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विनेश फोगाट के साथ जो हुआ, उस पर फ़ैन्स का ये रिएक्शन एकदम नया है!

विनेश फोगाट टूट चुकी हैं. उनका परिवार और उनके फ़ैन्स भी. विनेश ऐसे बाहर होंगी ये किसी ने नहीं सोचा था. और इसका असर पर फ़ैन्स पर कैसे पड़ा, चलिए बताते हैं.

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पेरिस ओलंपिक्स में जापान की रेसलर को हराने के बाद विनेश फोगाट ( Photos - PTI)

8 अगस्त की देर रात करीब 10.30 बजे. 50kg रेसलिंग फाइनल से तीन घंटे पहले. इस फाइनल का बीती रात से इंतजार किया जा रहा था. विनेश रेसलिंग के फाइनल में पहुंचने वाली पहली इंडियन महिला रेसलर बन चुकी थीं. अब बारी थी ओलंपिक्स में सबसे बड़ा मेडल लाने वाली महिला बनने की.

उनका परिवार, उनके फ़ैन्स, यहां तक कि उनके आलोचक भी इस फ़ाइनल का इंतजार कर रहे थे. इस उम्मीद के साथ कि विनेश इतिहास रचेंगी. विनेश वो करेंगी जो अब तक कोई भारतीय महिला पहलवान नहीं कर पायी थी.

फ़ैन्स के नज़रिए से अब कुछ गलत नहीं हो सकता था. विनेश को वो सब मिलने ही वाला था, जो वो डिज़र्व करती थीं. सेमी-फाइनल जीतने के बाद से ही विनेश ने इसके लिए काम भी करना शुरू कर दिया था.

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रस्सी कूदीं, साइकलिंग की, बाल काटे, कपड़े छोटे किए... शरीर से खून तक निकाल डाला. और ये सारी जद्दोजहद क्यों? क्योंकि उन्हें 8 अगस्त की सुबह करीब 7.30 बजे तक अपना वजन 50kg के अंदर लाना था. लेकिन ये सब कम पड़ गया.

8 अगस्त की सुबह 11.45 तक ये बात पूरे इंडिया में फैल गई. विनेश गोल्ड मेडल मैच से पहले ही डिस्क्वॉलिफाई हो गई. विनेश का सपना टूट गया. जो लोग चीख-चीखकर कह रहे थे, म्हारी छोरी गोल्ड ला रही, विनेश के साथ वो भी टूट गए.

समझ नहीं आया क्या हुआ, कैसे हुआ. लेकिन इस सपने पर 100 ग्राम का एक्स्ट्रा वज़न भारी पड़ा. हैरान फ़ैन्स निराश मन के साथ दुख मना अपने-अपने काम में लग गए. और हम जैसे लोग विनेश पर अपडेट खोजने में.

बीच-बीच में, मन में चला कि किस्मत इतनी निर्दयी कैसे हो सकती हैं. क्या हमारे साथ कभी कुछ ऐसा हुआ तो हम झेल पाएंगे. पूरे दिन काम के बीच ऐसे विचार आते जाते रहे. विनेश, सॉरी 50Kg गोल्ड मेडल मैच के फाइनल पहले जब काम से थोड़ी फुर्सत मिली तो ये विचार फिर लौट आए.

समझ तो अभी भी नहीं आ रहा था कि ये क्यों हुआ. हां, ये जरूर पता था कि ये कैसे हुआ. ये भी पता था कि अब इसे बदला नहीं जा सकता. लेकिन इन सबसे कुछ होना नहीं था. दुख तो दुख है. वो अपना घर बना चुका था. मेरे साथी, जो विनेश की जापानी रेसलर के खिलाफ मिली जीत के बाद से ही गोल्ड का दावा कर रहे थे. वो अब कोई दावा करने की हालत में नहीं थे. बस सर झुकाए बैठे थे.

मैंने उनसे पूछा, क्या हुआ? वो कुछ नहीं बोले, मैंने दोबारा पूछा- विनेश के लिए दुखी हैं? वो कुछ नहीं बोले. बस, इतना ही काफी था ये जानने के लिए कि वो विनेश के लिए दुखी थे. वो विनेश के लिए आंसू बहा रहे थे. मैंने स्पोर्ट्स के लिए किसी मर्द को रोते हुए पहली बार देखा था.

फुटबॉल टीम्स, क्रिकेट टीम्स के लिए गुस्से में चीखते फ़ैन्स पहले भी देखे थे. लेकिन महिला स्पोर्ट्सपर्सन के लिए किसी मर्द को रोते हुए पहली बार देखा था. और ये चीज ये बताने के लिए काफी थी, कि विनेश ने क्या खोया है.

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