अरशद नदीम. पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर. Tokyo 2020 Olympics में पाकिस्तान की ओर से उतरे थे. अरशद को पाकिस्तान के लिए ओलंपिक्स मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद बताया जा रहा था. लेकिन अरशद मेडल जीतने में नाकाम रहे. उन्होंने पांचवें नंबर पर फिनिश किया. मुकाबले से पहले अरशद को भारतीय जैवलिन थ्रोअर Neeraj Chopra के लिए बड़ा चैलेंज माना जा रहा था. लेकिन अरशद एक बार भी नीरज को चैलेंज नहीं कर पाए. नीरज ने 87.58 मीटर थ्रो कर इवेंट का गोल्ड मेडल जीता. जबकि अरशद का बेस्ट थ्रो 84.62 मीटर तक ही गया. गोल्ड जीतने के बाद जब नीरज से अरशद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,
'अरशद का पोडियम पर होना अच्छा होता. एशिया का नाम हो जाता'
अब अरशद ने इस बात के लिए नीरज चोपड़ा को शुक्रिया कहा है. उन्होंने इस ख़बर की कटिंग ट्वीट करते हुए लिखा,
'इन शब्दों के लिए शुक्रिया नीरज चोपड़ा.'
बता दें कि अरशद एशिया के बेस्ट जैवलिन थ्रोअर्स में से एक हैं. 24 साल के अरशद ने 2018 एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था. इस इवेंट का गोल्ड नीरज के हिस्से आया था. और इसी के चलते लोग टोक्यो में भी इन दोनों को एकसाथ पोडियम पर देखना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
# क्रिकेटर बनना चाहते थे अरशद
बताते चलें कि अरशद पहले क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन एज-ग्रुप क्रिकेट के दौरान एक बार जैवलिन थ्रो में हाथ आजमाने के बाद उन्होंने इसी में करियर बनाने का फैसला कर लिया. इस बारे में पाकिस्तानी अख़बर ट्रिब्यून से बात करते हुए उन्होंने कहा था,
'क्रिकेटर ना बनना मेरे साथ हुई सबसे सही चीज है. नहीं तो मैं ओलंपिक्स में नहीं जा पाता. मुझे पता है कि मेरे अंदर एथलेटिक्स के लिए एक नेचुरल टैलेंट है और इसके लिए मैं शुक्रगुज़ार हूं. लेकिन पाकिस्तान में क्रिकेट के अलावा कोई और खेल खेलने में बहुत चुनौतियां हैं. '
बता दें कि नदीम पाकिस्तान की वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी में काम करते हैं. वह एक स्कॉलरशिप के जरिए मॉरीशस के IAAF (अब वर्ल्ड एथलेटिक्स) हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग सेंटर में भी काम कर चुके हैं.
भूलसुधार: फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ का दावा है कि यह अरशद नदीम का ट्विटर हैंडल नहीं है. ऐसे में हम इस ख़बर में हुई चूक के लिए क्षमाप्रार्थी हैं.