कबड्डी. कमाल का खेल है. ये भारत में प्रचलित उन चंद खेलों में से एक है जो शहरों से ज्यादा गांवों में खेले जाते हैं. इस खेल को ऑलमोस्ट सारे भारतीय समझते हैं. और आज इस खेल पर सिली पॉइंट में चर्चा इसलिए, क्योंकि इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को दिखा रहे सहारनपुर के एक वीडियो ने इंटरनेट पर बवाल मचा रखा है. अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, तो मामला आपको पता होगा.
शौचालय में खाना देख किलसे लोगों की आंखें ऐसे खुलेंगी!
कबड्डी प्लेयर्स के साथ ऐसा होने में कोई हैरानी नहीं.

और अगर नहीं पता, तो चलिए बताते हैं. सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में स्टेट लेवल अंडर-17 कबड्डी टूर्नामेंट खेलने आईं लड़कियों को खाना बंट रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि खाना बंटने में समस्या क्या है? तो समस्या ये है कि ये खाना वॉशरूम में रखा है.
# Saharanpur Viral Video
जैसा कि आप इस वीडियो में साफ देख सकते हैं. चावल का बर्तन वॉशरूम के गेट से थोड़ा अंदर रखा है. और उससे कुछ ही दूर कुछ पूरियां पड़ी हैं. इन पूरियों से कुछ फिट की दूरी पर मूत्रालय और उसके बगल में शौचालय है. साथ में वॉश बेसिन्स भी दिख रहे हैं. और इस शौचालय की हालत देखकर साफ है कि इसमें सफाई शायद कुछ महीनों पहले हुई होगी. हालांकि मैं इस बात से बहुत सहमत नहीं हूं.
ख़ैर. आगे बढ़ते हैं. ये वीडियो वायरल हुआ तो प्रतिक्रियाएं आईं. आनी भी चाहिए. क्योंकि सभ्य समाज में किसी भी व्यक्ति को वॉशरूम/टॉयलेट/पखाना/लैटरीन या फिर शौचालय से उठाकर भोजन नहीं दिया जाना चाहिए. और इन प्रतिक्रियाओं के बाद हमने सोचा कि इस पूरे मामले पर चर्चा की जाए. इस मामले के सामने आने के लगभग 24 घंटे बाद उत्तर प्रदेश स्पोर्ट्स नाम के एक ट्विटर हैंडल से संदेश आया,
‘डिपार्टमेंट ने कड़ा एक्शन लिया है. यह खाना ठेकेदार द्वारा पशुओं को खिलाने और फेंकने के लिए रखा था. ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. स्पोर्ट्स ऑफिसर को वॉर्निंग दी गई है. ऐसी घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं.’
बताते हैं कि यह उत्तर प्रदेश के स्पोर्ट्स एंड यूथ डिपार्टमेंट का ऑफिशल ट्विटर हैंडल है. यानी शुरुआत में सरकार ने इस पूरी घटना को नकार दिया. उन्होंने सीधे कह दिया कि यह खाना तो खाने के लिए था ही नहीं. लेकिन बाद में, जब बवाल मचा तो स्पोर्ट्स ऑफिसर अनिमेष सक्सेना को सस्पेंड कर दिया गया. सस्पेंशन का ये आदेश 19 सितंबर का ही है.
यानी सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद सरकार एक्शन में आई. लेकिन भारत में कबड्डी चलाने वाली संस्था अमेचर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया अभी तक चुपचाप बैठी है. जी हां, भारत में हर तरह की कबड्डी चलाने वाली संस्था के नाम में ही अमेचर है. अब आपको बता दें कि स्पोर्ट्स में मुख्यतः दो तरह के लोग होते हैं. पहले- जैसे विराट कोहली और अन्य. ये लोग किसी खेल को प्रोफेशनली खेलते हैं. यानी यही उनका रोजगार होता है. इन्हें ये खेलने के लिए पैसे मिलते हैं.
