“क्या अंजलि मेहता से मेरी बात हो सकती है?” जवाब मिला -“वो यहां नहीं हैं, बताइए?” फिर कहा गया- “मैं बैंगलोर से बात कर रही हूं. दरअसल मिस्टर तेंदुलकर, अंजलि से बात करना चाहते हैं.”
पहली मुलाकात और सचिन की टैक्सी के बोनट पर बैठ गई थीं अंजलि
एक दफा जब अंजलि की मां और सचिन की आमने-सामने मुलाकात हुई और उन्होंने ये टटोलना चाहा कि सचिन कहीं बाकी क्रिकेटर्स की तरह प्लेबॉय तो नहीं है? इस पर सचिन का जवाब था, “हम शादी करना चाहते हैं.”
1991 की एक दोपहर एनाबेल मेहता मुंबई के वार्डन रोड पर बने अपने घर में थीं. ये फोन उनकी बेटी अंजलि के लिए आया था. और दावा था कि ये फोन सचिन रमेश तेंदुलकर ने करवाया है. देखिए, इस कहानी के क्लाइमैक्स का स्पॉइलर तो आपको पहले से ही मालूम है, कि 24 अप्रैल 1994 को दोनों की सगाई हुई, और साल भर बाद 24 मई 1995 को दोनों की शादी हो गई. लेकिन, संत और घोंघाबसंत दोनों ही कह गए हैं, “मज़ा मंजिल में नहीं, सफ़र में है.” तो आज आप जानेंगे, दोनों के दरमियान प्यार परवान कैसे चढ़ा?
ये कहानी अंजलि की मां, एनाबेल मेहता ने अपनी किताब, “My Passage to India: A Life” में साझा की है. किताब वेस्टलैंड प्रकाशन से छपी है, कीमत है, 699 रूपये. इस किताब में कहन है, एनाबेल मेहता का और जैसा-जैसा उन्होंने कहा, वैसा-वैसा लिखा है, ब्रिटिश पत्रकार जोर्जिया ब्राउन ने.
शाहरुख़ खान की फिल्म “दिल से” में अमरनाथ और मेघना को पहली नजर में प्यार हो जाता है. हालांकि रील लाइफ में ये ट्रेन में घटा था. और सचिन-अंजलि की रीयल लाइफ में ये सब हुआ, मुंबई एयरपोर्ट पर. साल 1990 के सितंबर की बात है. अंजलि अपनी सबसे पक्की दोस्त अपर्णा के साथ अपनी मां एनाबेल को रिसीव करने आई थीं. जो इंग्लैंड से अपनी मां से मिलकर वापिस लौट रहीं थीं. उसी दौरान भारतीय टीम का जहाज भी विदेश से लौटा था. उनकी दोस्त अपर्णा ने इशारा किया कि देखो वो भारतीय टीम के लोग हैं. एक लड़के के भरे हुए गालों और घुंघराले बालों को देखकर अंजलि ने पूछा, ये कौन है? इतने में ही दोनों की एक-दूसरे पर नजर पड़ी. और अगले ही पल वे अपर्णा को लेकर सचिन के पीछे सीढ़ियों पर दौड़ पड़ीं. हां, वे दोनों लेने एनाबेल को आई थीं, पर अभी कुछ और इम्पोर्टेंट था. उस वक्त अंजलि की उम्र 21 साल थी और सचिन की 17.
अगले दिन के अखबारों में खबर थी कि कुछ लड़कियों ने एयरपोर्ट पर सचिन को देखते ही उन्हें घेर लिया और उनकी टैक्सी के बोनट तक पर बैठ गई थीं. उन दिनों अंजलि जमशेदजी जीजाबाई अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं थीं और सचिन के साथ पाकिस्तान में वकार यूनुस की बाउंसर पर नाक से खून बहने वाला एपिसोड हो चुका था.
एनाबेल को उम्मीद थी कि उनकी बेटी किसी डॉक्टर, ऑक्सफ़ोर्ड ग्रैजुएट, आईटी ग्रैजुएट, से शादी करेंगी. उन्हें दूर-दूर तक इल्हाम नहीं था, कि उनकी बेटी को किसी क्रिकेटर से प्यार हो जाएगा. क्योंकि, अंजलि को क्रिकेट में दिलचस्पी थी ही नहीं. लेकिन इधर सचिन और अंजलि की लगातार मुलाकातें होती रहीं और दो सालों तक उन्होंने ये बात घर से छिपाकर भी रखी. जिसका एनाबेल को आज तक ताज्जुब होता है. पर, वो प्रेम ही क्या जो आपके तय सांचों को न तोड़े. अंजलि ने इंग्लैंड में रहने वाली अपनी मामी हेलेन को “Idiot’s Guide to Cricket” किताब भिजवाने की दरख्वास्त भेजी. अंजलि ने किताब भेजी और सचिन से कहाम, ‘अब पूछो क्रिकेट के बारे में जो पूछना है.’ सचिन ने पहले ही सवाल पर कैच आउट करने का सोचा. पूछा- काऊ कॉर्नर क्या होता है? अंजलि का डॉक्टर वाला दिमाग था, उन्होंने किताब में से जैसा पढ़ा था, हूबहू सुना दिया. अब क्लीन बोल्ड होने की बारी सचिन की थी.
अब हम वो फोन वाला किस्सा पूरा कर लेते हैं. जहां से हम इस कहानी में दाखिल हुए थे. तो मां की जांच-पड़ताल पर अंजलि ने ये कहकर टाल दिया कि ये उनके साथ पढ़ने वाले मफ्फी की कारस्तानी होगी. और इधर उन्होंने मफ्फी से सचिन का नंबर निकलवाया. और फोन किया. खुद को इंट्रोड्युस किया कि हम एयरपोर्ट पर मिले थे. सचिन ने जब ये दावा किया कि उन्हें सब याद आया. तो अंजलि ने पूछा उस दिन मैंने टी-शर्ट कौनसी पहनी थी? सचिन को याद था, बोले ऑरेंज. एनाबेल कहती है, बाकी तो इतिहास है पर प्रेम इन्हीं सामान्य घटनाओं में घट रहा होता है.
इसके बाद 1992 में जब सचिन योर्कशायर के लिए खेल रहे थे, तब भी अंजलि अपनी नानी के यहां रुकीं ताकि वे सचिन का खेल देख सकें. ये कुछ पुख्ता संकेत थे. एक दफा जब एनाबेल और सचिन की आमने-सामने मुलाकात हुई. और एनाबेल ने ये टटोलना चाहा कि सचिन कहीं बाकी क्रिकेटर्स की तरह प्लेबॉय तो नहीं है? इस पर सचिन का जवाब था, “हम शादी करना चाहते हैं.” इसके बाद सचिन की अंजलि के घर पर आवाजाही बढ़ी. परिवार की भी आपस में मुलाकात हुई. और अंत में जब, 24 अप्रैल 1994 को सचिन का इक्कीसवां जन्मदिन था. इसी दिन अंजलि के घर पर 25 रिश्तेदारों के सामने दोनों ने सगाई कर ली. और साल भर बाद 1995 की गर्मियों में शादी. और इतनी सी थी हमारी आज की कहानी.
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