रोहित शर्मा. इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान और ओपनिंग बैटर. ऑस्ट्रेलिया में हुई बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में सिडनी टेस्ट से पहले इंडियन कैंप में सब कुछ ठीक नहीं था. रोहित ने जब खुद को ड्रॉप करने का फैसला सुनाया, तो इंडियन क्रिकेट कैंप में हलचल मच गई (Rohit Sharma decision to drop himself from Sydney Test). ये बात कोई छोटी-मोटी नहीं थी. भारत के कप्तान और टीम के लीडर ने खुद को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर लिया था. और ये फैसला सुनकर कोच गौतम गंभीर और चीफ सिलेक्टर अजित अगरकर के बीच ठन गई थी. इसके बाद टीम में अनबन की कई तरह की खबरें आई थीं.
सिडनी टेस्ट से पहले गंभीर-आगरकर में किस बात पर ठन गई थी? रोहित ने खुद बताया
Rohit Sharma ने माइकल क्लार्क को दिए एक इंटरव्यू में सिडनी टेस्ट के बारे में खुलकर बात की. इस टेस्ट मैच में कैप्टन रोहित ने खुद को टीम से बाहर रखने का फैसला किया था.

बात जनवरी 2025 की है. भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का आखिरी टेस्ट सिडनी में खेलने जा रहा था. सीरीज में भारत पहले ही 1-2 से पीछे था. रोहित की फॉर्म भी कुछ खास नहीं थी. पूरे टूर में वो सिर्फ 31 रन बना पाए थे, वो भी 6.2 की औसत से. अब ये कोई कप्तान के लिए गर्व की बात तो थी नहीं. रोहित ने पहले पर्थ टेस्ट मिस किया था. वापसी के बाद एडिलेड और मेलबर्न में भी उनका बल्ला खामोश रहा.
तो सिडनी टेस्ट से पहले रोहित ने सोचा, “अगर मैं फॉर्म में नहीं हूं, तो टीम के लिए कुछ करना तो बनता है.” उन्होंने शुभमन गिल को मौका देने की ठानी, जो मेलबर्न टेस्ट में बाहर बैठे थे. गिल को रोहित टीम में वापस लाना चाहते थे. लेकिन जब उन्होंने ये आइडिया गंभीर और अगरकर को बताया, तो दोनों के बीच बहस छिड़ गई. रोहित ने
रोहित कन्फ्यूज थेमैंने कोच और सेलेक्टर से बात की, और इस पर बहस हो गई. आप टीम को प्राथमिकता देने की कोशिश करते हैं. आप देखते हैं कि टीम क्या चाहती है और उसके अनुसार निर्णय लेते हैं. कभी-कभी ये काम करेगा, कभी-कभी नहीं. ऐसा ही होता है. आप जो भी निर्णय लेने की कोशिश करते हैं, उसमें आपको सफलता की गारंटी नहीं होती है.
सिडनी टेस्ट को लेकर लिए गए फैसले के पीछे बात करते हुए रोहित ने कहा,
मैंने एडिलेड में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. फिर मैं कमरे में वापस गया और मैंने सोचा कि मुझे ओपनिंग करनी चाहिए थी. मैं जो करता हूं और जहां करता हूं, वहां असफल होना पसंद करूंगा. यही मेरी जगह है, यही मेरी स्थिति है. मैं वहां जाकर बल्लेबाजी करना पसंद करूंगा, चाहे मुझे सफलता मिले या नहीं, ये एक अलग कहानी है. लेकिन मैं टीम के लिए अपनी नैचुरल पोजीशन में हूं.
अपनी दुविधा के बारे में बात करते हुए रोहित ने आगे बताया,
मैंने कहा, नहीं ये सिर्फ़ एक मैच है. चलिए ज्यादा नहीं सोचते, चलिए इसे एक और मैच देते हैं. अभी सीरीज 1-1 है. हम ब्रिस्बेन में चीजों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं. फिर वो मैच ड्रॉ रहा. जब हम मेलबर्न वापस आए, तो हमने अपना मन बदल लिया. मैं पारी की शुरुआत करने के लिए वापस गया, और आखिरी टेस्ट मैच में... मुझे खुद के साथ ईमानदार होना था. मैं गेंद को अच्छी तरह से नहीं मार पा रहा था. मैं सिर्फ इसलिए खुद को टीम में नहीं रखना चाहता था, क्योंकि हमने दूसरे खिलाड़ियों को बाहर कर दिया था जो संघर्ष कर रहे थे.
आखिरकार, रोहित ने खुद को मैच से बाहर रखा. सिडनी में जसप्रीत बुमराह को कप्तानी सौंपी गई. लेकिन किस्मत ने टीम का साथ नहीं दिया. बुमराह को दूसरे दिन चोट लगी, और भारत का पेस अटैक कमजोर पड़ गया. नतीजा? भारत 3-1 से सीरीज हार गया. अब रोहित इंग्लैंड दौरे की तैयारी में हैं, जहां वो फिर से कप्तानी करते नज़र आ सकते हैं. लेकिन सिडनी वाला फैसला क्रिकेट फैंस के जेहन में लंबे वक्त तक रहेगा!
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