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मेडल से एक किलो दूर रह गईं मीराबाई चानू, पेरिस में लगा एक और झटका!

Mirabai Chanu Paris Olympics 2024 में मेडल जीतने से चूक गई हैं. मीराबाई क्लीन एंड जर्क की आखिरी कोशिश में 114 किलो वजन उठाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहीं.

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मीराबाई चानू मेडल जीतने से चूकीं (फाइल फोटो: PTI)

पेरिस ओलंपिक्स (Paris Olympics 2024) में भारतीय फ़ैन्स की उम्मीदों को एक और झटका लगा है. वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabi Chanu) मेडल जीतने से चूक गई हैं. मीराबाई क्लीन एंड जर्क की आखिरी कोशिश में 114 किलो वजन उठाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहीं. वो कुल 199 किलो का वजन ही उठा सकी और चौथे स्थान पर रहीं. इन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स में 202Kg वजन उठाकर सिल्वर मेडल जीता था.

इससे पहले भारतीय वेटलिफ्टर ने स्नैच में शानदार शुरुआत की है. उन्होंने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक 85Kg वजन उठाया. जबकि स्नैच के दूसरे प्रयास में वह 88Kg वजन उठाने में नाकाम रहीं. लेकिन तीसरी लिफ्ट में मीराबाई ने 88kg का बेस्ट वजन उठाकर शानदार वापसी की. जुलाई 2022 के बाद मीराबाई ने स्नैच में पहली बार इतना वजन उठाया. रोमानिया की मिहेला कैम्बेई 93Kg का बेस्ट वेट उठाकर स्नैच राउंड में पहले स्थान पर रहीं. जबकि चीन की होउ झिहुई 89 किलो का अपना बेस्ट वजन उठाकर दूसरे नंबर पर रहीं. मीराबाई स्नैच राउंड के बाद संयुक्त रुप से तीसरे नंबर पर रहीं.

क्लीन एंड जर्क में मीराबाई चानू का पहला प्रयास विफल रहा. वह 111Kg वजन नहीं उठा सकीं. हालांकि दूसरे प्रयास में चानू ने 111Kg का वजन सफलतापूर्वक उठाया. लेकिन चानू क्लीन एंड जर्क के तीसरे प्रयास में 114Kg नहीं उठा पाईं और मेडल से चूक गईं. चीन की होउ झिहुई को गोल्ड जबकि रोमानिया की मिहेला कैम्बेई को सिल्वर मेडल मिला. जबकि थाईलैंड की प्लेयर को ब्रॉन्ज़ मेडल मिला.

# स्नैच और क्लीन एंड जर्क क्या है?

अब स्नैच और क्लीन एंड जर्क क्या है, समझ लीजिए. स्नैच में वेटलिफ्टर बारबेल को अपने सिर के ऊपर एक ही गति में उठाता है. जबकि क्लीन एंड जर्क में, वेटलिफ्टर को सबसे पहले बारबेल को उठाकर अपनी छाती (क्लीन) तक लानी होती है. फिर इसे सीधी कोहनी के साथ ऊपर उठाना होता है और फिर बजर के बजने तक इसे वहीं रखना होता है. एक वेटलिफ्टर को तीन स्नैच और तीन क्लीन एंड जर्क प्रयास मिलते हैं. जो सबसे अधिक संयुक्त भार उठाता है उसे विजेता घोषित किया जाता है.
 

मीराबाई चानू की बात करें तो वो टोक्यो ओलंपिक्स में शानदार प्रदर्शन के बाद से लगातार चोटों से जूझती रही. एशियन गेम्स 2023 के दौरान चानू चोटिल हो गई थीं. जिसका असर उनके प्रदर्शन पर भी दिखा था और वो चौथे नंबर पर रही थीं. इस चोट की वजह से वो पांच महीने तक सारे इवेंट्स से दूर रही. हालांकि इस साल की शुरुआत से उन्होंने कठिन रिहैबिलिटेशन शुरू किया. जिसका फायदा उन्हें अप्रैल 2024 में हुए फुकेट वर्ल्ड कप के दौरान मिला. मीराबाई ने कुल 184Kg का वजन उठाकर पेरिस ओलंपिक्स का टिकट अपने नाम किया था.

# कौन हैं मीराबाई चानू?

मणिपुर के एक छोटे से गांव में जन्मी मीराबई चानू ने वेटलिफ्टिंग की दुनिया में कदम कैसे रखा, ये भी थोड़ा जान लीजिए. चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को हुआ. इम्फाल से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर नोंगपोक काकचिंग नाम के गांव में. छह भाई-बहनों में, चानू सबसे छोटी हैं. बेहद गरीब परिवार में जन्मी चानू खाना बनाने के लिए आस-पास के जंगलों से लकड़ी इकट्ठा किया करती थीं. वो लकड़ी के ढेर को बड़ी आसानी से अपने सिर पर उठा लेती थीं. इतना ही नहीं, वो इन लकड़ी के लट्ठों को लेकर कई किलोमीटर तक पहाड़ी रास्तों पर सफर भी किया करती थी. 

मीराबाई को बचपन में तीरंदाजी का शौक था. इसमें करियर बनाने के इरादे से वो एक दिन अपने चचेरे भाई के साथ इम्फाल स्थित SAI सेंटर में गईं. जहां कुछ वेटलिफ्टर्स को देख उनके मन में ये खेल समा गया और फिर चानू ने वेटलिफ्टिंग की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया. उन्हे मणिपुर की ही वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी को देखकर भी काफी प्रेरणा मिली. यहीं से मीराबाई चानू के स्टार बनने की शुरुआत हुई.

वीडियो: मीराबाई चानू, जो मणिपुर में ट्रेनिंग सेंटर पहुंचने के लिए ट्रक ड्राइवर से लिफ्ट लेती थीं