Shane Warne ने एशेज की अपनी पहली ही गेंद से खुद के आने का ऐलान कर दिया था (गेटी फाइल)
शशांक चतुर्वेदी. ‘लल्लनटॉप’ के दोस्त हैं. पढ़ने-लिखने में खूब इंट्रेस्ट रखते हैं. स्पोर्ट्स के समसामयिक और ऐतिहासिक विषयों पर लिखना और पढ़ना खूब पसंद है. नोवाक ज़ोकोविच, रॉजर फेडरर और राफा नडाल के जबरा फैन हैं. बास्केटबॉल से लेकर क्रिकेट तक पर बात करने के लिए कभी भी उपलब्ध रहते हैं. शुक्रवार, 4 मार्च 2022 को दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न 52 साल की उम्र में स्वर्गवासी हो गए. ऐसे में शशांक ने वॉर्न की पहली एशेज़ सीरीज पर लिखा अपना एक पुराना लेख हमें सौंपा है. पढ़िए
1993 की एशेज से पूर्व इंग्लिश मीडिया में शेन वॉर्न को लेकर उत्सुकता थी. कि एक सुनहरे बालों वाला, कानों में आभूषण पहनने वाला लेग स्पिनर आ रहा है, जो बहुत लंबी स्पिन कराता है. परंतु वॉर्न का अब तक का कीर्तिमान ऐसा नहीं था, जिससे विपक्षी चिंतित या भयभीत हों. उन्होंने 11 मैच में 31 की औसत से कुल 31 विकेट ही लिए थे. अपनी पहली एशेज सीरीज के लिए इंग्लैंड जा रहे शेन वॉर्न ने फ्लाइट में अपने साथ बैठे तेज गेंदबाज मर्व ह्यूज्स से कहा,
'मैंने 1989 वाली एशेज टेलीविजन पर देखी थी. अद्भुत श्रृंखला थी. अंडरडॉग मानी जा रही हमारी टीम ने कितनी बुरी तरह से Poms (इंग्लिश टीम) को पराजित किया था.'
ह्यूज्स ने कहा,
'मित्र, वह दौरा ऐतिहासिक था, एक बार इंग्लैंड पहुंचने के बाद किसी फ्लाइट में चढ़ना नहीं था. 'XXXX' द्वारा मिली मुफ्त की बीयर पीते हुए बस में पूरा देश भ्रमण करने को मिलता था, काउंटी मैच आसान थे, टेस्ट में भी रविवार की छुट्टी और सबसे अच्छी बात कि इंग्लैंड घटिया टीम थी.'
इस टूर पर ऑस्ट्रेलिया को पहला काउंटी मैच वुस्टशा के विरुद्ध खेलना था. मैच से पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर ने शेन वॉर्न से एक बात स्पष्ट कर दी,
'दोस्त, इन इंग्लिश खिलाड़ियों ने तुम्हारी गेंदबाजी अधिक देखी नहीं है. अतः यह एक 'सरप्राइज एलिमेंट' है जिसका लाभ हम एशेज में उठा सकते हैं. फ्लिपर, टॉप स्पिन और गुगली कतई मत फेंकना, सिर्फ लेग स्पिन फेंको.'
इंग्लिश बल्लेबाज ग्रेयम हिक वुस्टशा के लिए ही खेल रहे थे. और वे स्पिन के बहुत अच्छे बल्लेबाज माने जाते थे. बॉर्डर के अनुसार ग्रेयम हिक के पास इस सीरीज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की योग्यता थी, अतः अनुभवी कप्तान बॉर्डर ने काउंटी मैच में वॉर्न से उनकी दाहिनी हथेली में मौजूद सभी चमत्कारी कलाओं का प्रदर्शन करने से मना किया था.
