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हम वर्ल्ड कप जीतने लायक ही नहीं थे, पैट कमिंस की किताब के खुलासे हिला देंगे
मुझे लगा कि हमारे पास एक बेहतरीन टीम है जो अच्छा खेल रही है - फिर भी अगर मैं पूरी तरह से ईमानदार होऊं, तो मुझे लगा कि हम भारत में केवल कौशल के आधार पर खेलकर टूर्नामेंट जीतने के लिए पर्याप्त अच्छे नहीं हैं.
पैट कमिंस का वो रिस्क जिसने भारत को दूसरी बार वर्ल्ड-कप में हरा दिया.
19 नवंबर 2023. (लंबी सांस लीजिए). भारत और ऑस्ट्रेलिया दूसरी बार वर्ल्ड-कप के फाइनल में टकराने जा रहे थे. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करना चुना. नवें ओवर में गेंद ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल के हाथों में थी. क्रीज पर थे रोहित शर्मा. ओवर की चौथी गेंद पर रोहित ने आगे बढ़कर बल्ला घुमाया. सफेद चमचमाती गेंद हवा में ऑफ़-साइड की ओर गई. ट्राविस हेड कवर पर थे. दौड़े और डाइव लगाते हुए गेंद लपक ली. स्टेडियम में सन्नाटा छा गया था. भारतीय फैन्स भावशून्य हो चुके थे. और जैसा कि अंग्रेजी में कहा जाता है, रेस्ट इज हिस्ट्री.
लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए आशंका और भारत के लिए संभावना तो इस बात की भी थी कि ट्रेविस हेड वर्ल्ड-कप फाइनल खेलने से पहले ही ऑस्ट्रेलिया लौट जाते! ये बात ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट और वनडे टीम के कप्तान पैट कमिंस ने अपनी नई किताब “Tested” में लिखी है.
इसे हार्पर कॉलिंस ने छापा है. 288 पन्नों की इस किताब को आप 500 रूपये का दाम देकर खरीद सकते हैं.
किताब का पूरा नाम है, “Tested: Big Decisions. Small Decisions. The remarkable power of resolve.” इसे हार्पर कॉलिंस ने छापा है. 288 पन्नों की इस किताब को आप 500 रूपये का दाम देकर खरीद सकते हैं.
किताब के पहले ही चैप्टर “A conversation with John Bertrand” में ये जानकारी आप पर जाहिर हो जाती है. पैट कमिंस ने अंग्रेजी में जो लिखा है, हम उसका शब्दश: अनुवाद आपके सामने रख रहे हैं-
“हम जीतना चाहते थे, इसलिए हमने उस जोखिम को उठाने का फैसला किया. इसने हमारे विकल्पों और बल्लेबाजी क्रम को प्रभावित किया, और ये हमारी सोच का हिस्सा था जब हमने ट्रेविस हेड को टीम में रखने का फैसला किया, क्योंकि उन्होंने एक मैच में अपना हाथ तोड़ लिया था और इसके बाद किसी भी मैच के लिए उनके फिट होने की गारंटी नहीं थी. किसी और समय, किसी और परिस्थिति में, ट्रेविस को घर भेजकर उसकी जगह किसी और को लाना सही फैसला होता, लेकिन ऐसा लगा कि हम उसकी मारक क्षमता के बिना जीत नहीं सकते. इसीलिए हमने उसे चुना. हमें उम्मीद थी कि वो ठीक होने के बाद अच्छा खेलेगा.”
अक्सर जब हम खाली बैठते हैं, तो सोचते हैं कि कुछ इत्तेफ़ाकों ने अगर यू-टर्न ले लिया होता, तो आज तारीख़ कैसी होती? अगर ट्रेविस हेड उस फाइनल मैच में नहीं होते, या अगर रोहित शर्मा का वो कैच छूट जाता. या अगर शतक नहीं लागाय होता... खैर, मन के लड्डू फीके ही सही, फीके सही तो थोड़े क्यों?
कमिंस के आत्मविश्वास की खूब बात होती है. लेकिन, सेल्फ-डाउट के लम्हे सबके जीवन में आते हैं. कमिंस को 2023 में विश्व-कप जीतने का भरोसा नहीं था. अपनी किताब में वो लिखते हैं-
“2023 के विश्व कप की अगुवाई करते हुए, मुझे लगा कि हमारे पास एक बेहतरीन टीम है जो अच्छा खेल रही है - फिर भी अगर मैं पूरी तरह से ईमानदार होऊं, तो मुझे लगा कि हम भारत में केवल कौशल के आधार पर खेलकर टूर्नामेंट जीतने के लिए पर्याप्त अच्छे नहीं हैं.”
साल 2023 का क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद जश्न मनाते पैट कमिंस (बाएं) और ट्रेविस हेड (दाएं). (फोटो: ICC)
इसके बाद उन्होंने अपनी प्रायोरिटी सेट की, रिस्क लिए और अंत में विजेता बनकर अपने देश लौटे. पैट कमिंस की ये किताब सिर्फ एक संस्मरण भर नहीं है. इसमें पैट ने अलग-अलग क्षेत्रों की 11 नामचीन हस्तियों के साथ हुए इंटरव्यूज का ब्यौरा दिया है, जिनके काम, लगन, संदेह और संकट के लम्हों से निपटने की उनकी कहानियों ने पैट को प्रभावित किया. उनके मेहमानों की रेंज प्रभावित करती है. जिसमें पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री जूलिया गिलार्ड, फ़ुटबॉल के दिग्गज जॉन मोरियार्टी और मीडिया के दिग्गज रोनी स्क्रूवाला शामिल हैं. इन चैप्टर्स के ज़रिए, कमिंस ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में अपनी व्यक्तिगत यात्रा को बुना है.
वीडियो: पैट कमिंस की जीत के पीछे किसके फैसले ने पलटा मैच?