13 जुलाई, 2002. लॉर्ड्स का मैदान. 12वें ओवर में रॉनी ईरानी को वीरेंद्र सहवाग ने पहली ही बॉल पर मिड-ऑन के ऊपर से उठाकर मारा. ओवर की पहली ही बॉल पर चौका आने पर दूसरे छोर पर कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly), सहवाग के पास जाते हैं और कहते हैं कि रन रेट सही चल रहा है, पहली ही बॉल पर चौका लग गया है, अब आराम से खेल, हम जीत जाएंगे. ये नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल था. बोर्ड पर इंग्लैंड के 325 रन थे. टीम के पिछले रिकॉर्ड्स पर गौर करें तो टीम फाइनल तक पहुंच तो जाती थी, लेकिन ट्रॉफी से उचित दूरी बनी रहती. लेकिन इस बार कप्तान अपने एक यंग्सटर से कह रहा था - ऐसे ही खेलना है हम जीत जाएंगे.
पहले गांगुली, फिर धोनी, कोहली और अब रोहित...इन धुरंधरों ने टीम इंडिया को चैंपियन बनना सिखा दिया!
Sourav Ganguly के इरादों पर जिस रवायत को MS Dhoni कायम करके गए थे. फिर उसमें Virat Kohli ने अग्रेशन का तड़का लगाया. अब Rohit Sharma उसमें चार चांद लगा रहे हैं.

अपने स्ट्रॉन्ग मांइडसेट से सौरव गांगुली टीम में सिर्फ नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतने का आत्मविश्वास नहीं भर रहे थे, बल्कि भारतीय क्रिकेट की आने वाली पीढ़ियों को सिखा रहे थे कि जीता कैसे जाता है. लॉर्ड्स की लॉबी में टी-शर्ट लहराते गांगुली ने भारतीय क्रिकेट की टोन सेट कर दी थी, कि अब हम दब के नहीं खेलेंगे.

गांगुली को कप्तानी उस दौरान मिली थी कि टीम इंडिया पर मैच फिक्सिंग का दाग लगा था. उस शॉक से उबारने का जिम्मा उठाते हुए गांगुली ने सबसे पहले टीम बनाई. युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग के सहारे गांगुली ने सिर्फ अपनी टीम ही नहीं बनाई, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य का निर्माण भी किया. ये वो खिलाड़ी थे जिन्होंने गांगुली के जाने के बाद भारत को ICC की ट्रॉफीज़ दिलवाई.
लॉर्ड्स के मैदान में शतक लगाकर टेस्ट डेब्यू करने वाले गांगुली ने 49 टेस्ट में कप्तानी की जिनमें 21 मैच में जीत दर्ज की. गांगुली की कप्तानी में भारत 13 मैच हारा, और 15 मैच ड्रॉ रहे. गांगुली की कप्तानी में 2001 में टीम इंडिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीती. टीम ने स्टीव वॉ की टीम को हराकर ऑस्ट्रेलिया की लगातार 16 टेस्ट जीत की विनिंग स्ट्रीक पर विराम लगाया. इसमें कोलकाता के इडेन गार्डेन पर खेले गया दूसरा टेस्ट भी शामिल है. जिसमें वीवीएस लक्ष्मण ने ऐतिहासिक 281 रनों की पारी खेली थी, और द्रविड़ ने 180 बनाए थे. टीम इंडिया ने मैच में ऑस्ट्रेलिया के मुंह से जीत छीन ली थी.

ODI की बात करें तो गांगुली ने 146 मैच में टीम इंडिया के लिए कप्तानी की. इसमें से 76 मैचों में टीम ने जीत दर्ज की. वहीं 65 मैचों में टीम हारी. गांगुली उन कप्तानों में गिने जाते हैं जो मैदान पर अग्रेशन दिखाते थे और BCCI की मीटिंग्स में अपने खिलाड़ियों के लिए लड़ जाते थे. सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले जैसे दिग्गजों के टीम में होने के बावजूद किसी युवा खिलाड़ी को बैक करके खिलाना, और मैच जिताना गांगुली को बखूबी आता था.
रोहित शर्मा और धोनी से पहले 'दादा' ने भारत को ICC चैंपियंस ट्रॉफी में जीत दिलवाई थी. जब 2002 में ICC नॉकआउट का नाम बदलकर ICC चैंपियंस ट्रॉफी किया गया, तब गांगुली की ही कप्तानी में भारत फाइनल में पहुंचा था. हालांकि, बारिश ने खेल बिगाड़ दिया. भारत को ट्रॉफी श्रीलंका के साथ साझा करनी पड़ी.
इसके बाद आया 2003 का वर्ल्ड कप. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में हार गई. यह टीस करोड़ों भारतीय क्रिकेट फैन्स की तरह गांगुली के मन में भी जरूर होगी. पूरे वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया को फाइनल में बुरी हार मिली थी. 1983 के बाद भारत पहली बार ODI वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा था. लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. तब भारतीत टीम का बाइलेट्रल सीरीज़ में दबदबा नहीं था. रिकॉर्ड नहीं बताते कि हम द्विपक्षीय सीरीज़ आसानी से जीत पाते थे. लेकिन गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ICC टूर्नामेंट्स के फाइनल तक जरूर पहुंचने लगी थी.
धोनी एरागांगुली जिस नींव को भरकर गए थे उस पर इमारत बनाई भारत के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने. ICC की कोई ऐसी ट्रॉफी नहीं है जो धोनी ने उठाई ना हो. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप को छोड़कर, जो उनके रहते शुरू नहीं हुई. जहां गांगुली को यंग्स्टर्स को मैनेज करना था वहीं धोनी को क्रिकेट के दिग्गजों को टीम में साथ लेकर चलना था.
2007 में पहली बार साउथ अफ्रीका T20 वर्ल्डकप हुआ और धोनी को कप्तान बनाकर भेज दिया गया. अपनी पहली परीक्षा में धोनी ने पूरे देश का दिल जीत लिया. 24 साल बाद वर्ल्ड कप की कोई ट्रॉफी भारत आई थी. बिल्कुल नई टीम लेकर धोनी ने वो कर दिखाया जो दिग्गजों वाली ऑस्ट्रेलिया भी नहीं कर पाई.

