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पेरिस 'त्रासदी' के बाद पहली बार बोलीं विनेश ने दिल खोलकर रख दिया!

Vinesh Phogat. भारतीय कुश्ती इतिहास की शायद सबसे अनलकी रेसलर. विनेश 100 ग्राम वजन के चलते फ़ाइनल में नहीं खेल पाई थीं. इस पर खूब बात हुई और अब विनेश ने पहली बार इस पर बात की है.

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विनेश ने डिस्क्वॉलिफ़ाई होने के बाद रखी अपनी बात (AP/X)

विनेश फोगाट देश लौट रही हैं. Paris Olympics 2024 में विनेश दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मेडल लाने से चूक गईं. घर आने से पहले विनेश ने तीन पेज लंबी एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने अपने माता-पिता, पति, डॉक्टर्स, फ़िजियो, OGQ और पेरिस में भारतीय दल के मुखिया रहे गगन नारंग को शुक्रिया कहा है. साथ ही उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि वह आगे भी रेसलिंग जारी रख सकती हैं.

अपने बचपन का ज़िक्र करते हुए विनेश लिखती हैं,

'एक छोटे गांव की छोटी लड़की के रूप में मुझे नहीं पता था कि ओलंपिक्स क्या हैं. और इन पांच छल्लों का क्या मतलब है. एक छोटी लड़की के रूप में मैं लंबे बालों, हाथ में मोबाइल फ़ोन और बाक़ी जो भी काम युवा लड़कियां करती हैं, वो करने के सपने देखती थी. मेरे पिता, जो एक आम बस ड्राइवर थे, वो मुझसे कहते थे कि एक दिन वह सड़क पर बस चलाते हुए, अपनी बेटी को ऊपर जहाज में उड़ते देखेंगे. वो कहते थे कि केवल मैं ही उनके सपने को हक़ीक़त में बदल पाऊंगी.'

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मां के बारे में विनेश लिखती हैं,

'मेरी मां. इनके जीवन के संघर्षों की अलग कहानी लिखी जा सकती है. उनका बस एक ही सपना था कि उनके बच्चों का जीवन, उनसे बेहतर हो. स्वतंत्र होना और अपने बच्चों को उनके पैरों पर देखना ही उनकी सपना था. उनके सपने मेरे पिता की तुलना में बहुत साधारण थे.

पिता के जाने के कुछ ही महीनों बाद, मेरी मां को स्टेज थ्री कैंसर हो गया. यहां से तीन बच्चों की यात्रा शुरू हुई जिनका बचपन अपनी मां को सपोर्ट करने में चला गया. जल्दी ही मेरे लंबे बालों, मोबाइल के सपने दूर हो गए, क्योंकि अब जीवन का सच मेरे सामने था और मैं सर्वाइवल की रेस में उतर चुकी थी.'

तमाम बातों के बीच अपने पति सोमवीर राठी का ज़िक्र करते हुए विनेश लिखती हैं,

'मां हमेशा कहती थीं कि भगवान कभी भी अच्छे लोगों के साथ बुरा नहीं होने देता. अपने पति, जीवनसाथी, संगी और जीवन भर के परम मित्र सोमवीर से मिलने के बाद इस बात पर मेरा यकीन और बढ़ गया. सोमवीर ने अपनी सहचरता और समर्थन के साथ मेरे जीवन में अपनी जगह बनाई. चैलेंज के वक्त हम बराबर के साथी होंगे, ये कहना गलत होगा.

मेरे लिए उन्होंने हर कदम पर क़ुर्बानियां दीं और मेरी कठिनाइयों को अपना बनाया, हमेशा मुझे शील्ड करते रहे. उन्होंने मेरी यात्रा को खुद से ऊपर रखा. और पूरी निष्ठा, लगन और ईमानदारी के साथ अपना साथ पेश किया. अगर वो नहीं होते, तो मैं यहां होने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. यह सिर्फ़ इसीलिए संभव हो पाया क्योंकि मुझे पता था कि वह मेरे साथ हैं, मेरे पीछे और जरूरत पड़ने पर आगे रहते हुए हमेशा मुझे प्रोटेक्ट कर रहे हैं.'

विनेश ने इस चिट्ठी में डॉक्टर दिनशा पारदीवाला, डॉक्टर वेन पैट्रिक लोम्बार्ड, फ़िजियोथेरेपिस्ट अश्विनी पाटिल और अपने पर्सनल कोच वॉलर अकोस को भी शुक्रिया कहा. अंत में अपने भविष्य पर विनेश लिखती हैं,

'कहने को बहुत कुछ है लेकिन इसे बयां करने के लिए शब्द कभी भी काफी नहीं होंगे. जब वक्त ठीक लगेगा, शायद मैं फिर बोलूंगी. 6 अगस्त की रात और 7 अगस्त की सुबह तक, मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने हिम्मत नहीं हारी, हमारे एफ़र्ट्स नहीं रुके, और हमने सरेंडर नहीं किया. लेकिन घड़ी रुक गई और समय उचित नहीं था. ना ही मेरा भाग्य. मेरी टीम, मेरे साथी भारतीयों और मेरे परिवार, ऐसा लगा कि हम जिस लक्ष्य की ओर मिलकर काम कर रहे थे और जो हासिल करने का हमने प्लान किया था, वो अधूरा रह गया, कुछ हमेशा मिसिंग रहेगा और शायद चीजें कभी भी सेम नहीं हो पाएंगी.

शायद अलग परिस्थितियों में, मैं खुद को 2032 तक खेलते हुए देख पाऊंगी, क्योंकि मेरे अंदर लड़ाई और कुश्ती हमेशा रहेगी. मैं इस बात की भविष्यवाणी नहीं कर सकती कि भविष्य में मेरे लिए क्या है. और इस यात्रा में अगला पड़ाव क्या होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि मैं हमेशा ही अपने यकीन और सही चीज की लड़ाई लड़ती रहूंगी.'

बता दें कि विनेश ने पेरिस में अपना सफर खत्म होने के बाद कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह आगे भी खेल सकती हैं.

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