# जब हिक ने पीटा
और फिर हिक ने मैच की दूसरी पारी में 187 रन बनाए और इस दौरान वॉर्न को कुल 8 छक्के जड़ दिए. वॉर्न के मन में क़ई बार आया कि फ्लिपर का प्रयोग कर हिक को जीवन की उन वास्तविकताओं का परिचय दिया जाए, जो उन्होंने कुछ दिन पूर्व वेस्ट इंडीज़ के कप्तान रिची रिचर्डसन को दिए थे. पर कप्तान की बात का स्मरण करके उन्होंने स्वयं पर नियंत्रण रखा. और अपनी गेंदबाजी के विषय में इंग्लिश खिलाड़ियों का ज्ञान थोड़ा सा ही रहने दिया.
वॉर्न ने टूर से पहले विचार किया था कि इंग्लिश टीम के लिए उनकी लेग ब्रेक ही पर्याप्त होगी. पर अब उन्हें अनुभव हो रहा था कि हिक वास्तव में स्पिन खेलने की कला में दक्ष बल्लेबाज हैं. वॉर्न को ग्रेयम गूच और माइक गैटिंग के बारे में पहले से जानकारी थी, अतः उनके आत्मविश्वास को थोड़ा झटका लगा. और इस झटके से उबरने के लिए उन्होंने नेट्स के घंटे बढ़ा दिए. फ्लिपर, लेग स्पिन, टॉप स्पिन, गुगली सबका निरंतर अभ्यास करके वॉर्न ने खुद को वापस पटरी पर लाने के प्रयास शुरू कर दिए. लेकिन वो कहते हैं ना, ज्यादा चिंता नुकसान करा देती है. वॉर्न के साथ भी ऐसा ही हुआ. जरूरत से ज्यादा सोचने के चलते उनके दिमाग में एक शंका ने घर कर लिया था. उन्हें लगने लगा कि कहीं हिक की पिटाई के चलते उनकी जगह टिम मे को ना मिल जाए. और इसी सोच-विचार के बीच आ गया सीरीज का पहला मैच. मैनचेस्टर शहर का ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान. मैच से ठीक पहले की रात में कप्तान बॉर्डर ने वॉर्न से कहा,
'तुम्हारे हाथ से गेंद बहुत अच्छी निकल रही है. हम कल तुम्हें अंग्रेजों पर छोड़ेंगे और तुम उनकी धज्जियां उड़ा दोगे.'
कप्तान बॉर्डर के इन शब्दों ने शेन वॉर्न को बहुत आत्मविश्वास दिया. टॉस से पहले वॉर्न थोड़े एकदम बेक़रार थे. वे अतिशीघ्र मैदान में आकर हिक समेत बाकी अंग्रेज बल्लेबाजों को दर्शाना चाहते थे कि उनके तरकश में लेग ब्रेक के अलावा भी तीर हैं. इंग्लैंड ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. 1989 वाली एशेज में 839 रन बनाने वाले मार्क टेलर ने यहां भी एक उत्कृष्ट पारी खेलते हुए 124 रन बनाए. और ऑस्ट्रेलिया को 289 तक पहुंचाया. जवाब में माइकल आथर्टन और ग्रेयम गूच की जोड़ी ने 71 रन की साझेदारी करके इंग्लैंड को ठोस शुरुआत दी. और फिर मर्व ह्यूज्स ने आथर्टन का विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को प्रारंभिक सफलता दिलाई.
# वक्त आ गया
नम्बर तीन पर आए माइक गैटिंग को पिच पर आए कुछ मिनट हो चुके थे. गूच और गैटिंग दोनों स्पिन के अच्छे खिलाड़ी थे. एक और साझेदारी बनने का रिस्क ना लेते हुए कप्तान बॉर्डर ने अपने रहस्यमयी अस्त्र के प्रयोग का निर्णय ले ही लिया. वो क्षण आ गया था जिसकी प्रतीक्षा शेन वॉर्न को वर्षों से थी. बॉर्डर ने उन्हें गेंद थमाते हुए कहा,
'मैं नहीं चाहता कि गैटिंग सेट हो जाए.'