लेकिन जीत का रथ रुका नहीं. धोनी की कप्तानी में वनडे में तो टीम इंडिया कमाल कर ही रही थी, टेस्ट में भारत नंबर 1 के पायदान पर पहुंचा. सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले जैसे महारथी टेस्ट टीम का हिस्सा थे और 27-28 साल के धोनी टीम की कप्तानी कर रहे थे.
फिर आया कप्तान धोनी और कोच गैरी कर्स्टन का दौर. और यहीं से अगले वर्ल्ड कप की टीम बनना शुरू हो गई. 28 साल से भारत के हाथ ODI वर्ल्ड की ट्रॉफी नहीं लग पाई थी. 2003 में हम ट्रॉफी से एक कदम दूर रह गए. लेकिन अपने ही देश में हुए 2011 वर्ल्ड कप में धोनी ने वो कर दिखाया जो गांगुली भी ना कर पाए थे. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वर्ल्ड कप के फाइनल में धोनी का वो ऐतिहासिक छक्का भारतीय क्रिकेट का सबसे रोमांचक पल माना जा सकता है. रवि शास्त्री का वो, 'Dhoni finishes off in style, it's a magnificent strike into the crowd, India lifts the world cup after 28 years', किसको नहीं याद होगा.

मगर धोनी की उपलब्धियों की फेहरिस्त अगर यहीं तक होती तो क्या बात थी. 2013 में धोनी ने चैंपियन्स ट्रॉफी भी जितवाई और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्नानों में शुमार हो गए. गांगुली की कप्तानी में जहां हम ICC ट्रॉफीज़ के फाइनल्स में पहुंच रहे थे, धोनी ने बताया कि फाइनल्स जीते कैसे जाते हैं.
धोनी ने 200 ODI मैच में टीम इंडिया की कप्तानी की, जिनमें से 110 मैच जीते. 74 टी20 मैच में 41 जीते. और 60 टेस्ट मैच में 27 मैच अपने नाम किए. बेहद कड़े मुकाबलों की सबसे कठिन परिस्थितियों में भी धोनी ने कभी मैदान पर अपना आपा नहींं खोया. इसलिए उन्हें कैप्टन कूल के नाम से जाना जाता है. धोनी क्रिकेट जगत के वो कप्तान हैं जिनके के नाम ICC की सारी ट्रॉफीज़ हैं.
कोहली का अग्रेशनकैप्टन कूल के बाद टीम इंडिया की बागडोर मिली 'मिस्टर अग्रेशन' विराट कोहली को. मैदान पर कोहली का अग्रेशन पूरी टीम को जज्बे से भरने के लिए काफी था. कप्तान कोहली के नाम ICC ट्रॉफीज़ भले ना रही हो लेकिन बैक टू बैक सीरीज़ जीतने की आदत जरूरत लग गई थी. कोहली ने 95 मैच में टीम इंडिया की कप्तानी की जिनमें 65 मैच में जीत हासिल हुई. हारे आधे से भी कम 27 मैच.
लेकिन टेस्ट टीम को कोहली ने जिस तरह से तैयार किया, वो अद्भुत था. कोहली को ODI से पहले ही टेस्ट की कप्तानी मिल गई थी. 9 दिसंबर 2014 को विराट कोहली ने अपना पहला टेस्ट मैच कप्तान के रूप में खेला. यह मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में खेला गया था. यह मैच भारतीय क्रिकेट के लिए एक नए युग की शुरुआत थी, जहां कोहली की आक्रामक और निडर कप्तानी सबके सामने आई.
कोहली ने टेस्ट में ऐसी टीम बनाई जिसने बतौर कप्तान उनकी गैर-मौजूदगी में 2021 में गाबा टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ये वही मैच था जिसमें रहाणे बतौर सब्टिट्यूट कैप्टन थे और ऋषभ पंत और चेतेश्वर पुजारा के सामने कंगारू घुटने टेकने पर मजबूर हो गए थे. कोहली ने 68 टेस्ट मैच में टीम इंडिया की कप्तानी की, जिनमें 40 मैच जीते. बतौर भारतीय कप्तान यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था.
रोहित शर्मा: टू बि कंटिन्यूड…फिर वो कप्तान आया जो बैक-टू-बैक टीम इंडिया को फाइनल्स तक पहुंचा भी रहा है और जिता भी रहा है. रोहित शर्मा की कप्तानी में पिछले दो साल में टीम इंडिया तीन ICC ट्रॉफी के फाइनल्स खेल चुकी है. इसमें से दो हम जीते हैं.

