मनु भाकर (Manu Bhaker). पेरिस ओलंपिक्स (Paris Olympics 2024) में इतिहास रचने वाली इंडियन शूटर. भाकर ने ओलंपिक्स में देश के लिए दो-दो मेडल जीते. और बेहद मामूली अंतर से मेडल की हैटट्रिक लगाने से रह गईं. दोनों मेडल्स जीतने के बाद मनु ने जब भी इंटरव्यू दिया, उन्होंने एक नाम का जिक्र सबसे ज्यादा बार किया. और वो नाम है जसपाल राणा (Jaspal Rana). राणा खुद भी भारत के लिए कई बड़े इवेंट्स में मेडल्स की झड़ी लगा चुके हैं. लेकिन इस बार जसपाल राणा चर्चा में आए हैं एक गुरु के तौर पर.
अस्पताल से भाग गोल्ड जीतने वाले जसपाल राणा, जो मनु भाकर को डबल ओलंपिक्स मेडलिस्ट बना गए!
Paris Olympics 2024 में इतिहास रचने वाली इंडियन शूटर Manu Bhaker अपनी फॉर्म का श्रेय कोच Jaspal Rana को देती हैं. एक समय दोनों के रिश्ते काफी बिगड़ गए थे.

90 के दशक के लोग राणा को इंडियन शूटिंग गेम्स के बेताज बादशाह के तौर पर जानते हैं. चाहे वो एशियन गेम्स हों या फिर कॉमनवेल्थ गेम्स, शूटिंग का इवेंट आते ही लोग पहला जो नाम जो ढूंढते थे, वो जसपाल राणा का ही होता था. शूटिंग करियर खत्म होने के बाद राणा ने कोचिंग में हाथ आजमाया. कई प्लेयर्स को तैयार करने में इनकी अहम भूमिका रही.
पर कई बार ये विवादों में भी रहे. यहां तक कि टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय शूटर्स की नाकामी का ठीकरा भी इनके सर फोड़ा गया. मनु भाकर के खराब प्रदर्शन का जिम्मेदार भी इन्हें ही ठहराया गया. लेकिन आज जसपाल राणा पर हर भारतीय को गर्व हो रहा है. तो आइए जानते हैं इनकी पूरी कहानी.
इनका जन्म 28 जनवरी 1976 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुआ. राणा के जीवन में शूटिंग की एंट्री महज 10 साल की उम्र में ही हो गई. इनके पिता नारायण सिंह राणा इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) में तैनात थे. उन्होंने जसपाल को पिस्टल और राइफल्स से रूबरू करवा दिया. देखते ही देखते राणा पिस्टल और राइफल्स दोनों में अपने टैलेंट का लोहा मनवाने लगे. लेकिन यहां फेडरेशन का एक नियम उनके लिए अड़चन बन गई. नियम था कि एक शूटर एक ही गन से शूटिंग में हिस्सा ले सकता है. ऐसे में जसपाल ने पिस्टल के साथ अपने करियर को आगे बढ़ाने का ऑप्शन चुना.
एक-दो साल की ट्रेनिंग के बाद से ही वो स्टेट और नेशनल लेवल के कंपटीशन में हिस्सा लेने लगे. साल 1988, जब उनकी उम्र महज 12 साल की थी, तब राणा ने अहमदाबाद में हुई 31वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया. यहां से राणा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नेशनल लेवल पर उन्होंने कई मेडल्स अपने नाम किए.

फिर बारी आई 1994 में मिलान में हुई वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप की. राणा ने जूनियर सेक्शन में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ अपना पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीता. इस मेडल की एक और खास बात थी. राणा ने ये मेडल असहनीय दर्द में जीता था. दरअसल, इवेंट से एक दिन पहले जसपाल अस्पताल में थे. उनके घुटने पर एक फोड़ा हो गया. जिसके बाद डॉक्टर्स की तरफ से उनके पैर की सर्जरी के लिए कहा गया. ये भी बताया गया कि उन्हें अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलेगी. ऐसे में राणा और उनके कोच सनी थॉमस ने वहां से भागने का फैसला किया.
इसके बारे में राणा ने Olympics.com को बताया,
‘हम अस्पताल से तो भाग गए. लेकिन उस रात ही वो फोड़ा फूट गया और जो दर्द हुआ वो असहनीय था. डोप नियमों की सही जानकारी नहीं होने के कारण खुद से कोई दर्द निवारक दवा नहीं ली. फोड़ा फूटने की वजह से जींस भी नहीं उतार पा रहा था. ऐसे में अगले दिन जींस को काटकर शॉर्ट्स बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा.’
उसी साल हिरोशिमा में हुए एशियन गेम्स में भी जसपाल राणा ने गोल्ड मेडल जीता और 18 साल की उम्र में ही अर्जुन अवार्ड भी अपने नाम किया. राणा ने पहली बार, साल 1994 में कोलंबिया में हुए CWG गेम्स में हिस्सा लिया. इस इवेंट में उन्होंने कुल चार मेडल्स जीते. जिसमें दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज़ मेडल शामिल थे. यहां से राणा ने हर एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में कमाल किया. राणा ने कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत के लिए कुल 15 मेडल जीते हैं. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. दोहा में हुए 2006 एशियन गेम्स में उन्होंने आठ पदक जीते, जिनमें तीन गोल्ड और एक सिल्वर शामिल था.
शूटिंग छोड़ने के बाद राणा ने पहले पॉलिटिक्स और फिर कोचिंग में अपना हाथ आजमाया. साल 2009 में भाजपा के टिकट पर टिहरी से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजय बहुगुणा से हार गए. बाद में उन्होंने कांग्रेस से दामन थाम लिया.
# कोचिंग करियर और विवादजसपाल राणा बाद में जूनियर शूटिंग टीम के नेशनल कोच बने. यहीं उनकी मुलाकात मनु भाकर समेत कई जूनियर शूटर्स से हुई. उनकी ट्रेनिंग में मनु समेत कई शूटर्स को काफी सफलता मिली. साल 2020 में उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी दिया गया.
हालांकि इस दौरान कई प्लेयर्स के साथ उनके मतभेद की खबरें भी आई. कई प्लेयर्स ने उनकी कठोरता को लेकर शिकायत भी की. साल 2018-19 के दौरान जसपाल राणा और मनु भाकर के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी वजह थी मनु का 25 मीटर पिस्टल इवेंट में हिस्सा लेना. मनु 10 मीटर, 10 मीटर मिक्स्ड टीम और 25 मीटर में हिस्सा ले रही थीं. लेकिन जसपाल राणा का मानना था कि मनु सिर्फ दो इवेंट पर फोकस करें. क्योंकि कम उम्र में तीन अलग-अलग इवेंट में हिस्सा लेना उनके लिए मुश्किल होगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक राणा ने 25 मीटर में मनु की जगह चिंकी यादव को तरजीह देनी शुरू कर दी. यहां से मनु भाकर के साथ उनके रिश्ते काफी बिगड़ गए. दिल्ली में हुई ISSF शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान राणा एक सफेद टी-शर्ट पहन कर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में घूमे थे. जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में काफी कुछ लिखा हुआ था. इसे लेकर जब बवाल मचा, तो राणा ने साफ किया कि ये टी-शर्ट उनको मनु की मां ने भेजी थी.

