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वर्ल्ड कप के महारथी: रोहित शर्मा से 70 रन कम थे, फिर भी MVP कैसे बन गए केन विलियमसन?

इस टूर्नामेंट में Rohit Sharma ने पांच शतक लगाए. Mitchell Starc ने 27 विकेट लिए. Shakib Al Hasan और Ben Stokes ने भी शानदार प्रदर्शन किया. Stokes ने वर्ल्ड कप भी जीता. पर...

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सचिन तेंडुलकर ने केन विलियमसन को दिया था MVP अवार्ड (तस्वीर - गेटी)

सचिन तेंडुलकर, युवराज सिंह, मार्टिन क्रो, सनथ जयसूर्या, लांस क्लूज़नर, ग्लेन मैकग्रा, मिचल स्टार्क और केन विलियमसन. क्रिकेट के इन दिग्गजों में एक चीज कॉमन है. ये सभी वनडे वर्ल्ड कप में अलग-अलग समय पर ‘प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ रहे हैं. बाद के दौर में इसे MVP यानी ‘मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर’ भी कहा जाने लगा.

2023 ODI World Cup क़रीब है. फिर कोई दिग्गज यह अवॉर्ड उठाता दिखेगा. लेकिन उससे पहले आपको इन Cricket MVPs की कहानी सुनाते हैं. शानदार प्रदर्शनों का वो कौन सा सिलसिला था और वो किन हालात में निकला, दी लल्लनटॉप पर ‘वर्ल्ड कप के महारथी’ सीरीज़ में आपको बताएंगे.

इस लिस्ट में पहला नाम है मार्टिन क्रो, और आख़िरी नाम है केन विलियमसन का. दोनों न्यूज़ीलैंड से हैं.

तो चलिए, 2019 से शुरु करके 1992 तक पीछे चलें और जानें वर्ल्डकप टूर्नामेंट्स के सबसे धाकड़ आठ खिलाड़ियों की कहानी.

# मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर

पहले यह जान लीजिए कि मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर कौन होता है. ये उस खिलाड़ी को मिलता है जो न सिर्फ़ खुद को, बल्कि अपनी टीम को भी आगे बढ़ाए. तभी तो रोहित शर्मा के 648 रन, मिचल स्टार्क के सबसे ज्यादा विकेट और शाकिब-अल-हसन के 606 रन प्लस 11 विकेट, केन विलियमसन से पिछड़ गए. केन 2019 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में चौथे नंबर पर थे. उन्होंने 10 पारियों में 578 रन बनाए थे. इसके बाद भी वह MVP चुने गए.

क्यों? क्योंकि, इस अवॉर्ड के लिए खिलाड़ी के निजी प्रदर्शन के साथ टीम पर उसके असर और टूर्नामेंट में उनके सफ़र को भी देखा जाता है. केन की परफॉर्मेंस का सीधा इम्पैक्ट उनकी टीम पर पड़ा था. वो टीम, जिसका ओपनिंग पेयर लगभग ना के बराबर रन बना रहा था. कई मुकाबलों में केन शुरुआती 10 ओवर में ही क्रीज़ संभालने आ गए थे.

# कैसा रहा था वर्ल्ड कप?

अब इन-डेप्थ चलते हैं. समझते हैं कि क्यों ऐसे प्लेयर को MVP चुना गया, जिसने सिर्फ 75 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. फ्लैशबैक!

वर्ल्ड कप के अपने पहले ही मैच में न्यूज़ीलैंड ने श्रीलंका 10 विकेट से पटक दिया. मार्टिन गप्टिल और कॉलिन मुनरो ने बिना विकेट गंवाए 137 रन ठोंक डाले.

अगला मैच बांग्लादेश से था. विलियमसन ने रॉस टेलर के साथ 105 रन की पार्टनरशिप की और टीम को जीत दिलाई. 

अगला मैच एक और एशियाई टीम के खिलाफ़. सामना अफ़ग़ानिस्तान से. 172 का आसान टारगेट मिला पर ओपनर्स फिर ढेर हो गए. 42 रन पर दो विकेट. केन आए, 79 रन की पारी खेली, बिना विकेट गंवाए. रन की जरूरत थी. विकेट बहुत थे, बॉल्स भी बहुत थीं. सात विकेट से जीते.

अगला मैच इंडिया से था. मैच बारिश में धुल गया. पहला बड़ा चैलेंज इस टीम ने झेला ही नहीं. अगले मैच में साउथ अफ्रीका से भिड़े. इन कंडीशन्स में साउथ अफ्रीका की टीम मजबूत होती है. पर विलियमसन ने अच्छी कप्तानी की. क्विंटन डी कॉक, हाशिम अमला, फाफ डु प्लेसी और डेविड मिलर जैसे बल्लेबाज़ों से सजी टीम को 241 पर ही रोक दिया. बॉलर्स को भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए.