इस वक्त शेन कीथ वॉर्न अपने मस्तिष्क में उपस्थित नकारात्मक विचार रूपी दैत्यों से संघर्ष कर रहे थे. पर उन्होंने स्वयं से कहा कि इसी पिच पर इंग्लिश ऑफ स्पिनर पीटर सच ने ऑस्ट्रेलिया के छह खिलाड़ियों को आउट किया है. अतः मुझे तो बस पिच में उपस्थित टर्न का उपयोग करना है. मैनचेस्टर की हवा में ठंड थी, जो उनकी बेचैनी को और बढ़ा रही थी. और साथ ही अपने पहले एशेज मोमेंट का पूर्वानुमान करके थोड़ी कंपकपी भी हो रही थी. नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े इंग्लिश कप्तान ग्रेयम गूच वॉर्न को घूर रहे थे, उन्हें अस्थिर करने के उद्देश्य से उनकी एक-एक गतिविधि को बारीकी से देख रहे थे. शेन वॉर्न ने लंबी सांसें लेनी आरम्भ कीं, नकारात्मक विचार और कंपकंपी दोनों समाप्त हो गए. अंतरात्मा से आवाज आई,
'ठीक है दोस्त, बस इस लेग ब्रेक को निपटाओ और इंग्लैंड ड्रेसिंग रूम को संदेश भेज दो कि मैं गेंद को लंबा घुमा सकता हूं.'
अब ट्रिगर खींचने का समय था. वॉर्न आगे बढ़े. सुंदर एक्शन. गेंद उनकी हथेली से इससे अच्छी निकल ही नहीं सकती थी. अब गेंद निकल तो चुकी थी... पर करेगी क्या? बहुत कुछ बल्लेबाज के कौशल पर निर्भर करता था. अगली सारी क्रियाएं आधे सेकेंड में हुईं, पर वॉर्न के लिए यह अनंतकाल था. गेंद अचानक 'डिप' हुई. लेग स्टंप के बाहर गिरी और स्पिन हुई. स्पिन भी कैसी अद्भुत! गैटिंग ने बिना गेंद की पिच तक गए लेग स्टंप की लाइन में गेंद को खेलने का प्रयास किया पर वे गेंद से किसी भी प्रकार का सम्पर्क करने में असफल रहे. गेंद उनके बल्ले को परास्त करती हुई ऑफ स्टम्प के शीर्ष से टकराई.
'शुरुआत करने का बुरा तरीका तो नहीं है.'
माइक गैटिंग पूर्णतः मुग्ध-मौन-अवाक्. कॉमेंटेटर रिची बेनो के शब्द थे,
'गैटिंग को एकदम आइडिया नहीं है कि उनके साथ क्या हो गया. अभी तक नहीं पता.'
माइक गैटिंग ऐसे स्तब्ध खड़े थे, मानो पिच ने उनके साथ विश्वासघात किया हो. मानो उन्होंने कोई भयावह स्वप्न देखा हो. मानो वे पिच से गेंद के इस आपत्तिजनक व्यवहार का कारण जानना चाहते हों. आश्चर्य को अपने मुखमंडल पर लिए वे पैवेलियन की ओर चल दिए. और इस पूरी यात्रा में सिर को अविश्वास के साथ सिर हिलाते रहे. इंग्लिश समाचारपत्र डेली मेल के प्रसिद्ध स्तंभकार इयन वुलब्रिज़ ने इस बारे में लिखा,
'जब तक उसने पीछे देखा और उसे कुछ पता चला, तब तक गेंद सब चीरती हुई ऑफ स्टंप पर जाकर लग चुकी थी. गैटिंग के चेहरे के भाव देखकर साफ था कि गेंद मंगल ग्रह से आई थी.
इधर ऑस्ट्रेलियन विकेटकीपर इयन हीली ने वॉर्न से कहा,
'दोस्त, यह इतनी अच्छी गेंद थी कि तुम शायद ही दोबारा ऐसी कर पाओगे.'
ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम शोर से भर चुका था. ऑस्ट्रेलियन टीम अगले बल्लेबाज रॉबिन स्मिथ के लिए प्रतीक्षारत. वॉर्न की गेंदें स्मिथ के बल्ले के पास से निकलीं, अंतिम गेंद पर स्मिथ ने एक आकर्षक ड्राइव लगाकर चौका प्राप्त किया. लेकिन एशेज में अपनी पहली ही गेंद पर विकेट लेने वाले वॉर्न को कोई दुःख नहीं था. वे तो मात्र इस प्रतीक्षा में थे कि कब मर्व ह्यूज्स अपना ओवर पूरा करें और गेंद पुनः उन्हें मिले. वॉर्न के अगले ओवर में रॉबिन स्मिथ स्ट्राइक पर थे.
