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माता-पिता को खोने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, अब हरियाणा के छोरे ने पेरिस ओलंपिक्स में गाड़ा लट्ठ!

रेसलर Aman Sehrawat ने Paris Olympics 2024 में देश को छठा मेडल दिलाया है. Sushil kumar और Ravi Dahiya को आदर्श मानने वाले लड़के की यहां तक पहुंचने की कहानी काफी इंस्पिरेशनल है.

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अमन सहरावत (फोटो: PTI)

'अगर आसान होता तो हर कोई देश के लिए मेडल ले आता…' ऐसा ही कुछ लिखा हुआ है छत्रसाल स्टेडियम की दीवार पर लगी एक तस्वीर में. ये तस्वीर 21 साल के एक युवा रेसलर ने अपने आप को मोटिवेट करने के लिए लगा रखी है. क्योंकि बचपन से लड़के का सपना है देश के लिए एक ओलंपिक्स मेडल जीतने का. और ये सपना 9 अगस्त, शुक्रवार को पूरा हो चुका है. युवा रेसलर ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 (Paris Olympics 2024) में देश को छठा मेडल दिलाया है. नाम है अमन सहरावत (Aman Sehrawat).

सहरावत ने ब्रॉन्ज़ मेडल के मुकाबले में प्युर्तो रिको के रेसलर को मात दी. सहरावत ने 57Kg भारवर्ग के इस मुकाबले में डारियन क्रूज़ को 13-5 से पटक दिया है. और अपने ओलंपिक्स डेब्यू में देश के लिए ब्रॉन्ज़ मेडल जीत लिया है. सुशील कुमार को देखकर रेसलिंग की शुरुआत करने वाला, और रवि दहिया को अपना आदर्श मानने वाला ये लड़का है कौन? आइये जानते हैं.

# कौन हैं अमन सहरावत?

अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को हुआ. हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ. बचपन से ही गांव में कुश्ती शुरू कर दी. सुशील कुमार को लंदन ओलंपिक्स में मेडल जीतते देखने के बाद तो उन्होंने प्रोफेशनल रेसलर बनने की ठान ही ली. लेकिन कम उम्र में ही उनके ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा. अमन जब 10 साल के थे तब उनकी माता का निधन हो गया.

उनके पिता ये दुख सहन नहीं कर पाए और कुछ महीनों बाद उनका भी निधन हो गया. इस मुश्किल समय में भी अमन ने कुश्ती जारी रखी. कुछ समय बाद वो कुश्ती की फैक्ट्री माने जाने वाले छत्रसाल अखाड़े में पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात कोच ललित कुमार से हुई. इस बारे में ललित कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

‘अमन के चचेरे भाई उन्हें लेकर छत्रसाल स्टेडियम में हमारे पास पहुंचे थे. अमन तब 11 साल के थे और काफी दुबले-पतले थे. उनके पैरेंट्स का निधन हो चुका था. उन्हें देखकर मेरे मन में आया कि कुछ और ना सही, कम से कम यहां उन्हें हम दो वक्त का भोजन तो दे ही सकते हैं.’

यहां से शुरुआत हुई एक छोटे से लड़के की स्टार रेसलर बनने की कहानी. अमन को पता था कि उनके पास अब कुश्ती के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा था. ऐसे में उन्होंने मेहनत करनी शुरू कर दी. कोच ललित के मुताबिक अमन सूर्योदय से पहले ही उठ जाते थे और फिर शुरू हो जाता था उनका रस्सियों पर चढ़ना, कीचड़ में कुश्ती करना आदि. जब शाम को वार्म-अप ड्रिल शुरू होती, तो अमन भी बाकी प्रोफेशनल रेसलर्स के साथ शामिल हो जाते. जल्द ही अपने टैलेंट और जी-तोड़ मेहनत से उन्होंने कोच ललित को प्रभावित कर लिया.

छत्रसाल स्टेडियम में अमन सबसे ज्यादा प्रभावित हुए टोक्यो ओलंपिक्स के सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया से. ESPN की रिपोर्ट की मानें तो वो रवि को लगातार कुश्ती करते देखते थे. रवि की जो टेक्निक पसंद आती थी, अमन उसे तुरंत ही सीखने की कोशिश करने लगते थे. साल 2018 में पहला मौका आया जब अमन ने रेसलिंग में अपनी छाप छोड़ी. 2018 में विश्व कैडेट चैंपियनशिप में उन्हें ब्रॉन्ज़ मेडल मिला. जबकि साल 2021 में उन्होंने नेशनल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर लिया.

जगरेब ओपन में किया कमाल

फिर बारी आई साल 2022 की अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप की. जहां युवा रेसलर गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बन गए. इसी साल एशियन गेम्स में अमन ने 57Kg कैटेगरी में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया. यहां से अमन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जनवरी 2024 में हुए जगरेब ओपन रेसलिंग टूर्नामेंट में अमन ने गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने अपने सारे विरोधियों को टेक्निकल सुपीरियॉरिटी से हराया.

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अमन का सपना अब पेरिस ओलंपिक्स था. लेकिन इस दौरान अमन की राह में खड़े थे उनके ही आइडल, रवि दहिया. दोनों 57Kg कैटेगरी में हिस्सा लेते थे. ऐसे में अमन के पास रवि को हराने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा था. मौका था 2024 एशियन क्वॉलीफायर टूर्नामेंट का. जहां उन्होंने रवि दहिया को 14-13 के अंतर से हरा दिया. और उन्हें इस्तांबुल में होने वाली वर्ल्ड रेसलिंग क्वॉलिफिकेशन टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का मौका मिल गया. अमन ने ना सिर्फ इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया बल्कि वो ओलंपिक्स कोटा हासिल करने वाले इकलौते इंडियन मेंस रेसलर भी बन गए.

पेरिस ओलंपिक्स में शानदार प्रदर्शन

पेरिस ओलंपिक्स में अमन ने 57Kg फ्रीस्टाइल राउंड ऑफ-16 का पहला मुकाबला मैसेडोनिया के व्लादिमीर एगोरोव के खिलाफ खेला. जिसे उन्होंने टेक्निकल सुपीरियॉरिटी के आधार पर 10-0 से जीत हासिल की. क्वॉर्टर-फाइनल मुकाबले में भी अमन की यही फॉर्म बरकरार रही. उन्होंने अल्बानिया के जेलिमखान अबकारोव को 12-0 से हराया. हालांकि सेमी-फाइनल मुकाबले में अमन के सामने नंबर-1 रेसलर री हिगुची थे. इस मुकाबले में अमन को 0-10 से हार का सामना करना पड़ा.

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