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बचपन में पिता को खोया, चाचा से मिली ट्रेनिंग... विनेश फोगाट की पूरी कहानी!

कुश्ती से ताल्लुक रखने वाले परिवार में पैदा हुईं Vinesh Phogat. बचपन से लेकर अब तक इनका संघर्ष चल ही रहा है. चलिए आपको सुनाते हैं शुरुआत से लेकर विनेश के Paris Olympics 2024 के फाइनल तक पहुंचने की पूरी कहानी.

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विनेश फोगाट को वजन ज्यादा होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया (फोटो: PTI)

जनवरी 2023. दिल्ली का जंतर मंतर. देश के कई जाने-माने पहलवान विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन में अनेकों महिला और पुरुष पहलवान शामिल थे. ये रेसलर्स कई दिनों तक जमीन पर सोते हुए नजर आए थे. प्रदर्शन हो रहा था रेसलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (WFI) के प्रेसिडेंट के खिलाफ़. जिन पर आरोप लगे थे महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के. प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को लीड करने वालों में स्टार रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) भी शामिल थीं.

पहले जनवरी और फिर अप्रैल के महीने में पहलवान धरने पर बैठे. इस दौरान महीने भर से ज्यादा दिनों तक पहलवानों का प्रोटेस्ट चला. प्रोटेस्ट के दौरान एक तस्वीर खूब वायरल हुई. हाथ में तिरंगा लिए फूट-फूटकर रोती हुई एक रेसलर की. जिसे कई पुलिसकर्मी जमीन पर घसीट रहे थे. वो रेसलर कोई और नहीं, विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ही थीं.

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प्रोटेस्ट के दौरान विनेश और साक्षी मलिक (फोटो: सोशल मीडिया)

इस तस्वीर ने कई देशवासियों को झकझोर कर रख दिया, तो कई ने इसका उपहास उड़ाया. इन रेसलर्स को सोशल मीडिया पर भयंकर ट्रोल भी किया गया. कहा गया कि जो प्रोटेस्ट कर रहे हैं, उन सबका करियर खत्म हो चुका है. विनेश को कुछ ज्यादा ही ट्रोल किया गया. लेकिन सड़कों पर घसीटी गई देश की इस बेटी ने हौसला नहीं हारा. वो अपने सपने को लेकर अड़ी रही. और इंतजार करती रही अपने मौके का.

मौका आया अगस्त 2024 में. पेरिस ओलंपिक्स (Paris Olympics 2024). जहां विनेश ने अपने प्रदर्शन से हर किसी को जवाब दे दिया. एकदम करारा जवाब. नतीजा, पूरा देश उनके बारे में बात कर रहा है. गर्व के साथ. सीना ऊंचा करके. क्योंकि हरियाणे की छोरी ने पेरिस में झंडा गाड़ दिया. गोल्ड मेडल की धुन पर सवार फोगाट इतिहास रचने के एकदम करीब तक पहुंच गईं. वो कारनामा, जो कोई भारतीय रेसलर अभी तक नहीं कर पाया था.

लेकिन किस्मत को यहां कुछ और ही मंजूर था. विनेश और पीले तमगे के बीच कुश्ती का एक नियम आड़े आ गया. विनेश को फाइनल मैच से कुछ घंटों पहले डिस्क्वॉलिफाई घोषित कर दिया गया. वजह बताया गया कि उनका वजन तय मानकों से ज्यादा है. महज कुछ ग्राम. 50Kg वेट कैटेगरी के सेमी-फाइनल मैच के बाद ही विनेश और सपोर्ट स्टाफ को पता चल गया था कि उनका वजन कुछ बढ़ा हुआ है. जिसे कम करने के लिए उनके हाथ में जो कुछ था, उन्होंने किया. बाल कटवाए, दौड़ लगाई, रस्सी कूदी और साइकिल भी चलाई. लेकिन बात नहीं बनी. तय समय सीमा तक वो अपना वजन 50 किलो नहीं ला पाई.

