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Paris Olympics 2024: 'खत्म रेसलर' इस बार दिलाएगी भारत को ओलंपिक्स मेडल?

ओलंपिक्स. भारत के लिए इस मेगा-इवेंट में रेसलर्स खूब चमकते हैं. पेरिस ओलंपिक्स में भी इंडियन फ़ैन्स कुछ ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं. चलिए, आपको बताते हैं कौन-कौन से रेसलर्स पोडियम पर फिनिश कर सकते हैं.

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अंतिम पंघाल, विनेश फोगाट और अंशु मलिक

पेरिस ओलंपिक्स 2024 और रेसलिंग. ओलंपिक्स में भारत ने अभी तक कुल 35 मेडल्स जीते हैं. इनमें से रेसलिंग में सात मेडल्स आए हैं. हमने रेसलर्स से ज्यादा ओलंपिक्स मेडल बस फील्ड हॉकी में जीते हैं. 26 जुलाई से जब इन गेम्स की शुरुआत होगी, तब फिर फ़ैन्स रेसलिंग मैच शुरू होने का इंतजार करेंगे. क्योंकि इस गेम में भारत मेडल जरूर लाता है. और इस बार ऐसा कमाल कौन कर सकता है. चलिए, उन नामों पर चर्चा करते हैं.

अंतिम पंघाल

अंतिम पंघाल. हरियाणा से आने वाली एक और रेसलर. साल 2022 में इन्होंने खूब रिकॉर्ड्स तोड़े. लेकिन चर्चा में ये साल 2023 में आई. एशियन गेम्स 2023 के लिए फेडरेशन ने इनको नेशनल ट्रायल्स जीतने के बावजूद स्टैंड बाय में रखा. और रेसलर्स प्रदर्शन में शामिल विनेश फोगाट को बिना नेशनल ट्रायल्स के इस टूर्नामेंट में भेजने का फैसला कर लिया.

अंतिम ने इस फैसले पर खूब गुस्सा दिखाया था और कोर्ट तक का दरवाज़ा खटखटा दिया था. लेकिन इन सबके बीच विनेश के चोटिल होने के चलते अंतिम को खेलने का मौका वैसे ही मिल गया. और इस टूर्नामेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया था. लेकिन सिर्फ इसी मेडल के कारण इनको ओलंपिक्स मेडल का दावेदार नहीं बताया जा रहा है.

19 साल की अंतिम अपने करियर में अभी तक बड़े-बड़े कमाल कर चुकी है. साल 2015 में उन्होंने अंडर-15 एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता. इसके बाद साल 2020 में उन्होंने जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता. फिर अंडर-23 एशियन चैम्पियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता. साल 2022 में अंतिम वर्ल्ड अंडर-20 रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली इंडियन रेसलर बनीं. इसके बाद इस टाइटल को अगले ही साल डिफेंड भी किया.

इसके अलावा साल 2023 में उन्होंने एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप का सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया. ओलंपिक्स मेडल पर बात करते हुए अंतिम ने जियो से कहा,

'देश ने मेरे ऊपर विश्वास दिखाया है और मैं उनकी उम्मीदों पर खरी उतरना चाहती हूं. अगर मैं किसी चीज़ पर अपना ध्यान-केंद्रित कर देती हूं, तब मैं कोशिश करती हूं कि इसको खत्म ही करके आऊं.'

विनेश फोगाट

खत्म रेसलर्स. 2024 रेसलर्स प्रोटेस्ट के दौरान इस शब्द का खूब इस्तेमाल किया गया था. लेकिन अब इसी प्रोटेस्ट की सबसे बड़ी आवाज़ों में से एक विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक्स में इंडिया को रिप्रेसेंट करेंगी. और इन्हीं सो-कॉल्ड खत्म रेसलर्स को पूरा इंडिया चीयर करेगा. इस प्रोटेस्ट से अलग, आप ये जानते ही होंगे कि विनेश इंडिया की सबसे बेहतरीन विमेंस रेसलर्स में से एक हैं.

तीन बार कॉमनवेल्थ गोल्ड. दो बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप का ब्रॉन्ज़ और एक बार एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल जीतने वाली विनेश तीसरी बार ओलंपिक्स में इंडिया को रिप्रेसेंट करेंगी. रियो 2016 और टोक्यो 2020 में वो क्वॉर्टरफाइनल से बाहर हुई थी. रियो में तो वो इंजर्ड हो गई थीं, लेकिन टोक्यो की हार ने लोगों को चौंका दिया था. विनेश उस वक्त वर्ल्ड नंबर वन थीं.

ख़ैर इसे पीछे छोड़ अब विनेश फिर से लड़ने वाली हैं. और मेडल के साथ ओलंपिक्स से लौटना चाहती हैं. इस बारे में उन्होंने ओलंपिक्स कोटा जीतने के बाद कहा था,

'ये अभी तक मुश्किल रहा है, लेकिन जब आप जीतते हैं तो ऐसा लगता है कि सारे संघर्ष का फल मिल गया. अगले चार-पांच दिन मैं खुद में शांत फील करूंगी. लेकिन ओलंपिक्स मेन टार्गेट है. मैं वो हासिल करने की कोशिश करूंगी जो बीते दो ओलंपिक्स में नहीं कर पाई.'

