मनोज तिवारी. पूर्व इंडियन क्रिकेटर और पॉलिटिशियन. इंडियन क्रिकेट टीम के अलावा चार IPL टीमों का भी हिस्सा रहे हैं. कई यादगार पारियां भी खेलीं. 11 दिसंबर, 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी वनडे मैच में मनोज ने 126 बॉल्स पर 104 रन की पारी खेली थी. लेकिन इसके बाद उन्हें करीब 6-8 महीने के लिए टीम से बाहर कर दिया गया (Manoj Tiwary on being dropped). इस पूरे वाकये को लेकर मनोज ने लल्लनटॉप के शो गेस्ट इन दी न्यूजरूम (GITN) में खुलकर बात की.
"धोनी से पूछूंगा, सेंचुरी के बाद क्यों किया ड्रॉप?", मनोज तिवारी ने बताया भारतीय कप्तानों का सच
Manoj Tiwary ने कहा कि उनका मन एकदम टूट गया था. लेकिन परिवार के बारे में जब सोचते थे तो जिम्मेदारियां याद आ जाती थीं. उन्होंने बताया कि जिम्मेदारियों की वजह से उन्होंने रिटायरमेंट नहीं लिया था. वरना उसी वक्त रिटायर कर जाते.

सेंचुरी के बाद टीम में जगह ना मिलने को लेकर मनोज ने कई बार कहा है कि वो एमएस धोनी से पूछेंगे कि उन्हें क्यों ड्रॉप किया गया? जब शो में इस पर उनसे सवाल पूछा गया तो मनोज ने बताया,
“एमएस टीम के कप्तान थे. टीम इंडिया हमेशा से कप्तानों की सोच से चलती है. स्टेट लेवल पर ऐसा कम होता है. स्टेट एसोसिएशन में अलग खेल होता है. क्लब्स का रिप्रेजेंटेशन रहता है. लेकिन इंडियन टीम में हमेशा कप्तानों की चलती थी, और चलती है. ये प्रक्रिया चलती थी और तब तक चलती रहेगी जब तक कोई सख्त एडमिनिस्ट्रेटर नहीं आ जाता.”
सेंचुरी के बाद प्लेइंग इलेवन से 14 मैचों तक बाहर किए जाने पर मनोज ने बताया,
“बिना किसी कारण के अगर कोई प्लेयर ड्रॉप कर दिया जाता है, तो उसे जवाब तो जानना ही होता है. सेंचुरी के बाद शाबाशी मिली, लेकिन उसके बाद भनक ही नहीं लगी कि ड्रॉप कर दिए जाएंगे. उस वक्त यंग प्लेयर्स डरते थे. मैं भी किसी भी सीनियर प्लेयर से कुछ भी पूछने में डरता था. करियर भी दांव पर रहता है. अगर कप्तान नाराज हो गया तो टीम से अलग कर दिया जाएगा. उस वक्त रोहित, विराट, रैना.. टीम में खेल रहे थे. उसके बाद ऑस्ट्रेलिया टूर हुआ. वहां उन लोगों ने रन नहीं किए थे. मैं शतक मार कर और प्लेयर ऑफ दी मैच लेकर भी टीम से बाहर था. एकदम टूट गया था. ऑस्ट्रेलिया से आने के बाद ये तक सोचा था कि रिटायरमेंट ही ले लूं.”
मनोज ने आगे कहा कि उनका मन एकदम टूट गया था. लेकिन परिवार के बारे में जब सोचते थे तो जिम्मेदारियां याद आ जाती थीं. उन्होंने बताया कि जिम्मेदारियों की वजह से उन्होंने रिटायरमेंट नहीं लिया था. वरना उसी वक्त रिटायर कर जाते.
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