क्रिकेट. मस्त गेम है. भारत में तक़रीबन सारे पुरुषों ने इसे कभी ना कभी खेला हुआ है. जिन्होंने ना खेला, ऑफ़ेंड ना हों. लेखक ने तक़रीबन लिख पहले ही आपको इस लिस्ट से बाहर कर दिया है. हां, तो क्रिकेट की एक टीम में कुल ग्यारह प्लेयर्स एक्टिव होते हैं. और इन ग्यारह प्लेयर्स में से ही एक बंदा होता है जिसे कप्तान या स्किपर बुलाते हैं. स्किपर को कई दफ़ा शॉर्ट में स्किप भी कहते हैं. अब ये होता तो इन्हीं ग्यारह में से एक, लेकिन इसका रोल बाक़ियों से थोड़ा अलग होता है.
रोहित शर्मा यानी वो बंदा, जो धूप में चमक बन गया कैप्टन, लीडर और लेजेंड!
अब इंडिया को इस वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा मैच खेलना है. जीते तो अगला मैच और बड़ा होगा. इन मैचेज़ का रिज़ल्ट चाहे जो हो, रोहित कैप्टन, लीडर और लेजेंड बन चुके हैं. और उनकी टीम क्रिकेट इतिहास की तमाम दिग्गज टीम्स में अपना नाम शुमार कर चुकी है.
और शायद इसीलिए इसे कप्तान बुलाते हैं. कप्तान, जिसका काम फ़ील्ड के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. लेकिन जिम्मा सेम है, अपनी कप्तानी में मौजूद सारे लोगों को सुरक्षित रखते हुए मंजिल तक पहुंचना. मंजिल, जो क्रिकेट में निश्चित तौर पर जीतना ही है. और इस जीत के लिए बहुत कुछ करना होता है. बैटर्स को बैटिंग और बोलर्स को बोलिंग में कोई कमी नहीं छोड़नी होती. तो फ़ील्डर्स को मैदान में चुस्त रहना होता है. और ये सब सही से हो, ये तय करना होता है कप्तान का काम.
# Captain Rohit Sharmaकप्तान ये काम सही से कर ले जाए, तो कोई भी टीम चैंपियन बन सकती है. अब इतनी लंबी भूमिका बंध गई तो चलिए अपने कप्तान पर आ ही जाते हैं. कप्तान, रोहित शर्मा. कई बार आपने देखा होगा कि किसी कप्तान के लिए कैप्टन, लीडर, लेजेंड. तीन शब्द एकसाथ प्रयोग होते हैं. रोहित की कप्तानी का करियर बहुत लंबा नहीं है. लेकिन इनके लिए ये तीन शब्द आसानी से प्रयोग हो सकते हैं. रोहित टीम के कैप्टन हैं ही. और जिस तरह से वो World Cup 2023 में बैटिंग कर रहे हैं, लीडर वही तो करता है.
चलिए, थोड़ा विस्तार से समझते हैं. आप सभी ने तमाम MEME देखे होंगे. जिसमें बॉस और लीडर का अंतर बताया जाता है. बस वही यहां अप्लाई कर लीजिए. इंग्लैंड की बैटिंग देख, हम सब खौराते रहते थे. बोलते थे कि भारत वाले यार कितना आउटडेटेड क्रिकेट खेलते हैं. शुरू में हमें एक मार-कुटाई वाला बंदा चाहिए. पहले तीनों एंकर रहेंगे तो काम गड़बड़ होगा. फिर आया वर्ल्ड कप. रोहित चाहते तो ये काम गिल को दे सकते थे. उनका क्या ही जाता.
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बोल देते- भाई टीम में रहना है तो तेज खेलना ही होगा. लेकिन नहीं. रोहित ने बाहर की आंच अपने साथी पर नहीं आने दी. उन्होंने कहा तू अपना गेम खेल, जो बदलना है, जो रिस्क लेना है, जहां भिड़ना है, वो मैं करूंगा. ऐसे ही तो होते हैं लीडर, बॉस तो कोई भी बन सकता है. लेकिन लीडर बाहर की आंच कभी भी टीम पर नहीं पड़ने देता. वो अपना कंफ़र्ट छोड़ सकता है, लेकिन टीम को डिस्टर्ब नहीं करेगा. बाहर बैठे लोग कितना भी शोर करें, वो शोर टीम तक पहुंचने से रोकना भी लीडर का ही काम है.