विनेश का ये सपना थोड़ा मुश्किल भी लगता है. क्योंकि 53Kg कैटेगरी में खेलने वाली विनेश को ओलंपिक टिकट पाने के लिए 50Kg में शिफ्ट होना पड़ा था. लेकिन एक पॉजिटिव ये भी है कि विनेश ने हाल में हुई स्पैनिश ग्रैंड प्री में गोल्ड मेडल जीता था. अब ऐसे में फ़ैन्स यही उम्मीद कर रहे हैं कि वज़न घटाने के कॉम्पटिशन से लड़ते हुए विनेश इस बार ओलम्पिक्स मेडल जीतकर ही लौटें.

अंशु मलिक

अंशु मलिक. 22 साल की रेसलर. 57Kg में इंडिया को रिप्रेसेंट करेगी. अंशु ने 17 साल की उम्र में ही अपना ओलंपिक्स डेब्यू कर लिया था. हालांकि टोक्यो से उनको पहले राउंड से ही लौटना पड़ा. लेकिन इस साल ऐसा नहीं होने वाला है. अंशु ने अब तक खेले ज्यादातर टूर्नामेंट्स में पोडियम फिनिश किया. और उनसे ऐसी ही उम्मीदें इस बार के ओलंपिक्स में भी हैं.

अब अंशु से इतनी उम्मीदें क्यों हैं, ये भी आपको बताते चलते हैं. साल 2021 में अंशु वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली इंडियन महिला रेसलर बनी थी. साल 2020 से 2024 तक, हर साल हुई एशियन चैम्पियनशिप में उन्होंने पोडियम फिनिश किया. इस बीच हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी सिल्वर मेडल जीता. बढ़िया तरीके से चलने वाले इस करियर में 2023 की एशियन चैम्पियनशिप के दौरान ब्रेक लगा.

अंशु इस टूर्नामेंट के सेमी-फाइनल मैच में चोटिल हो गई. उनको गंभीर चोट लगी, जिस कारण वो लम्बे समय के लिए रेसलिंग से दूर हो गई. लेकिन चैम्पियंस की यही खास बात होती है कि जब वो हर्ट होते हैं, तो और बेहतर वापसी करते हैं. अंशु ने भी की. एक साल बाद इंटरनेशनल मैच में उतरी अंशु ने एशियन ओलंपिक क्वॉलिफायर टूर्नामेंट के जरिए पेरिस ओलंपिक्स की सीट पक्की की. और फिर कहा,

'जो पिछले ओलंपिक्स में कमी रह गयी थी वो इस ओलंपिक्स में पूरी करनी है.'

अमन सहरावत

अमन सहरावत. पेरिस ओलंपिक्स 2024 में इंडिया को रिप्रेसेंट करने वाले इकलौते पुरुष रेसलर. अमन 57Kg कैटेगरी में लड़ने वाले हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स में सिल्वर मेडलिस्ट रहे रवि दहिया को ट्रायल्स में हराकर यहां तक जगह बनाई है. और उनकी कहानी बहुत ही इंट्रेस्टिंग है. लेकिन 21 साल के अमन की इस कहानी की वजह से उनको ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं माना जा रहा है. इसके पीछे का कारण उनका रिकॉर्ड और गेम है.

तो चलिए, उनके बारे में आपको बताते हैं. रवि दहिया, अमन के आइडल हैं. दोनों सेम कैटेगरी में रेसलिंग करते हैं. साल 2022 में जब कॉमनवेल्थ गेम्स में इंडिया को रिप्रेसेंट करने के लिए ट्रायल्स हुए तो रवि ने अमन को बुरे तरीके से हरा दिया. इतने बुरे तरीके से, कि अमन ने अपनी इस हार की वीडियोज़ को लगातार लूप पर देखा.

फिर साल 2024 एशियन ओलंपिक क्वॉलिफायर में खेलने के लिए हुए ट्रायल्स में उनको इस हार का बदला लेने का मौका मिला. अमन ने इस मौके को लपका, रवि को आइडल नहीं सिर्फ कॉम्पटिटर की निगाहों से देखा. और मैच की शुरुआत में पीछे रहने के बाद वापसी कर, सिर्फ एक पॉइंट के मार्ज़िन से रवि को हरा दिया.

लेकिन इस इवेंट से इंडिया का एक भी मेल एथलीट आगे क्वॉलिफाई नहीं कर पाया. इस दौरान परेशान अमन की बात दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार से हुई. सुशील ने अमन को ऐसा मोटिवेट किया कि मई में हुए वर्ल्ड ओलंपिक्स क्वॉलिफायर में अमन ने पेरिस की टिकट कटा ही ली.

अमन अंडर-23 वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप के चैम्पियन हैं. साल 2023 में उन्होंने एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता. एशियन गेम्स 2023 में वो ब्रॉन्ज़ मेडल घर लेकर आए. इसके अलावा ओलंपिक्स के इस साल में उन्होंने ज़गरेब ओपन सीरीज़ (Zagreb Open ranking series) में गोल्ड जीता. फिर Budapest रैंकिंग सीरीज़ में सिल्वर मेडल अपने नाम किया.

अमन का ये रिकॉर्ड और उनका गेम उनको मेडल कंटेंडर बनाता है. हां, ये बिल्कुल भी आसान नहीं होगा. लेकिन फिर छत्रसाल स्टेडियम के उनके कमरे की दीवार पर लिखी ये लाइन याद आती है.  'अगर ये आसान होता, तो हर कोई इसे कर लेता.'

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