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कहानी हैमिल्टन से चले फ़्लैटलाइन की, जिसने पुणे में टीम रोहित को पस्त कर दिया!

मिचल सैंटनर. न्यूज़ीलैंड के इस स्पिनर का टेस्ट रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं था. लेकिन पुणे टेस्ट में इन्होंने गदर ही मचा दिया. लेकिन सैंटनर ऐसे स्पिनर बने कैसे? चलिए आपको इनकी कहानी सुनाते हैं.

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मिचल सैंटनर ने पुणे में भारत को ध्वस्त कर दिया (AP)

साल 2016. क्रिकेट के जानकार इस साल को विराट कोहली का साल बुलाते हैं. इनके मुताबिक, इस साल का और बेहतर नाम हो ही नहीं सकता. इस साल कोहली ने 41 इंटरनेशनल पारियों में 2595 रन बना डाले थे. IPL में उनके नाम 973 रन रहे. इसमें भी चार शतक. ये ऐसा रिकॉर्ड है, जो आज तक नहीं टूटा. इस साल हुए T20 World Cup में भारत सेमी-फ़ाइनल तक पहुंचा था. और इस पूरे रास्ते में इन्हें बस एक मैच में हार मिली. जगह थी नागपुर, यानी महाराष्ट्र.

कट टू 2024. भारतीय क्रिकेट टीम सालों बाद घर में टेस्ट सीरीज़ हार चुकी है. इस बार जगह है पुणे, यानी फिर से महाराष्ट्र. अगर आपको लग रहा है कि हम कहीं की ईंट और कहीं का रोड़ा जोड़ रहे हैं, तो थोड़ा रुकिए. सांस लीजिए, हल्का गुनगुना पानी पीजिए और सुनिए वो कहानी जो आज पड़ेगी ही सुनानी. कहानी है एक क्रिकेटर की. जिसे उसके दोस्त फ़्लैटलाइन बुलाते हैं. क्योंकि उसका जीवन किसी फ़्लैटलाइन की तरह एकदम शांत रहता है. उतार-चढ़ाव आते तो हैं, लेकिन वो इन्हें दिखाता नहीं.

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इस फ़्लैटलाइन का दुनियावी नाम है मिचल जोसेफ़ सैंटनर. कई लोग इसे डैनिएल वेटोरी का क्लोन भी बुलाते हैं. पुणे के मैदान में सैंटनर ने जैसी बोलिंग की, उसके बाद इनके बारे में जान लेना बड़ा जरूरी लगा. 5 फरवरी 1992 को हैमिल्टन में जन्मे सैंटनर हमेशा ही सफेद गेंद के लिए ज्यादा बेहतर माने गए. तभी तो उनके स्टैट्स देखेंगे तो टेस्ट से बहुत ज्यादा मात्रा में वनडे और T20I मैच दिखेंगे. सैंटनर ने अब तक 104 वनडे और इतने ही T20I मैच खेले हैं. जबकि टेस्ट की बात करें तो पुणे टेस्ट को हटाकर, उनके नाम कुल 28 टेस्ट ही हैं.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि सैंटनर का टेस्ट डेब्यू देर से हुआ. उन्होंने वनडे डेब्यू के लगभग साथ-साथ ही टेस्ट डेब्यू भी कर लिया था. बात है 2015 की. 2014-15 डोमेस्टिक सीजन में सैंटनर ने नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट्स के लिए कमाल का खेल दिखाया. और ये देख उन्हें तुरंत न्यूज़ीलैंड की टीम में शामिल कर लिया गया.

सैंटनर ने सिर्फ़ 19 लिस्ट एक गेम्स के बाद वनडे डेब्यू कर लिया. और इसी साल, आगे चलकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ इनका टेस्ट डेब्यू भी हो गया. लेकिन सैंटनर का टेस्ट करियर फ़्लैट नहीं रहा. इसमें कई उतार-चढ़ाव आए. लिमिटेड ओवर्स में धमाकेदार बैटिंग के लिए मशहूर सैंटनर का पहला टेस्ट शतक 2019-2020 सीजन में आया. इंग्लैंड के खिलाफ़ बे-ओवल में.