लीडर अगर ऐसा सफलतापूर्वक कर पाए, तो टीम का प्रदर्शन ऐसा ही होता है जैसा अभी इंडिया खेल रही है. हर प्लेयर को पता है कि कप्तान उनके पीछे खड़ा है. कोई भी, कुछ भी कहे लेकिन उनके पास कप्तान की बैकिंग है. अगर कुछ गड़बड़ हुई तो उनका कप्तान उनके लिए लड़ेगा. हालांकि, ये चीज इंडियन क्रिकेट में नई नहीं है. सौरव गांगुली भी अपने प्लेयर्स को सपोर्ट करने के लिए किसी भी हद तक जाते थे.
धोनी और कोहली ने भी ये परंपरा जारी रखी. रोहित को धोनी का सपोर्ट इसी का उदाहरण है. और कोहली ने जिस तरह का पेस बोलिंग अटैक बनाया, चार पेसर्स के साथ खेले. उसका फायदा रोहित की टीम को भी मिल रहा है. लेकिन अंततः प्लेयर्स के मन में भरोसा तो रोहित को ही जगाना था. उन्हें ये यक़ीन दिलाना, कि बाहर बैठे लोग उनका भविष्य नहीं निर्धारित कर सकते. ये रोहित का ही काम था. और रोहित इसे पूरी शिद्दत से कर रहे हैं.
उनके रहते कभी, किसी प्लेयर के मन में ये संदेह नहीं आया होगा कि सेलेक्शन कमिटी या बोर्ड या कोच उनके भविष्य पर फैसला कर सकते हैं. सबको पता है कि उनका कैप्टन इन लोगों से निपट लेगा. प्लेयर्स को बस अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना है, बाक़ी सारी चीजें कप्तान साब देख लेंगे. ऐसा नहीं है, कि ये चीजें इंडियन क्रिकेट में पहली बार हो रही हैं, लेकिन जिस तरह से रोहित ये काम कर रहे हैं, वो यूनीक है.
पहले भी दादा ने सहवाग के लिए ओपनिंग छोड़ी. माही ने टीम के लिए नीचे बैटिंग करना चुना. कोहली ने टीम का पूरा एटिट्यूड बदल डाला. लेकिन रोहित की बात ही अलग है. करियर के इस पड़ाव पर उन्होंने हाई रिस्क बैटिंग चुनी. बड़े-बड़े दिग्गज जिस फ़ेज़ में आकर स्लो हो जाते. वहां रोहित ने अपना पूरा गेम ही बदल डाला. सिर्फ़ टीम के लिए. ये पक्का करने के लिए कि किसी और प्लेयर को ये रिस्की गेम ना खेलना पड़े. रोहित ने खुद को दांव पर लगा दिया.
रोहित को अच्छे से पता है कि ये उनका आखिरी चांस है. जीतें या हारें, अगले वनडे वर्ल्ड कप में कप्तान कोई और ही होगा. इसके बाद भी उन्होंने अच्छे लीडर की तरह, टीम को अपने पीछे रख सारी धूप खुद पर आने दी. अच्छी बात है कि इस धूप में रोहित और निखरकर आए. लेजेंड बने.
अब इंडिया को इस वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा मैच खेलना है. जीते तो अगला मैच और बड़ा होगा. और इससे पहले, रोहित और उनकी टीम ने ये पक्का कर दिया है कि इन मैचेज़ का रिज़ल्ट चाहे जो हो, रोहित कैप्टन, लीडर और लेजेंड बन चुके हैं. और उनकी टीम क्रिकेट इतिहास की तमाम दिग्गज टीम्स में अपना नाम शुमार कर चुकी है.
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