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वर्ल्ड कप के महारथी: जब सचिन ने 2003 वर्ल्ड कप को अपना बना लिया!

एक शतक, छह पचासे. दो बार नर्वस 90s. सचिन ने 2003 में जो कर दिया था, उसकी बराबरी आजतक नहीं हुई है. शोएब अख़्तर को जड़ा वो छक्का, तो आज भी हर क्रिकेट फैन के जेहन पर चिपका हुआ है.

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पाकिस्तान के खिलाफ वो पारी करोड़ों को याद है! (तस्वीर - ICC)

2 अप्रैल, 2011. धोनी ने नुवान कुलसेकरा को छक्का मारा. दो पल के लिए वानखेडे संग पूरा देश सन्न रह गया. भारत ने 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता था. 22 साल से एक लड़का इस सपने को जी रहा था. चेहरे पर ऐसी हंसी, जिसे देखने को जाने कितनी आंखें तरस गई थी. लोगों ने अपना पूरा-पूरा शरीर रंगा लिया था. उस 'बच्चे' को विराट कोहली ने कंधे पर उठाया. यूसुफ़ पठान और सुरेश रैना ने सपोर्ट दिया और विक्ट्री लैप कराया. भारत के साथ-साथ सचिन तेंडुलकर का सपना पूरा हो गया था. वो सपना,

ये कहानी है उस बच्चे की, जिसने 1983 में कपिल देव की टीम को वेस्ट इंडीज़ के दिग्गज़ों को हराते देखा, और बल्ला उठा लिया. ठीक 20 साल बाद, सचिन इस कारनामे को दोहराने की कगार पर खड़े थे, पर ऑस्ट्रेलिया ने रोड़ा लगा दिया. रिकी पॉन्टिंग की टीम ने जब वर्ल्ड कप जीता, सचिन पर कॉमेंटेटर ने कहा,

'सचिन खुशी-खुशी अपना अवॉर्ड उस ट्रॉफ़ी से बदल लेंगे, जो अभी रिकी पॉन्टिंग और उनकी टीम के हाथ में है.'

2003 वर्ल्ड कप फ़ाइनल के बाद सचिन को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था. लेकिन उनका चेहरा ये कहानी बयां कर रहा था, जिसे कॉमेंटेटर ने शब्दों में पिरोया. इस टीम को सचिन ने लंबे समय से अपने कंधे पर ढोया था. फ़ाइनल में वो नहीं चले. सहवाग ने पूरी कोशिश की, पर ऑस्ट्रेलिया कुछ ज्यादा ही मज़बूत थी.

ये है द लल्लनटॉप की नई सीरीज़, वर्ल्ड कप के महारथी. इसमें हम आपको हर वनडे वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने जाने वाले प्लेयर्स की कहानी बता रहे हैं. इस एपिसोड में कारवां पहुंचा है साउथ अफ्रीका, और साल है 2003. कहानी है सचिन तेंडुलकर की, जिन्होंने वर्ल्ड कप में वो यश कमाया, पूरी दुनिया ने उन्हें सलाम ठोका.

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# कैसा रहा था वर्ल्ड कप?

- द नीदरलैंड्स के खिलाफ भारत को जीत मिली. मास्टर ब्लास्टर ने वर्ल्ड कप की शुरुआत पचासे से की. दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने हराया. सचिन ने टीम के लिए सर्वाधिक रन्स बनाए.

- ज़िम्बाब्वे के खिलाफ 81, नामीबिया के खिलाफ 152, इंग्लैंड के खिलाफ़ 50 और पाकिस्तान के खिलाफ 98. भारत ने हर मैच जीता. शोएब अख़्तर को बैकवर्ड पॉइंट के ऊपर से छक्का तो आपको याद ही होगा. इन चार में से तीन मैच में सचिन को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. पाकिस्तानी बॉलर्स को सचिन ने ग्राउंड के हर कोने में मारा.

- केन्या में कप्तान सौरव गांगुली ने मोर्चा संभाला और 107 बनाकर भारत को मैच जिताया. श्रीलंका के खिलाफ़ सचिन ने फिर 97 रन की पारी खेल टीम को मैच जिताया. सेमीफाइनल में केन्या के खिलाफ़ फिर पचासा. 83 रन की पारी. भारत ने 1983 के बाद पहली बार फ़ाइनल तक का सफर तय किया था.

फ़ाइनल में मुकाबला कंगारुओं से था. वो टीम, जिसने 1999 में वर्ल्ड कप जीता था. भारत को हराकर ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर वर्ल्ड चैंपियन बनी. प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के लिए तेंडुलकर को चुना गया.

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11 मैच, एक शतक, छह पचासे, 61.18 का औसत, 673 रन. एक वर्ल्ड कप में इससे ज्यादा रन्स आजतक नहीं बने. सचिन ने 2003 में जो किया, वो इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गया. सचिन का प्रदर्शन ऐसा था, उनके आसपास कोई नहीं था. सौरव गांगुली तीन शतक जड़कर भी 465 रन तक ही पहुंच सके थे. 208 रन पीछे. पॉन्टिंग और 50 रन कमतर थे. इसीलिए तो 2003 वर्ल्ड कप को कई फ़ैन्स 'सचिन के वर्ल्ड कप' के रूप में भी याद करते हैं. अब चलिए, इस फैक्ट के साथ आपको अलविदा कहते हैं - सचिन ने पूरे टूर्नामेंट नेट्स में बैटिंग ही नहीं की थी. कोई प्रैक्टिस नहीं. मैच खेलने उतरते थे, और ढेर सारे रन्स कूट देते थे.

जो क़िस्सा जोहानसबर्ग में अधूरा रहा, वो 2011 में पूरा हुआ. सचिन का सपना पूरा हुआ. देश का सपना पूरा हुआ. उस टूर्नामेंट के हीरो थे युवराज सिंह. कैसेट को थोड़ा और पीछे घुमाएंगे, और अगला क़िस्सा आपको 1999 का बताएंगे.

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