# कबड्डी कौन चलाता है?
और दूसरे होते हैं अमेचर. यानी हमारे जैसे लोग. जो किसी खेल को मुख्यतः शौकिया खेलते हैं. ऐसी लिस्ट में संडे लीग में खुद पैसे देकर खेलने से लेकर बिना किसी फीस के खेलने वाले लोग तक आते हैं. अब ये संस्था प्रोफेशनल्स की है या फिर अमेचर्स की, हमें नहीं पता. क्योंकि इनके कॉन्टैक्ट में दिए गए नंबर पर फोन करने पर हमें कोई जवाब नहीं मिला.
लेकिन इनके नाम में अमेचर है. और इनकी वेबसाइट पर जाएंगे तो आपको लगेगा जैसे इंटरनेट के शुरुआती दिनों में आ गए हों. इस साइट पर दिए मेनू में ऑफिस बेयरर्स नाम का कोना भी है. लेकिन इस पर क्लिक करने से आप उतनी ही दूरी तय कर पाएंगे, जितनी दूरी आपने भारतीय बुलेट ट्रेन में तय की है. यानी शून्य मीटर. इस लिंक पर क्लिक करने से कुछ नहीं होता.
मेंबर्स की लिस्ट में यूपी कबड्डी के ऑनरेरी सेक्रेटरी के रूप में राजेश कुमार सिंह जबकि प्रेसिडेंट के रूप में विकास सिंह का नाम दिखता है. इनके बारे में गूगल किया गया तो सिर्फ इनके इलेक्शन की ख़बरें मिलीं. और उन्हीं ख़बरों के जरिए पता चला कि इस बार के इलेक्शन अयोध्या में हुए थे. जहां लोकल सांसद लल्लू सिंह को यूपी कबड्डी असोसिएशन का चेयरमैन चुना गया.
इसी पेज पर AKFI से जुड़े बाकी सदस्यों के बारे में जानकारी है. लेकिन इस संस्था में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के बारे में इस वेबसाइट पर कुछ नहीं है. जिस इवेंट पर पूरा विवाद हुआ, इस वेबसाइट पर उस इवेंट के बारे में कुछ नहीं है. हालांकि इस वेबसाइट को खंगालते हुए हमें एक डॉक्यूमेंट जरूर मिला. सोशल मीडिया पर्सन और कॉमेंटेटर की नौकरी के लिए जारी विज्ञापन में हमें नीचे रिटायर्ड जस्टिस एसपी गर्ग का नाम मिला. इनके नाम के नीचे एडमिनिस्ट्रेटर/प्रेसिडेंट लिखा था.
# AKFI का क्या हाल है?
थोड़ा सर्च किया तो पता चला कि जस्टिस गर्ग को साल 2018 के सितंबर के ही महीने में अगले आदेश तक AKFI का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया था. उन्होंने रिटायर्ड IAS ऑफिसर सनत कौल की जगह ली थी. इससे पहले अगस्त 2018 के महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने जनार्दन सिंह गहलौत और उनकी बीवी मृदुला भदौरिया गहलौत के अपॉइंटमेंट को रद्द किया था.
इन दोनों को लाइफ प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया था. जिसके खिलाफ़ पूर्व कबड्डी प्लेयर और अर्जुन अवॉर्डी महिपाल सिंह समेत कई लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी. जिसके बाद कांग्रेस के नेता जनार्दन और उनकी बीवी के अपॉइंटमेंट को रद्द किया गया. साल 2021 में जनार्दन का निधन हो गया. निधन के वक्त, वह इंडियन ओलंपिक्स असोसिएशन के वाइस-प्रेसिडेंट थे. जनार्दन 28 साल तक AKFI के प्रेसिडेंट भी थे. साथ ही वह इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष भी थे.
यानी इस संस्था में पिछले कई सालों से कुछ भी ठीक नहीं है. और जब संस्था का ऐसा हाल है, तो एजग्रुप में खेलने वाले प्लेयर्स का हाल कितना अच्छा हो सकता है? सहारनपुर की घटना शर्मनाक ही सही, लेकिन इसने लोगों को आंखें खोलने पर मजबूर तो किया. कम से कम लोग देखेंगे तो, कि ग्लैमर वाली लीग के पहले और बाद में इस देश में कबड्डी का क्या हाल है.
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