इस विवाद के बाद मनु भाकर ने जसपाल राणा के साथ काम करने से साफ मना कर दिया. ऐसे में नेशनल राइफल असोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के लिए मुश्किलें पैदा हो गई. NRAI ने आनन-फानन में मनु के लिए रौनक पंडित को उनका पर्सनल कोच नियुक्त किया. लेकिन इस सब विवादों का असर मनु के प्रदर्शन भी पड़ा और टोक्यो ओलंपिक्स में उनका प्रदर्शन काफी साधारण रहा. वो 10 मीटर, 10 मीटर मिक्स्ड टीम और 25 मीटर, तीनों में से किसी भी इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच पाई. इसे मनु के साथ रौनक की नाकामी भी माना गया.
इवेंट खत्म होने के बाद मनु ने मीडियावालों से बात की और अपने खराब प्रदर्शन का ठीकरा सीधे जसपाल राणा के सिर फोड़ा. मनु ने कहा कि जसपाल राणा के साथ विवाद के कारण ओलंपिक के लिए उनकी तैयारियां प्रभावित हुई थीं. NRAI के तब के अध्यक्ष रणिंदर सिंह ने भी मनु के प्रदर्शन के लिए राणा को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें एक ‘नेगेटिव फैक्टर’ बताया. जिसके बाद करीब 10 साल तक कोच रहने के बाद राणा को जूनियर टीम से हटा दिया गया.
मनु से सार्वजनिक लड़ाई के बाद जसपाल राणा शूटिंग की दुनिया से लगभग गायब ही हो गए. इसके बारे में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा,
# मनु के साथ विवाद खत्म‘टोक्यो ओलंपिक्स के बाद मैं वास्तव में टूटा सा गया था. मैं खेती करता था. मेरे पिता के पास एक रिसॉर्ट है, मैं वहां काम कर रहा था.’
साल 2023 में मनु भाकर और जसपाल राणा के रिश्ते सुधर गए. वो मनु के पर्सनल कोच बन गए. इसका असर मनु के प्रदर्शन पर भी देखने को मिला. टोक्यो ओलंपिक्स की नाकामी को पीछे छोड़, मनु ने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत पेरिस ओलंपिक्स का टिकट हासिल किया. मनु ने अपनी फॉर्म में सुधार का पूरा श्रेय जसपाल राणा को दिय. पेरिस ओलंपिक्स में हिस्सा लेने से ठीक पहले DD को दिए इंटरव्यू में मनु ने बताया,
‘मैंने मई 2023 के आसपास मन बना लिया था कि पेरिस ओलंपिक्स के बाद मैं शूटिंग छोड़ दूंगी. क्योंकि ये खेल से ज्यादा मुझे एक जॉब लगने लगी थी. मैं मेडल जीत रही थी और अच्छा भी खेल रही थी, लेकिन मेरा इस खेल से मन ऊब सा गया था. मैं खुश नहीं थी. लेकिन जब जसपाल सर हमारे कोच बने तो चीजें बदल गई. उन्होंने मुझे काफी कुछ समझाया. मुझे क्या करना चाहिए क्या नहीं. उनकी बातें काफी काम आई. कुछ दिन बाद मैंने ओलंपिक्स कोटा हासिल किया. जसपाल सर के बिना मेरे लिए ये करना संभव नहीं था.’
जिस मनु के साथ जसपाल राणा के बिगड़े रिश्तों की काफी चर्चा हुई थी, आज उन्हीं के साथ मिलकर मनु भारतीय तिरंगे को बुलंद कर रही हैं. जसपाल राणा मनु के साथ पेरिस गए. हालांकि नेशनल टीम कोच नहीं होने के कारण उन्होंने स्टैंड में बैठकर मनु का इवेंट देखा. मनु को कोचिंग देने के साथ ही राणा देहरादून में इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नॉलजी भी चलाते हैं. जहां पर कई युवा प्रतिभाओं को निखारा जाता है.
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