सैंटनर के फ़र्स्ट क्लास करियर का भी यही हाल रहा. यहां भी वह कुछ खास सफल नहीं रहे. फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में सैंटनर का पहला और 25 अक्टूबर 2024 तक का इकलौता फ़ाइव विकेट हॉल 2022-2023 सीजन में आया. इन्होंने इसी मैच में शतक भी मारा था. सैंटनर ऐसा करने वाले न्यूज़ीलैंड के सिर्फ़ तीसरे प्लेयर हैं.

फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में गेंद से सैंटनर का स्ट्राइक रेट 89 का है. यानी हर विकेट के लिए वह तक़रीबन पंद्रह ओवर्स डालते हैं. टेस्ट क्रिकेट में ये आंकड़ा तक़रीबन 92 गेंदों का है. यानी इस फ़ॉर्मेट में सैंटनर कभी भी खतरनाक बोलर नहीं रहे. सैंटनर 15 साल की उम्र तक लेफ़्ट आर्म पेस बोलिंग करते थे. और शुरू से ही इनके हीरो डैनिएल वेटोरी रहे, बाद में उन्हीं से प्रभावित होकर सैंटनर ने लेफ़्ट आर्म स्पिनर बोलिंग शुरू की. 16-17 साल की उम्र में इनकी कमर में चोट आई और वापसी के बाद, सैंटनर का एक्शन बदल चुका था.

और इसी बदले हुए एक्शन के साथ उन्होंने 18-19 साल की उम्र में नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट्स के लिए डेब्यू किया. जहां सैंटनर को मिले उनके हीरो वेटोरी. बाद में इनकी अच्छी दोस्ती हुई और सैंटनर ने वेटोरी से काफी कुछ सीखा. सैंटनर ने घर से ज्यादा टेस्ट मैच बाहर खेले हैं. उन्हें इंडिया में खेलना पसंद तो है, लेकिन 2024 से पहले तक सैंटनर इंडिया को बड़ा चैलेंज मानते थे. क्रिकइंफ़ो के मोहम्मद इसाम से बात करते हुए सैंटनर ने साल 2017 में कहा था,

‘एक स्पिनर के रूप में आप चाहते हैं कि गेंद स्पिन करे. ऐसे विकेट्स पर बोलिंग करना हमेशा मजेदार होता है. हालांकि, भारत में खेलना आसान नहीं है, यहां बॉल स्पिन तो करती है, लेकिन वो स्पिन के बहुत अच्छे प्लेयर्स हैं. आपको अपने विकेट्स के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है.’

सैंटनर ने ये बयान भारत की उस हार के ठीकठाक वक्त के बाद दिया, जिसके ज़िक्र से हमने अपनी बात शुरू की. साल 2016 का T20 वर्ल्ड कप. नागपुर का जामथा मैदान. न्यूज़ीलैंड ने पहले बैटिंग की. सिर्फ़ 126 रन बनाए. लगा टीम इंडिया आसानी से ये मैच जीत लेगी. और शायद ऐसा हो भी जाता. अगर सैंटनर ना होते तो. उस टीम में नंबर नौ पर रविचंद्रन अश्विन बैटिंग के लिए आते थे. लेकिन ये टीम सैंटनर के आगे कुछ कर नहीं पाई. सैंटनर ने अपने चार ओवर्स में सिर्फ़ 11 रन देकर रोहित शर्मा, सुरेश रैना, महेंद्र सिंह धोनी और हार्दिक पंड्या के विकेट्स लिए.

ये आज भी T20Is में सैंटनर का बेस्ट बोलिंग फ़िगर है. और अब इसी नागपुर से कुछ घंटे दूर पुणे में सैंटनर ने अपने टेस्ट करियर की बेस्ट बोलिंग कर दी है. पुणे टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 53 रन देकर सात विकेट लिए. यह एक पारी में उनका बेस्ट बोलिंग फ़िगर है. टेस्ट की दूसरी पारी में सैंटनर ने छह विकेट निकाले. यानी टेस्ट में कुल 13 विकेट. ये एक टेस्ट में उनका अब तक का बेस्ट है.

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