# Shane Legend Warne
वॉर्न ने विचार कर लिया था कि वैसी ही गेंद फेंकनी है जो उन्होंने गैटिंग को फेंकी थी. स्मिथ ने ड्राइव का प्रयास किया... फिर से अच्छी टर्न, बाहरी किनारा और गेंद पहली स्लिप में उपस्थित 'टबी' अर्थात मार्क टेलर के हाथों में. शेन वॉर्न अपने पहले एशेज टेस्ट की पहली 7 गेंदों में ही दो बड़े विकेट ले चुके थे. इस मैच में उन्होंने कुल आठ विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच बने. ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 179 रन से जीत लिया. इंग्लैंड के महान तेज गेंदबाज फ्रेड ट्रूमन ने सीरीज से पहले 'द पीपल' में लिखा था कि ऑस्ट्रेलियन सेलेक्टर्स ने शेन वॉर्न और टिम मे को टीम में चुनकर इंग्लैंड को एशेज उपहार में दे दी है. और इस सीरीज में गूच, गैटिंग और हिक रनों के अंबार लगाएंगे. उनकी ये बात केवल गूच के बारे में सत्य सिद्ध हुई. जिन्होंने इस सीरीज में सबसे ज्यादा 673 रन बनाए, लेकिन चार टेस्ट मैच के बाद उनकी कप्तानी जा चुकी थी. दो टेस्ट के बाद गैटिंग और हिक दोनों को ड्रॉप कर दिया गया था. वॉर्न ने इस सीरीज के छह मैच में 25.79 की औसत से 34 विकेट लिए, उनकी इकॉनमी मात्र 1.99 रन प्रति ओवर रही. उन्होंने कुल 178 मेडन फेंके. यह इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए धीमा टॉर्चर था. ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज 4-1 से जीती. गैटिंग को फेंकी गई वॉर्न की गेंद क्रिकेट की लोकगाथाओं का हिस्सा बन चुकी थी. इंग्लिश बल्लेबाजों के मन में ऐसा भय किसी और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज का नहीं रहा. इस सीरीज में वॉर्न ने इंग्लिश बल्लेबाजों के दिमाग से ऐसा खेला कि उनकी खराब गेंदों पर भी अंग्रेज अपने विकेट दे रहे थे. गूच जैसे महान बल्लेबाज भी उनकी एक खराब गेंद को मिडविकेट के हाथों में मार बैठे. वॉर्न की फुलटॉस को सीधे कवर के हाथ में थमाने वाले एलेक स्टीवर्ट ने तो बाद में स्वीकार भी किया था,
'वो मुझे नियंत्रित कर रहा था.'
रॉबिन स्मिथ ने यहां तक कह दिया था कि वे वॉर्न का सामना करने के बजाय एक खतरनाक पिच पर सिल्वेस्टर क्लार्क का सामना करना चाहेंगे. स्मिथ ने कहा था,
'वो मेरे दिमाग में घुस गया था. उसने मुझे उन शैतानों के साथ डराया जो सच में थे ही नहीं.'
स्मिथ बताते हैं कि साल 2000 में जब वे हैम्पशर काउंटी के कप्तान थे, तब शेन वॉर्न इस टीम का हिस्सा बने. पहले दिन के प्रैक्टिस सेशन में वॉर्न ने स्मिथ को तीन बार आउट कर दिया. स्मिथ ने उन्हें तत्काल हट जाने को कहा, क्योंकि वे प्रैक्टिस सेशन से अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाना चाहते थे, घटाना नहीं. वॉर्न ने इंग्लैंड के खिलाफ 36 टेस्ट मैच में 23.26 की औसत से 195 विकेट लिए. लेकिन उनका पहला विकेट बाकी 194 की तुलना में अलग ही रहेगा.