जीवन. मौके. प्रदर्शन. तीन चीजें. तीनों इकट्ठा हो जाएं तो कोई भी अमरोहा से निकल, अंतरराष्ट्रीय पटल पर छा सकता है. भरोसा ना हो, तो मोहम्मद शमी को देख लीजिए. ठीक यही तो किया है. जीवन चल ही रहा था, धर्मशाला में मौका मिला और फिर... शमी भाई के आगे कोई खेल सकता है क्या?
मोहम्मद शमी, ग़ालियों से तालियों तक का खामोश सफ़र!
शमी भाई के आगे कोई खेल सकता है क्या?
मोहम्मद शमी. भर पेट बिरयानी और दम भर बोलिंग. बस इतनी सी कहानी है इनकी. और ये कहानी अब पूरी दुनिया जान चुकी है. क्योंकि इसी कहानी ने भारत को बीते दर्ज़न भर सालों में सिर्फ़ दूसरी बार, वर्ल्ड कप के फ़ाइनल तक पहुंचाया है. थोड़ा पीछे से शुरू करते हैं. वर्ल्ड कप शुरू हुआ. बुमराह का नाम हटा नहीं सकते और सिराज ने जैसी प्रोग्रेस की, उन्हें खेलना ही था.
# Shami Bowlingखामियाजा भुगता शमी ने. शुरुआती मैचेज़ से बाहर बैठकर. फिर हार्दिक पंड्या को चोट लग गई. कुछ ने कहा- शमी का भाग्य जगा. लेकिन भाग्य की एक खासियत है. ये जगता बहुत देर से है और सोने में सेकंड्स नहीं लगाता. शमी को भी ये बात पता ही रही होगी. इसीलिए उन्होंने भाग्य के कान में ऐसा शोर किया, इतनी शिद्दत से किया कि इसकी नींद उड़ चुकी है.
ये सो ही नहीं पाएगा. और ये सब हुआ उसी खामोशी से, जिस खामोशी का उनके करियर में अलग ही रोल रहा है. मैदान के अंदर और बाहर, दोनों तरफ़ के शोर को शमी ने अपनी खामोशी से काटा है. पारिवारिक विवादों से लेकर, फ़ैन्स के अपशब्दों तक, शमी ने पलटकर कभी जवाब नहीं दिया. हालांकि, बॉर्डर पार के हमारे भाई लोग इससे सहमत नहीं होंगे.
इंग्लैंड में शमी ने उन्हें तो हौंक ही दिया था. याद आपको भी होगा. बात 2017 की चैंपियंस ट्रॉफ़ी की है. फ़ाइनल में पाकिस्तान ने 180 रन से हरा दिया. निराश टीम इंडिया ड्रेसिंग रूम की ओर लौट रही थी. पाकिस्तानी फ़ैन्स जोश में चिल्ला रहे थे- बाप कौन है, बाप कौन है. भुवी, युवी, रहाणे समेत बाक़ी लोग आगे बढ़ने लगे.
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लेकिन शमी से नहीं रहा गया. वह पलटकर आए और अंग्रेजी में कहें तो उस फ़ैन को Confront कर लिया. शमी तो उसे और हौंकते, लेकिन धोनी और सिक्यॉरिटी वालों ने उन्हें वापस बुला लिया. बोले, जाने दो लाला. इस एक घटना को छोड़ दें, तो शमी ने हमेशा ही गेंद से बात करना चुना. फिर चाहे 2021 T20 World Cup की बात हो. जहां पाकिस्तान से हारने के बाद, लाखों लोगों ने मिलकर शमी को जाने क्या-क्या कहा था.
या फिर वो दौर, जब उनकी पत्नी ने शमी पर तरह-तरह के आरोप लगाए. शमी अपनी बेटियों से मिलने के लिए तरसते रहे. लेकिन पब्लिक में इसकी शिकायत नहीं की. यहां तक कि एक दफ़ा बहुत परेशान हो गए. अपनी ही जान लेने का मन कर गया. लेकिन ये बात उस वक्त किसी के कान तक नहीं पहुंची. बहुत बाद में, कोविड के दौरान एक दफ़ा रोहित शर्मा के साथ इंस्टाग्राम लाइव में शमी ने ये खुलासा किया. और बाद में बोले- 'मुंह से निकल गया.'
शमी तो ख़ैर तब भी नहीं बोले जब 2015 वर्ल्ड कप के हर मैच से पहले, इंजेक्शन के जरिए उनके घुटने से फ़्लूइड निकाला जाता था. हालात ये थे कि घुटना कहां और जांघ कहां, बता पाना मुश्किल था. घुटने से चार मिलीमीटर का पीस निकला. हर मैच के बाद, शमी से चला भी नहीं जाता था. साथी, सहारा दे उन्हें कहीं लाते-ले जाते. फ़िजियो नितिन पटेल और पेन-किलर्स के दम पर उन्होंने पूरा वर्ल्ड कप खेला. पहले ही मैच में टूटे घुटने के साथ शमी सेमीफ़ाइनल तक खेले.
लेकिन ये बात सबके सामने आई साल 2020 में. कोविड काल के एक इंस्टाग्राम लाइव में. इस चोट के चलते वह पूरे 18 महीने क्रिकेट से दूर रहे. और इन्हीं सबके बीच उनके फ़ैमिली इशूज़. लेकिन शमी चुप रहे. तैयारी की, वापसी की. और उनके समर्पण के क्या ही कहने. साल 2016. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़ कोलकाता में टेस्ट. शमी ने छह विकेट अपने नाम किए. भारत ने बहुत आसानी से मैच जीता.
और मैच के बाद पता चला कि उनकी 14 महीने की बेटी इस पूरे वक्त ICU में थी. शमी दिन का खेल खत्म कर ICU जाते और अगली सुबह फिर गेंद के साथ मैदान में दिखते. तमाम क़ुर्बानियों के बावजूद शमी के हिस्से अक्सर, ग़ालियां ही आई हैं. इस बार माहौल बदला दिख रहा. चारों तरफ से शमी के लिए तालियां बज रही हैं. उम्मीद है कि तालियों का ये शोर 19 नवंबर को फ़लक छू लेगा. वो भी उस नरेंद्र मोदी स्टेडियम में, जो शमी का दूसरा घर है.
जी हां, अमरोहा के सहसपुर से निकले इस लड़के के भारत में दो घर हैं. स्पेयर पार्ट की दुकान चलाने वाले तौसीफ़ अली के बेटे ने यूं तो हर हिंदुस्तानी के दिल में घर कर लिया है, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में वह कोलकाता और गुजरात के हैं.
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