सूर्यकुमार यादव. लगातार चर्चा में हैं. बहुत सारे रन और रिकॉर्ड बनाए ही जा रहे हैं. सूर्या ने बीते बरस, 31 साल की उम्र में इंटरनेशनल डेब्यू किया था. और अब हर रोज उनके बल्ले से निकलते तक़रीबन हर रन के साथ एक जुमला वायरल हो जाता है- सूर्या के 11 साल बर्बाद किए. लोग लगातार बात कर रहे हैं कि सूर्या को 10-11 साल पहले ही इंटरनेशनल कैप मिल जानी चाहिए थी.
किसके चलते बर्बाद हुए सूर्यकुमार यादव के बेशकीमती 10 साल?
सूर्या को दस साल मौके क्यों नहीं मिले?
.webp?width=360)
और बीते एक बरस से सूर्या जैसी बैटिंग कर रहे हैं, भावुक लोग इस मांग से सहमत भी हो जाते हैं. उन्हें सही में लगता है कि सूर्या के साथ गलत हुआ. उन्हें ग्यारह साल पहले मौका मिलना चाहिए था. और ऐसा बोलते वक्त वो लोग सूर्या के डेब्यू रणजी ट्रॉफी सीजन के आंकड़े भी उछाल देते हैं. अब ये बात और सही लगने लगती है. लेकिन इन बातों में कितना सच है और कितना फसाना, आज सिली पॉइंट में इसी पर चर्चा होगी.
# Suryakumar को देर से मौका मिला?जैसा कि एक मशहूर कहावत है- सफलता के कई बाप होते हैं. और असफलता अनाथ होती है. इसी तरह सूर्या का बल्ला चलते ही उनकी सफलता का फायदा उठाने लाखों की संख्या में लोग आ गए. और ये तो हम सभी जानते हैं कि ये कैसे लोग हैं. इन्हें बस अपने एजेंडे से मतलब है. एजेंडा साधने के लिए ये लोग किसी भी हद तक गिर-पड़ सकते हैं.
और गिरे-पड़े लोगों की मानें तो सूर्या ने अपने डेब्यू सीजन में ही सबसे ज्यादा रन बना डाले थे. लेकिन ये सच नहीं है. उस साल सूर्या मुंबई के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले प्लेयर थे. ओवरऑल इस लिस्ट के टॉप पर रोबिन बिष्ट थे. रोबिन ने सिर्फ रणजी ट्रॉफी में 1034 रन बना डाले थे. जबकि सूर्या के उस साल के पूरे फर्स्ट क्लास रन जोड़ लें तो भी यह संख्या हजार नहीं पहुंच पाती. इस सीजन सूर्या ने मुंबई और वेस्ट ज़ोन (दिलीप ट्रॉफी) मिलाकर 10 मैच में 922 रन बनाए थे. बिष्ट के रन ऐसे जोड़ेंगे तो यह संख्या 1331 हो जाती है.
यानी सबसे पहले तो 10 साल बर्बाद वाली थ्योरी यहीं सरेंडर कर गई. क्योंकि वैसे तो हमारे देश में ऐसा कोई चलन है नहीं, कि डोमेस्टिक के टॉप परफॉर्मर को नेशनल टीम में मौका देना ही है. लेकिन अगर ऐसा चलन होता भी, तो भी सूर्या से पहले कम से कम तीन प्लेयर होते. इन तीनों ने ही इस सीजन सूर्या से ज्यादा रन बनाए थे.
और फिर अगले सीजन तो रणजी में अजित आगरकर, धवल कुलकर्णी और रमेश पोवार जैसे बोलर्स ने भी सूर्या से ज्यादा रन बनाए. फिर आया 2013-14 सीजन. इस बार रणजी ट्रॉफी में सूर्या बमुश्किल टॉप-50 में शामिल हो पाए. उन्होंने इस बार 15 पारियों में 40 के थोड़े ज्यादा ऐवरेज से 529 रन बनाए.
जबकि 2014-15 सीजन में सूर्या ने रणजी ट्रॉफी में अपना प्रदर्शन बेहतर किया. टॉप-15 में शामिल हुए. सूर्या ने इस सीजन रणजी ट्रॉफी की 18 पारियों में 43 की ऐवरेज से 690 रन बनाए. जबकि 2015-16 सीजन की रणजी ट्रॉफी की 18 पारियों में सूर्या ने 46 की ऐवरेज के साथ 788 रन बनाए. इस बार वह सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में चौथे नंबर पर रहे.
