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कमर 'टूटी' तो बंदूक उठा ओलंपिक्स गोल्ड जीत गई ये जिम्नास्ट, कहानी हैरान कर देगी!

Paris Olympics 2024 से एक कमाल की कहानी सामने आई है. जिम्नास्टिक के खेल में कमर तुड़वाने के बाद भी एक लड़की ने हार नहीं मानी. और कुछ ही साल बाद, वो लड़की अब ओलंपिक्स चैंपियन बन गई है.

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एड्रियाना ने जीत लिया गोल्ड (AP)

साल 2011. महज 16 साल की एक लड़की जिम्नास्टिक वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए ट्रेनिंग कर रही थी. ये इवेंट अगले साल के लंदन ओलंपिक्स के लिए क्वॉलिफ़ायर इवेंट भी था. ट्रेनिंग के दौरान उसे अपनी पीठ में दर्द महसूस हुआ. स्कैन में पता चला कि उनकी छह वर्टिब्रा में डैमेज़ था. सिर्फ़ 16 साल की उम्र में जिम्नास्टिक करियर खत्म.

साल भर रिकवरी में लगे. वो भी ब्रेस पहनकर. लड़की का मन नहीं मान रहा था. उसे अभी भी स्पोर्ट्स में ही रहना था. ऐसे में डॉक्टर ने बोले- शूटिंग में हाथ आजमाओ. इस लड़की ने बंदूक उठाई और फिर आगे बढ़ती ही गई. बुधवार, 31 जुलाई को एड्रियाना रूना नाम की इस लड़की ने ओलंपिक्स में गोल्ड जीत लिया.

AP के मुताबिक इस जीत के बाद उन्होंने इस बारे में कहा,

'जब मुझे चोट लगी, मेरे पास कुछ नहीं था. मैं बेताब होने लगी थी और फ़्रस्ट्रेट भी. फिर इस गेम ने मेरे लिए दरवाजे खोले.'

लंदन ओलंपिक्स ड्रीम टूटने के बाद रूना ने 2016 रियो ओलंपिक्स में वॉलंटियर के रूप में काम किया. वह बताती हैं,

'मैंने खुद से कहा- अगर मैं एक एथलीट के रूप में वहां नहीं हो सकती, तो एक वॉलंटियर के रूप में तो हो सकती हूं. यही सोच मैंने अप्लाई कर दिया. उन्होंने मुझे शूटिंग में डाला, वहां मैं अपने टीममेट्स को देख पा रही थी. मैं कंपटिशन देख सकती थी, और यही मोमेंट था जिसने मुझे प्रेरित किया. मैंने सोचा- ठीक है अगर जिम्नास्टिक नहीं, तो मैं शूटिंग में कर सकती हूं.'

रूनो शूटिंग करती रहीं. Tokyo 2020 ओलंपिक्स के लिए क्वॉलिफ़ाई किया. लकिन यहां कुछ खास नहीं हुआ. रूनो टोक्यो में 26वें नंबर पर रहीं. इस इवेंट से पहले ही उनके पिता की मृत्यु हुई थी. वक्त बीता, फिर आया Paris2024. यहां रूनो डिफेंडिंग पैन-अमेरिकन चैंपियन के रूप में आई थीं. लेकिन ओलंपिक्स तो ओलंपिक्स होते हैं.

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ऐसा कहने वालों को रूनो ने अपनी शॉटगन से जवाब दे दिया. उन्होंने 50 में से 45 का ओलंपिक्स रिकॉर्ड स्कोर करते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया. यह ग्वाटेमाला का पहला ओलंपिक्स गोल्ड मेडल है. रूनो से पहले, यहां का कोई भी एथलीट ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल नहीं जीत पाया था. यहां तक कि इस देश का ये कुल दूसरा ही ओलंपिक्स मेडल है.

इसी ओलंपिक्स में जीन पिएरे ब्रोल ने मेंस ट्रैप इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था. रूनो के इवेंट का सिल्वर इटली, जबकि ब्रॉन्ज़ ऑस्ट्रेलिया ने जीता. इस इवेंट में भारत की ओर से श्रेयसी सिंह और राजेश्वरी कुमारी ने भाग लिया था. ये फ़ाइनल तक भी नहीं पहुंच पाईं. क्वॉलिफ़ाइंग में राजेश्वरी 22 जबकि श्रेयसी 23वें नंबर पर रही थीं. ट्रैप शूटिंग के तमाम तरीकों में से एक है. इसमें एक जगह से उछाले गए टार्गेट्स पर शॉटगन से निशाना लगाना होता है. जो शूटर ज्यादा टार्गेट्स पर निशाना लगा पाता है, वो जीतता है.

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