एक बार फिर आसान टोटल, एक बार फिर ओपनर्स चित. केन ने फिर मोर्चा संभाला. 138 बॉल में गैप्स ढूंढ-ढूंढकर केन ने नौ चौके लगाकर 106 रन की नाबाद पारी खेली. कॉलिन डी ग्रैंडहोम ने 60 रन बनाकर कैप्टन को सपोर्ट किया. न्यूजीलैंड ने साउथ अफ्रीका को चार विकेट से हराया.

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अगला मैच वेस्ट इंडीज़ से था. न्यूजीलैंड को पहले बैटिंग करनी पड़ी. पहली पांच बॉल में ही दोनों ओपनर्स वापस ड्रेसिंग रूम जा चुके थे. फिर से दारोमदार आया कैप्टन केन पर. टौरंगा शहर से आने वाले इस प्लेयर ने ओल्ड ट्रैफर्ड पर एक बार फिर वही किया, जो वो इस पूरे वर्ल्ड कप में करता आ रहा था. उसने पारी को संभाला. विकेट्स बचाए. फिर धीरे-धीरे रनरेट को बढ़ाना शुरू किया.

केन जब 148 रन बनाकर आउट हुए, उनकी टीम 250 रन का आंकड़ा पार कर चुकी थी और अभी भी चार ओवर्स बाकी थे. 50 ओवर्स में किवी टीम ने 291 रन बनाए. वेस्ट इंडीज़ के लिए क्रिस गेल ने 87 और कार्लोस ब्रेथवेट ने 101 रन की पारियां खेली. पर इतना काफ़ी नहीं था. अच्छी कैप्टेंसी और अच्छी बॉलिंग. न्यूजीलैंड ने पांच रन से ये मैच जीता. प्लेयर ऑफ द मैच, केन विलियमसन.

पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को अगले मैच में हराया. केन ने 41 रन की पारी खेली. अगले दोनों मैच न्यूजीलैंड हार गई. केन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए. इंग्लैंड के खिलाफ भी उनके खाते में 27 रन थे. नॉकआउट में आ गई टीम. पांच में से चार जीतों में से विलियमसन के बल्ले का सीधा कॉन्ट्रिब्यूशन था. बाकी कैप्टेंसी कैसी थी, वो ऐसे समझिए कि ICC ने वर्ल्ड कप 2019 की ‘टीम ऑफ द टूर्नामेंट’ का कैप्टन केन को ही चुना था.

सेमीफाइनल. बहुत सारी बारिश. मैच रिजर्व डे पर पहुंचा. सामने मेन इन ब्लू थी. न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी. विलियमसन ने फिर पचासा जड़ा. रॉस टेलर ने 74 रन बनाए. कीवी टीम ने भारत को 240 का टारगेट दिया. फिर शानदार कैप्टेंसी. केएल राहुल, रोहित शर्मा और विराट कोहली, तीनों 1-1 रन बनाकर आउट हो गए. धोनी ने 50 और जडेजा ने 77 बनाकर पूरी कोशिश की पर विलियमसन की टीम ने फंदा कसे रखा. न्यूजीलैंड ने फिर फ़ाइनल में जगह पक्की कर ली. 2015 वर्ल्ड कप में इनका सामना हुआ था होस्ट ऑस्ट्रेलिया से और इस बार हुआ, होस्ट इंग्लैंड से.

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फ़ाइनल में केन की टीम ने पहले बैटिंग की. इंग्लैंड को 242 रन का टारगेट मिला. विलियमसन ने फिर बोलर्स को घुमाना शुरू किया. 241 पर इंग्लैंड ऑलआउट हो गई. मैच सुपर ओवर में गया. दोनों टीम्स ने 15-15 रन बनाए. फिर बाउंड्री काउंट के आधार पर इंग्लैंड को चैंपियन चुना गया. 

10 मैच, नौ पारियां, 82.57 का औसत, दो शतक, दो पचासे, और 578 रन. इस प्रदर्शन के दम पर विलियमसन बने वर्ल्ड कप MVP. रोहित शर्मा के पांच शतक उनकी टीम को फ़ाइनल तक नहीं ले जा पाए. स्टार्क की बॉलिंग भी सेमीफाइनल तक ही असरदार रही. शाकिब ने खूब रंग बिखेरा, पर बंगाली टाइगर्स नॉकआउट तक भी नहीं पहुंच सके. स्टोक्स ने वर्ल्ड कप ज़रूर जीता, पर टीम को फ़ाइनल तक ले जाने में उनका योगदान कुछ ख़ास नहीं रहा था. ऐसे में, केन विलियमसन इस अवॉर्ड के लिए बेस्ट चॉइस थे. 

इस स्टोरी में हमने आपको बताया, 2019 वनडे वर्ल्ड कप के मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर की कहानी. अगले एपिसोड में बताएंगे 2015 वनडे वर्ल्ड कप के MVP मिचल स्टार्क की कहानी.

वीडियो: सेमीफाइनल जीतने के बाद क्या बोले केन विलियमसन?