रणजी ट्रॉफी सीजन | कुल रन | ऐवरेज |
---|---|---|
2011-12 | 754 रन | 68.54 |
2012-13 | 58 रन | 14.50 |
2013-14 | 529 रन | 40.69 |
2014-15 | 690 रन | 43.12 |
2015-16 | 788 रन | 46.35 |
2016-17 | 715 रन | 39.72 |
2017-18 | 460 रन | 38.33 |
2018-19 | 273 रन | 34.12 |
2019-20 | 508 रन | 56.44 |
2016-17 सीजन रणजी ट्रॉफी में सूर्या के नाम 19 पारियों में लगभग 40 की ऐवरेज के साथ 715 रन रहे. इस सीजन 16 बल्लेबाजों ने रणजी ट्रॉफी में सूर्या से ज्यादा रन बनाए. 2017-18 सीजन में सूर्या ने 12 पारियों में 38 की ऐवरेज के साथ 460 रन बनाए. इस बार 36 बल्लेबाजों ने रणजी में सूर्या से ज्यादा रन का योगदान दिया.
रणजी ट्रॉफी 18-19 सीजन में सूर्या का ऐवरेज और गिरा. उन्होंने इस साल 34 की ऐवरेज से कुल 273 रन बनाए. और वह इस सीजन सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में बहुत-बहुत नीचे रहे. जबकि 2019-2020 में सूर्या ने 10 पारियों में 56 से ज्यादा की ऐवरेज से 508 रन बनाए.
और इस सीजन भी दर्जनों बल्लेबाजों ने उनसे ज्यादा रन बनाए. जबकि 2020-21 सीजन में रणजी ट्रॉफी का आयोजन ही नहीं हुआ.
# Suryakumar Yadav IPL Statsये रहे सूर्या के रणजी स्टैट्स. अब IPL की भी बात कर लेते हैं. क्योंकि तमाम बहसों में कई बार ये भी सुनने में आता है कि वह दशक भर से IPL में रन ही रन बना रहे थे. इसलिए उनके IPL स्टैट्स भी देख लिए जाने चाहिए.
साल 2012 में IPL डेब्यू करने वाले सूर्या अभी तक नौ IPL सीजन में बैटिंग कर चुके हैं. इसमें 2012 नहीं जोड़ रहे क्योंकि इस साल उन्होंने बस एक मैच खेला था. हां, तो इन नौ सीजंस में चार बार सूर्या का ऐवरेज 30 के अंदर रहा. और इस दौरान सिर्फ एक बार उनका स्ट्राइक रेट 140 से ऊपर गया. यानी ऐसा भी नहीं कि वह बहुत विस्फोटक खेलने के चक्कर में आउट हो रहे थे.
इन सीजंस को निकालने के बाद बचे पांच सीजन. इनमें सिर्फ दो बार सूर्या का ऐवरेज 40 या उससे ऊपर रहा. जिसमें बीता साल उनका बेस्ट था. यानी सूर्या ने ऐसा कुछ बहुत खतरनाक नहीं किया था जो हमने ना देखा हो. इंडियन क्रिकेट सेटअप में ऐसे बहुत से प्लेयर्स लगातार आते रहे हैं. डोमेस्टिक में गदर काटने वाले दर्जनों धुरंधर एक अदद नीली जर्सी के लिए तड़पकर रह गए. अमोल मुजुमदार जैसे कई उदाहरण हैं. जिन्होंने डोमेस्टिक में भर-भरके रन बनाए लेकिन इंडिया डेब्यू नहीं कर पाए.
ऐसे में सूर्यकुमार यादव के साथ भेदभाव के आरोप लगाना IS NOT FUNNY. उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. कई साल तक किया, लेकिन ये इतना भी दैवीय नहीं था कि उन्हें उठाकर सीधे इंडियन टीम में रख लिया जाता. सूर्या से बेहतर खेलने वाले लोग भी मौजूद थे. और अब, जबकि सूर्या भाऊ का बल्ला बोल रहा है, तब भी ऐसे बहुत दिग्गज हैं जो एक मौके की तलाश में हैं. इसलिए हमें एजेंडों से दूर रहते हुए भाऊ को सपोर्ट करने पर ध्यान देना चाहिए.