2011 के बाद 2023 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत पहुंचा. लेकिन हाल 2003 वाला हो गया. पूरे टूर्नामेंट में भारत सिर्फ एक मैच हारा, वो फाइनल था. अगले साल (2024) T20 वर्ल्डकप था. रोहित की कप्तानी में टीम इंडिया ना सिर्फ फाइनल में पहुंची बल्कि जीती भी. साल भर के भीतर चैंपियन्स ट्रॉफी 2025 आई. भारत एक बार फिर फाइनल में पहुंचा और एक बार फिर ट्रॉफी उठाई.
रोहित को ना सिर्फ टीम इंडिया के कप्तान के रूप में जाना जाता है, वो उन चुनिंदा सफल व्यक्तियों में गिने जाते हैं जिनके जीवन में दिखावा नहीं है. जो मन में है वो सामने है. रोहित अक्सर मैदान में अपनी टीम के खिलाड़ियों को बहुत कुछ बोलते पाए जाते हैं कुछ तो ऐसे तो लिखे ही नहीं जा सकते. बावजूद इसके रोहित के लिए जूनियर्स का सम्मान देखते बनता है.
एक कार्यक्रम में संजू सैमसन बताते हैं कि
2024 टी20 फाइनल से पहले कप्तान रोहित ने मुझसे कहा था कि मैं खेलूंगा. लेकिन मैच से ठीक पहले यह तय हुआ कि टीम में बदलाव नहीं किया जाएगा. रोहित मुझे खुद समझाने के लिए आए कि वो उन्हें क्यों नहीं खिला पा रहे हैं. फिर वो टॉस के लिए गए. टॉस के बाद टीम के साथ जाने के बजाए वो मुझे दोबारा समझाने आए कि मुझे ना खिलाने की वजह क्या है.
यह दर्शाता है कि रोहित के लिए उनकी टीम के प्लेयर्स कितना मायने रखते हैं. रोहित से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि अगर उन्हें दुनिया के पांच मशहूर लोगों के साथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा तो वो किन्हें चुनेंगे. रोहित ने जवाब दिया- ‘सैफू (सरफराज), जायसवाल… मैं अपने गार्डेन वाले लड़कोें के साथ ही ठीक हूं.’
इसी प्रोफेश्नल के साथ-साथ पर्सनल टच की वजह से रोहित अपनी टीम में अच्छी बॉन्डिंग बनाने में सफल होेते हैं. जिसका असर मैदान पर दिखता है.
रिकॉर्ड्स की बात करें तो रोहित की कप्तानी में पिछले तीन ICC टूर्नामेंट में भारत ने 24 में से 23 मैच जीते हैं और दो ट्रॉफी जीती हैं. यह एक अभूतपूर्व प्रदर्शन है. यह दर्शाता है कि भारत अब बड़े टूर्नामेंट के फाइनल वाले प्रेशर से ऊपर उठ चुका है. और इसका श्रेय कप्तान रोहित को दिया जा सकता है.
रोहित शर्मा की 56 ODI मैच में कप्तानी की है. इनमें से 42 में जीत हासिल की है. जीत प्रतिशत 75 है. तीनों फॉर्मैट में कुल 142 मैच में रोहित ने कप्तानी की. 103 मैच जीते, सिर्फ 33 हारे. जीत का प्रतिशत 72 से ज्यादा. टीम इंडिया के कप्तानों में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
यह कहना ज्यादती होगी कि रोहित ऑल टाइम बेस्ट कैप्टन हैं. लेकिन गांगुली के इरादों पर जिस रवायत को धोनी कायम करके गए थे, जिसमें कोहली ने अग्रेशन को जोड़ा. रोहित शर्मा उसमें चार चांद जरूर लगा रहे हैं.
वीडियो: Champions Trophy: टीम इंडिया की जीत पर भारतीय अखबारों ने क्या लिखा?