यूरोपियन यूनियन में स्पेन (Spain) नाम का एक खूबसूरत देश है. अरे वही, जिसे हम सबने 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' में देखा था. जहां ऋतिक, फरहान और अभय देओल, कभी टमाटर की बारिश में नहा रहे थे तो कभी सांडों के आगे-आगे भाग रहे थे. उस पिच्चर को देखने वालों को पता चला कि इस देश के टमाटर और सांड दोनों बहुत मशहूर हैं. और इस पिच्चर से बाहर बैठे हम जैसों की ज़बानी सुनेंगे तो जान पाएंगे कि यहां फुटबॉल और एक टेनिस स्टार इन सांडों-ला टोमैटिना (टमाटर वाले फेस्टिवल) से ज्यादा फेमस हैं. प्लेयर सॉरी उस दिग्गज प्लेयर का नाम है, रफाएल नडाल (Rafael Nadal), जिन्होंने टेनिस को अलविदा कह दिया है.
नडाल ने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए इस बात की जानकारी दी है. नडाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि अगले महीने यानी नवंबर 2024 में होने वाला डेविस कप फाइनल्स उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा. नडाल वही, जिन्हें लोग प्यार से 'लाल बज़री का बादशाह' कहते हैं. सबसे ज्यादा बार फ्रेंच ओपन की लाल बजरी पर झंडा गाड़ चुके नडाल टेनिस इतिहास के महानतम प्लेयर्स में से एक हैं. नडाल करीब 38 साल पहले, स्पैनिश द्वीप मयोका के मनाकोर में जन्मे थे.
Rafael Nadal Retirement: किस्से टेनिस महारथी रफाएल नडाल के, जो फुटबॉलर बनते-बनते रह गए!
Rafael Nadal Retirement: दिग्गज टेनिस स्टार ने इस खेल को अलविदा कह दिया. नडाल ने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए इस बात की जानकारी दी. करियर की शुरुआती दौर में नडाल अपने अंकल मिगुएल आन्हेल नडाल के भतीजे के नाम से पहचाने जाते थे.
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कहते हैं कि अपने बेहतरीन टॉप स्पिन शॉट के लिए मशहूर नडाल को लाल बजरी यानी रेड सॉइल वाली क्ले कोर्ट पर सिर्फ नडाल ही हरा सकते हैं. ठीक स्पैनिश बुल की तरह ताकतवर नडाल लाल बजरी के 'बाली' थे. जैसे किष्किंधा नरेश बाली के सामने आते ही दुश्मनों की शक्ति आधी हो जाती थी, ठीक वैसे ही क्ले कोर्ट पर नडाल के सामने विरोधियों का हाल होता था.
आपस में लड़ पड़े दो भाईलेकिन नडाल शुरू से ही ऐसे धाकड़ टेनिस स्टार नहीं थे. बल्कि करियर की शुरुआत में तो वो भी नेपो किड ही थे. उस दौर में रफाएल को मिगुएल आन्हेल नडाल के भतीजे के नाम से पहचाना जाता था. मिगुएल एक बेहतरीन फुटबॉलर रह चुके हैं. वो 11 साल तक स्पैनिश नेशनल फुटबॉल टीम का हिस्सा रहे थे. वहीं क्लब लेवल पर वो बार्सिलोना जैसी दिग्गज टीम के लिए खेल चुके हैं.जबकि उनके दूसरे अंकल टोनी नडाल टेनिस के दिग्गज थे. और रफाएल को लेकर ये दो चाचा आपस में भिड़े रहते थे. मिगुएल चाहते थे कि भतीजा फुटबॉलर बने तो टोनी का मन था कि लड़का रैकेट उठा ले. और इसमें केस टोनी वाला मजबूत था. क्योंकि टोनी अपने टेनिस करियर में बहुत आगे नहीं जा पाए थे. इसलिए वो चाहते थे कि रफाएल के जरिए अपनी कसक पूरी करें. और अंततः इस लड़ाई में जीत भी टोनी को ही मिली. महज़ तीन साल की उम्र में उन्होंने अपने भतीजे के हाथ में टेनिस रैकेट थमा दिया.
और जब हाथ में रैकेट आ गया तो रफाएल ने कहा,
नडाल के सामने रखी शर्त‘कौन अब मेहनत करे गेंद पर पैर लगाने को. सही तो मिल गया है रैकेट चलाने को.’
जब नडाल ने पहली बार रैकेट थामा उस समय चाचा टोनी मनाकोर टेनिस क्लब के मैनेजर हुआ करते थे. और जब रफाएल थोड़े और बड़े हुए तो चचाजान ने उन्हें अपनी शरण में ले लिया. लेकिन साथ ही हेडमास्टर नारायण शंकर की तरह परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन वाली चेतावनी भी दे डाली. चाचा टोनी ने कहा,
‘अगर आपने कभी रैकेट फेंका या कोर्ट पर गुस्सा दिखाया तो मैं उसी समय से आपको कोचिंग देना बंद कर दूंगा.’
