पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज और स्विंग के उस्ताद वसीम अकरम (Wasim Akram) मैदान पर खेलते हुए अम्पायर्स को धीरे से चॉकलेट पकड़ा देते थे. इतना पढ़कर आपको लगेगा ये कौन सा किस्सा है. ये किस्सा इस पूर्व दिग्गज गेंदबाज की एक बीमारी से जुड़ा है. कई लोग नहीं जानते कि वसीम अकरम Type 1 Diabetes से जूझ चुके हैं. इस बीमारी में अगर ध्यान नहीं रखा गया तो मरीज कोमा में जा सकता है, उससे बाद जान भी जा सकती है.
वसीम अकरम अपने मजेदार किस्सों से डायबिटीज को 'आउट' करने का तरीका बता गए
वसीम अकरम ने World Cup-23 में पाकिस्तान-बांग्लादेश मैच के बाद A-Sports यूट्यूब चैनल पर बात कर रहे थे. इस दौरान जिक्र छिड़ा Type 1 डायबिटीज का. वसीम ने लंबे वक्त तक इस बीमारी का सामना किया है. अभी भी कर रहे हैं.

वसीम अकरम ने World Cup-23 में पाकिस्तान-बांग्लादेश मैच के बाद A-Sports यूट्यूब चैनल पर बात कर रहे थे. इस दौरान जिक्र छिड़ा Type 1 डायबिटीज का. वसीम ने लंबे वक्त तक इस बीमारी का सामना किया है. अभी भी कर रहे हैं. बातचीत में इससे जुड़े सवाल के जवाब में वसीम ने कुछ दिलचस्प और मजेदार किस्से सुनाए.
वसीम अकरम करीब 30 सालों से Type 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं. इसे ‘T1d’ या Juvenile डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जीवन भर इंसुलिन सपोर्ट पर रहना पड़ता है. ये बीमारी बहुत कम लोगों को होती है. अधिकतर लोग Type 2 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं जिसे दवाइयों और लाइफ स्टाइल में बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है.
ये तो बात हुई बीमारी की. अगर इसके बारे में आप ज्यादा जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके जान सकते हैं. हम वसीम अकरम पर लौटते हैं.
उनके मुताबिक अगस्त 1997 में अचानक से उनका वजन कम होना स्टार्ट हुआ. आलस आने लगा और बार-बार पेशाब भी जाना पड़ता था. खूब भूख लग रही थी और इसके साथ पूरे दिन प्यास भी लगी रहती थी. वसीम को कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने अपने पिता से बात की.
उन्होंने वसीम को शुगर लेवल चेक करने के लिए कहा. वसीम के मुताबिक उनको तो इन शब्दों के बारे में पता भी नहीं था. वसीम ने शुगर टेस्ट करवाया और उसके लेवल ने उनको झकझोर कर रख दिया. आम इंसान के लिए शुगर लेवल 90-120 के बीच होता है मगर वसीम का 440 निकला.
वसीम के मुताबिक डॉक्टर फैसल ने उनको बताया कि अब से उनको इंसुलिन लेना पड़ेगा. वसीम ने छूटते ही उनसे पूछा,
"क्या मैं क्रिकेट खेल पाऊंगा?"
डॉक्टर ने जवाब दिया कि बिल्कुल, लेकिन शुगर कंट्रोल करना पड़ेगा.
ये वसीम की पहली मुलाकात थी पेट में लगने वाले इंसुलिन इंजेक्शन और शुगर से. वसीम ने इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए एक जरूरी बात बताई. उन्होंने कहा,
"इस बीमारी में सबसे बड़ा डॉक्टर मरीज खुद है. डॉक्टर सिर्फ सलाह दे सकता है."
वसीम ने आगे बताया कि कैसे उन्होंने अनुभव हुआ कि अगर लंच के बाद क्रिकेट खेलना है तो कम इंसुलिन लेना है. हाइपो (शुगर लेवल बेहद कम) होने से कैसे निपटना है. मसलन, जेब में चॉकलेट हमेशा रखें. इसलिए ही वो मैदान पर भी अंपायर को कुछ चॉकलेट पकड़ा देते थे. बातचीत के दौरान उनके साथ खिलाड़ी मोइन खान ने भी एक किस्सा बताया.
दरअसल एक बार टीम बस में वसीम का शुगर बहुत लो हो गया था, तो बस रोककर उनके लिए चॉकलेट खरीदी गई. दवाइयों से इतर वसीम ने Type 1 डायबिटीज को लेकर एक और बहुत जरूरी बात बताई.
वसीम ने कहा,
“Type-1 का एक ही इलाज है. इंसुलिन. इसलिए किसी पीर बाबा के पास नहीं जाना है जो इलाज के नाम पर चीनी खिला देगा. मतलब जान पर बन आएगी. उन्होंने बताया कि Type-2 को दवाइयों और लाइफ स्टाइल में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है.”
वैसे वसीम को तकरीबन 25 साल हो गए हैं इस बीमारी से सफलतापूर्वक जूझते हुए. ये चैम्पियन प्लेयर मैदान के बाहर भी शानदार परफ़ॉर्म कर रहा है.
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