एक कहावत है- कभी-कभी हम उस सीढ़ी से फिसलते हैं, जिसके ठीक ऊपर छत होती है. डिस्क्वॉलिफाई होने की वजह से विनेश को कोई मेडल नहीं मिला. लेकिन देश की बड़ी आबादी से उन्हें आज जो रिस्पेक्ट और सपोर्ट मिल रहा है, वो शायद ही हमने और आपने पहले कभी देखा होगा. नौ साल की उम्र में अपने पिता को खो देने वाली इस छोरी के यहां तक पहुंचने का सफर कैसा रहा है, आइये जानते हैं.

# कौन हैं विनेश फोगाट?

विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बलाली गांव में हुआ. कुश्ती से ताल्लुक रखने वाले परिवार में. पापा राजपाल फोगाट भी इलाके के जाने-माने पहलवान थे. लेकिन विनेश का इस खेल से परिचय करवाया उनके चाचा महावीर फोगाट ने. जिनकी बेटियां गीता फोगाट और बबीता कुमारी भी तब इस खेल में अपनी पहचान बना रही थीं. हालांकि विनेश और फोगाट परिवार के लिए शुरुआत में ये बिल्कुल आसान नहीं रहा. गांव में ताने कसे गए. कहा गया कि कुश्ती पुरुषों का खेल है ना कि महिलाओं का. लेकिन महावीर फोगाट ने इन बेटियों के लिए जो सपना संजो रखा था, उससे पीछे कहां हटने वाले थे.

जब विनेश की उम्र महज नौ साल की थी तो उनके पापा की हत्या कर दी. जमीनी विवाद को लेकर. यहां से विनेश की पूरा देख-रेख उनकी मां प्रेमलता और चाचा महावीर फोगाट ने किया. जूनियर लेवल पर विनेश ने निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया और साल 2013 में दिल्ली में आयोजित एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप के जरिए विनेश ने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की. फ़्रीस्टाइल 52Kg कैटेगरी में विनेश ने ब्रॉन्ज मेडल जीता.जबकि इसी साल कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया.

अब बारी थी कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 की. विनेश ने 48Kg कैटेगरी में हिस्सा लिया और बिना किसी चूक के गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. वहीं एशियन गेम्स में विनेश के नाम ब्रॉन्ज मेडल रहा. विनेश ने यहां से कुश्ती जगत में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया.

# रियो ओलंपिक्स की चोट

साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक्स में विनेश ने 48Kg कैटेगरी में हिस्सा लिया. लेकिन क्वॉर्टर-फाइनल में उनके घुटने में चोट लग गई. इस वजह से चीन की सुन यानान से वो अपना मुकाबला हार गईं. पता चला कि उनके दाहिने घुटने में लिगामेंट टीयर हुआ है. इसके बाद विनेश की सर्जरी भी हुई और इसके चलते विनेश करीब नौ महीनों तक मैट से दूर रहीं. वापसी की साल 2017 में एशियन चैंपियनशिप के सिल्वर मेडल के साथ. धमाकेदार वापसी थी ये. 'पुनर्जन्म’ जैसी.

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रियो ओलंपिक्स में चोटिल हुई थीं विनेश (फोटो: X)

साल 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. जबकि इसी साल एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर भी बन गईं. 2019 तक आते-आते विनेश ने फिर अपनी वेट कैटेगरी में बदलाव किया. उन्होंने 53Kg में खेलना शुरू कर दिया. इतने सारे मेडल जीतने और अपनी कैटेगरी में दुनिया की नंबर एक रेसलर बनने के बाद विनेश जब टोक्यो ओलंपिक्स में गईं, तो उनसे बड़ी उम्मीदें थी. मेडल एकदम पक्का माना जा रहा था. उन्होंने स्वीडन की सोफिया मैटसन को हराकर जीत के साथ शुरुआत भी की, लेकिन अगले राउंड में बेलारूस की वेनेसा से हार गईं. वो यहां मेडल नहीं ला पाईं. विनेश ने मैच के बाद बताया कि वो बहुत अच्छी शारीरिक और मानसिक स्थिति में नहीं थी.