टोनी के मुताबिक अगर आप गुस्से में रैकेट को कोर्ट पर मारते हैं या तोड़ने की कोशिश करते हैं, तो ये उनके प्रति अनादर है, जो पैसों की कमी के कारण रैकेट खरीद नहीं पाते. साथ ही टोनी नडाल ने उनसे कहा,
‘जब आप एक टेनिस मैच हारते हैं, तो यह सिर्फ और सिर्फ आपकी गलती है. कभी भी स्ट्रिंग्स, रैकेट, बॉल्स, कोर्ट या किसी भी चीज़ को दोष न दें. जीत और हार खेल का हिस्सा है.’
टोनी नडाल अपने युवा भतीजे को अक्सर उबड़-खाबड़ कोर्ट पर पुरानी और खराब हो रही गेंद से ट्रेनिंग कराते थे. इसका मकसद उसे यह सिखाना था कि जीत या हार में कोर्ट की क्वालिटी, रैकेट, रोशनी, गेंद या मौसम की स्थिति का रोल नहीं होता, बल्कि यह आपके रवैये और अनुशासन के कारण होता है.
कौन सा हाथ?नडाल ने जब करियर की शुरुआत की, तो वो दोनों हाथों से समान रुप से टेनिस खेलते थे. लेकिन बाद में टोनी नडाल ने उन्हें बाएं हाथ से खेलने की सलाह दी. चूंकि रफाएल नडाल बाकी सारे काम दाएं हाथ से करते थे, इसलिए शुरू में तो उन्हें लगा कि चचा से गड़बड़ हो रही है. लेकिन बॉस तो चचा ही थे, इसलिए रफाएल को मानना पड़ा. और शुरू हुई लेफ्ट हैंड टेनिस.
सात साल की उम्र तक टेनिस नडाल के जीवन का अटूट हिस्सा बन चुका था. वो रेगुलर टेनिस की प्रैक्टिस करने लगे थे. हालांकि, लगातार टेनिस खेलने के बाद भी उनका मन फुटबॉल की ओर ज्यादा था. और फिर वो दिन भी आया, जब उन्हें दिल पर पत्थर रखकर बड़ा फैसला लेना पड़ा. और इस फैसले से फायदा हुआ टेनिस प्रेमियों का. नडाल ने फुटबॉल के जूतों पर टेनिस रैकेट को वरीयता दी. और जल्द ही उनका ये फैसला सही भी साबित हुआ. हालांकि, रफाएल आज भी टेनिस से समय निकालकर फुटबॉल मैच देखते हुए नजर आते हैं. साल 2022 में पेरिस में हुए चैंपियंस लीग फाइनल में वो अपनी फेवरेट टीम रियाल मैड्रिड को सपोर्ट करते भी नज़र आए थे. जबकि इसके अगले ही दिन उन्हें फ्रेंच ओपन का मैच भी खेलना था.
माना जाता है कि नडाल टोटके में काफी विश्वास करते हैं. अक्सर देखा जाता है कि नडाल कुर्सी के आगे दो बोतलें रखते हैं. जैसे कोई क्रिकेटर दायां पैड पहले बांधता है, कोई जेब में लाल रुमाल रखता है तो कोई किसी एक हाथ के ग्लव्स पहले पहनता है. वैसे ही नडाल अपनी बोतलें कुर्सी के आगे रखते हैं. और इन बोतलों में एक में एनर्जी ड्रिंक तो दूसरी में पानी होता है. नडाल का उन्हें रखने का तरीका फिक्स है. बोतलों का लोगो कोर्ट की तरफ होता है. पीने के बाद वह दोनों बोतलें ठीक वहीं और उसी अवस्था में रखते हैं.
इसका ज़िक्र उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी किया है. जिसमें वो लिखते हैं,
‘कुछ लोग इसे अंधविश्वास कहते हैं पर ऐसा कुछ है नहीं. अगर यह अंधविश्वास होता, तो मैं जीत या हार के लिए एक सी चीज़ें क्यों करता? हर चीज़ का एक तरीका होता है और मेरे लिए यही फिट बैठता है.’
साल 2005 में पहली बार फ्रेंच ओपन जीतने वाले नडाल के नाम अब रिकॉर्ड 14 फ्रेंच ओपन खिताब हैं. टोटल 22 ग्रैंडस्लैम. कुल 92 ATP टाइटल्स. इतना ही नहीं, 209 हफ्तों तक वो दुनिया के नंबर-1 प्लेयर भी रहे. नडाल ने 23 साल के प्रोफेशनल करियर में लगभग वो सभी खिताब अपने नाम किए, जो एक प्रोफेशनल टेनिस प्लेयर अपने नाम कर सकता है. अब फैन्स उम्मीद करेंगे कि डेविस कप में शानदार खेल दिखाकर नडाल अपने बेहतरीन करियर का अंत करें.
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