किसी के इंटेंट की खूब तारीफ़ होती है. कोई फ़िटनेस के मामले में पूरी दुनिया के सामने एक बड़ा उदाहरण है. किसी की बोलिंग को साइंटिफ़िकली प्रूवन कहा जाता है. कोई अचीवमेंट्स के बाद मैदान में ही तलवार भांज देता है. और इन सबका गुरु, जो कहता है- जनता मुझे हंसने देखने के पैसे नहीं देती. वो पैसे देती है कि मेरी टीम को जीतता देख सके. इन सबने मिलकर, भारत को वो दिन दिखा दिया जिसके लिए आंखें तरस गई थीं.
इंटेंट, फ़िटनेस, साइंस, तलवार... सब बेकार, गंभीर की टीम को मिली सबसे शर्मनाक हार!
रोहित शर्मा की कप्तानी और गौतम गंभीर की कोचिंग में भारतीय टेस्ट टीम ने नई ऊंचाई हासिल कर ली है. वानखेडे टेस्ट हारते ही, ये टीम अपने घर में क्लीन-स्वीप होने वाली पहली भारतीय टेस्ट टीम बन गई.
तमाम पीढ़ियां खप गईं, लेकिन 3 नवंबर 2024 के रविवार जैसा दिन नहीं आया. अब ये कलंक मिट चुका है. खेतिहर कोली लोगों से शुरू हुए भारतीय क्रिकेट ने आज पहली बार अपने घर में तीन टेस्ट से ज्यादा की सीरीज़ में क्लीन-स्वीप देख लिया है. और ये सब हासिल हुआ उस टीम और कोचिंग स्टाफ़ के साथ, जिनके लिए आरती के थाल सजाए गए थे. कहा गया कि ये आए, तो अब दुनिया हमसे डरेगी. लेकिन किसी ने ये नहीं बताया कि हम जिनके दम पर दुनिया को डराने का ठेका ले रहे हैं, उनके अपने डर हैं.
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कोई लेफ़्ट आर्म स्पिनर देखते ही भागने लगता है. किसी के पास रैंक टर्नर पर भी पेसर्स को विकेट दे देने की कला है. कोई दिन के आखिरी मिनट्स में रिवर्स स्वीप से चौका मार लेना चाहता है. किसी को स्पिन ट्रैक पर विकेट निकाले में पसीने आ जाते हैं. कोई सालों से गेंद छोड़कर बोल्ड हो जा रहा है. 35-37 के ऐवरेज़ वाले बल्लेबाजों को हम अपना भविष्य बना बैठे हैं. जिसे जनता ब्रैडमैन कहती नहीं थकती, वो छह पारियों में 171 रन मारता है जिसमें एक पारी में अकेले 150 रन आ जाते हैं.
इन्हें तो ख़ैर भुला भी दें. लेकिन क्रिकेट की दुनिया के नेपोलियन, चंगेज खान बताए जा रहे बेस्ट टैक्टीशियन की टैक्टिक्स का क्या कीजै? रणजी में डेढ़ सौ मार जो टेस्ट टीम में आता है, उसे लगातार नीचे खिलाया जाता है. जिस पिच पर तमाम धुरंधर ध्वस्त हो जाते हैं, वहां वो बंदा एक छोर पर खड़ा रह जाता है. क्योंकि उसके पास साथियों के रूप में सिराज और आकाश दीप बचते हैं. डेढ़ सौ की लीड खाने के बाद दूसरी पारी की शुरुआत ही डिफ़ेंसिव फ़ील्डिंग से करने वाले कप्तान से कौन सवाल करेगा?
जिस एंड से एज़ाज पटेल आग लगाए पड़ा है, उस एंड से रविंद्र जडेजा को लगाने की मांग ठुकरा देना कौन सी कप्तानी है? कब तक हम स्टंप माइक पर आती गालियों को सेलिब्रेट करेंगे? कभी तो स्टंप माइक या किसी कैमरे पर कायदे की कप्तानी दिखनी चाहिए ना? जो टीम इस धरती पर 1988 से एक टेस्ट नहीं जीती, उससे सीरीज़ हार आप कैजुअली कहते हैं- 12 साल में एक बार चलता है? ये है आपका विनिंग एटीट्यूड?
कौन सी चैंपियन टीम इस ढीले एटीट्यूड के साथ दुनिया जीत पाती है? आपकी पूरी टीम स्पिन नहीं खेल पाती, इसके बाद आप रैंक टर्नर का जुआ खेल लेते हैं. बुरी तरह से हारने के बाद पीसी में आप कहते हैं- मुझसे गलती हो गई. ठीक है, इंसान से गलती होती है. लेकिन इस गलती को सुधारना भी तो आपका ही काम है. और ये काम अभी तक तो होता नहीं दिख रहा है.
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