# WFI ने किया सस्पेंड

यहां से विनेश के साथ विवाद भी जुड़ा. खबर सामने आई कि उन्होंने ओलंपिक विलेज में बाकी इंडियन रेसलर्स के साथ ट्रेनिंग लेने से इनकार कर दिया था. विनेश ने उसकी जगह पर्सनल कोच वॉलर अकोस के साथ ट्रेनिंग करने की बात कही थी. ये बात भी सामने आई कि उन्होंने ओलंपिक्स में ऑफिशल इंडियन किट भी नहीं पहनी थी. उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) ने अनुशासनहीनता के लिए अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया. इसी साल रेसलर की कोहनी की सर्जरी भी हुई.

विनेश फोगाट ने साल 2022 में फिर मैट पर वापसी की. विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2022 में ब्रॉन्ज और बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता. हालांकि अगले साल यानी जून 2023 में उन्हें कोहनी की एक और सर्जरी करानी पड़ी. विनेश ने साल 2024 एशियाई कुश्ती ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और पेरिस ओलंपिक्स 2024 का कोटा हासिल किया.

# पेरिस ओलंपिक्स में दबदबा

पेरिस ओलंपिक्स में विनेश ने 50Kg  कैटेगरी में हिस्सा लिया. पहले ही मुकाबले में उनके सामने चार बार की वर्ल्ड चैंपियन और दुनिया की नंबर-1 रेसलर युइ सुसाकी की चुनौती थी. जापान की ये दिग्गज रेसलर डिफेंडिंग ओलंपिक्स चैंपियन भी थी. लेकिन सबसे खास बात ये थी कि इसे आज से पहले कोई भी विदेशी खिलाड़ी नहीं हरा पाई थी. इंटरनेशनल लेवल पर इस रेसलर का रिकॉर्ड 82-0 का था. लेकिन ये तमाम रिकॉर्ड विनेश के सामने धरे के धरे रह गए. विनेश ने ये मुकाबला 3-2 से अपने नाम कर क्वॉर्टर-फाइनल में जगह पक्की की. 

जबकि 45 मिनट बाद ही उन्होंने यूक्रेन की ओकसाना लिवाच को 7-5 से मात देकर सेमी-फाइनल में एंट्री कर ली.अब बारी थी सेमी-फाइनल मैच जीत मेडल पक्का करने की. उनके सामने थी क्यूबा की युस्नेलिस गुज़मैन लोपेज. लेकिन भारत की स्टार रेसलर कहां रुकने वाली थी. उन्होंने सेमी-फाइनल मैच में एकतरफा जीत हासिल की. क्यूबा की रेसलर को बिना कोई पॉइंट दिए विनेश ने इस मुकाबले को 5-0 से जीत लिया. इस जीत के साथ वो ओलंपिक्स में कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी बन गई. और भारत के लिए पक्का कर दिया एक और मेडल.

फिर पूरे देश को इंतजार था 7 अगस्त की रात का. हर कोई पीले तमगा की आस लगाए बैठा था. लेकिन इसी दिन के तकरीबन 11.45 बजे जो ख़बर सामने आई, उसे सुन हर कोई सन्न रह गया. विनेश डिसक्वॉलिफाई हो चुकी थीं. महज 100 ग्राम के आसपास ज्यादा वजन होने की वजह से. कई पहलवानों को जमीन पर पटकने वाली विनेश के लिए, उनकी ही बॉडी का 100 ग्राम वजन भारी पड़ गया. विनेश को गोल्ड मेडल नहीं मिल पाया, लेकिन देश के अनेकों बच्चों को विनेश बनने की प्रेरणा जरूर मिल गई. जो विनेश एक साल पहले सड़क पर थी, आज वो सितारा बन चुकी हैं.

वीडियो: विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक्स से बाहर, वजन कम करना रेसलर्स की जान जोख़िम में ऐसे डाल देता है!