने कुश्ती संघ को सस्पेंड करवा दिया!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बृजभूषण सिंह के प्रभाव में आकर नए अध्यक्ष संजय सिंह ने एक ऐसा फैसला लिया, जो नवनियुक्त कुश्ती संघ के गले की फांस बन गया.

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रिपोर्ट में एक मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा गया कि ‘नई समिति के गठन के बावजूद, WFI का सारा कामकाज बृजभूषण के सरकारी बंगले, जो भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के कार्यालय के रूप में भी जाना जाता है, वहां से ही संचालित किया जा रहा था.’ नए अध्यक्ष संजय सिंह उन्हें अपना भाई भी बता चुके हैं, ऐसे में इन फैसलों में काफी हद तक बृजभूषण सिंह का प्रभाव दिखाई देता है. अधिकारी ने आगे बताया कि नई समिति की तरफ से लिए गए फैसले WFI के संवैधानिक प्रावधानों और राष्ट्रीय खेल विकास संहिता दोनों का उल्लंघन करते हैं.
वहीं रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया कि नवनियुक्त महासचिव प्रेम चंद लोचब (Prem Chand Lochab), ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि संजय सिंह ने उन्हें शामिल किए बिना यह निर्णय लिया है. उनके मुताबिक कार्यकारी समिति की ये बैठक, बिना किसी सूचना या कोरम के आयोजित की गई थी. उन्होंने कहा कि महासचिव को इस बारे में अंधेरे में रखा गया, जबकि उन्हें परामर्श लेने वाला मुख्य व्यक्ति होना चाहिए था. एक प्रक्रिया है, जिसका उल्लंघन किया गया है. यह चुनाव के कुछ ही घंटों के भीतर हुआ, इसलिए महासचिव ने यह सुनिश्चित करने के लिए इसे हरी झंडी दिखा दी कि ऐसा दोबारा न हो.
बताते चलें कि इस पूरे मामले पर 24 दिसंबर को ही WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Singh) का बयान सामने आया था. उन्होंने इस पूरे मामले से अपने आप को अलग कर लिया था. बृजभूषण के मुताबिक वो कुश्ती से अपना नाता तोड़ चुके हैं. साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह (Sanjay Singh) उनके रिश्तेदार नहीं हैं.
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