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कुलदीप यादव: इस देश की आखिरी उम्मीदों में से एक

जिसे टीम में कोई लेना नहीं चाहता था, वो कैसे बना फिरकी का जादूगर?

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कुलदीप इस वर्ल्ड कप में 15 विकेट ले चुके हैं. (PTI)

2017. ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा. मैच का 33वां ओवर चल रहा था. कप्तान विराट कोहली ने गेंद थमाई 23 साल के युवा बोलर को. जो अनिल कुंबले के रिटायर होने के बाद रिस्ट स्पिनर के तौर पर टीम में अपनी जगह तलाश रहा था. ऑस्ट्रेलिया अपने पांच विकेट गंवा चुका था और रन बने थे सिर्फ 148. पहली गेंद. फुल लेंथ डिलीवरी. मैथ्यू वेड ने सीधे बल्ले से डिफेंड किया. स्टीव स्मिथ के आउट होने के बाद आए मैथ्यू वेड सात गेंदों पर दो रन बनाकर खेल रहे थे. 

अगली बॉल. लेग ब्रेक. घूमने के बाद विकेट से दूर जाती धीमी बॉल. वेड ने कट करने की कोशिश की. बैट का इन्साइड एज लगा, बॉल सीधे विकेट से टकराई. और आउट. ऑस्ट्रेलिया मुश्किल में. वेड के जाने के बाद क्रीज पर आए एश्टन एगर. ओवर की तीसरी बॉल. और आउट. लूपी लेग ब्रेक समझ नहीं पाए एगर. फुलटॉस बॉल को मिस किया. और बॉल टप्पा खाकर सीधे एगर के पैड पर लगी. और अंपायर ने उंगली आसमान की तरफ उठा दी. 

दो बॉल पर लगातार दो विकेट. टीम इंडिया ने इस विकेट के साथ जीत तय कर ली थी. स्कोरबोर्ड पर 148/7 हो चुके थे. बल्लेबाजी के लिए आए पैट कमिन्स. फील्ड में बदलाव किए गए. इस बार स्लिप के साथ एक लेग स्लिप भी. हैट्रिक बॉल. गूगली. और आउट. स्टंप से बाहर जाती हुई से गेंद पैट कमिन्स के बैट का किनारा लगा और विकेट के पीछे सीधे धोनी के दस्तानों में. इडन गार्डन्स में शोर चरम पर था. ये शोर, भारत को मिले एक युवा चाइनामैन बोलर के स्वागत में था. स्वागत, कुलदीप यादव का.

एम. एस. धोनी और विराट कोहली के साथ कुलदीप यादव. (PTI)

19 नवंबर, 2023 को कुलदीप यादव अपना सपना जी रहे हैं - ODI वर्ल्ड कप का फाइनल खेल रहे हैं. किसी न्यूकमर या नए लड़के की तरह नहीं, एक मंझे हुए रिस्ट स्पिनर की तरह. जिनके 10 ओवर का स्पेल सामने वाली टीम को नचाने के लिए काफी है. लेकिन कलाई के इस जादू के पीछे घंटों, दिनों, महीनों, बरसों की मेहनत है. अड़चनें हैं, आलोचनाएं हैं, चोटें हैं. वो दौर भी है जब वो खराब फॉर्म में थे. टीम से बाहर थे.

जब कोई नहीं था साथ

यूपी के कानपुर के रहने वाले कुलदीप के बारे में उनके कोच कपिल पांडे बताते हैं कि वो पेसर बनना चाहते थे. उन्होंने बड़ी मशक्कत से कुलदीप को इस बात के लिए राज़ी किया कि उन्हें बॉल को वसीम अकरम की तरह स्विंग नहीं, शेन वॉर्न की तरह टर्न कराना है. उनके कोच पांडे की दूरदर्शिता आज कुलदीप के करियर स्टैट्स में दिखती है. 

लेकिन एक दौर वो भी आया था जब बालक कुलदीप यादव ने क्रिकेट छोड़ने का मन बन लिया था. हिंदी अखबार हिंदुस्तान के कार्यक्रम ‘शिखर सम्मेलन’ में कुलदीप बताते हैं कि यूपी की U-15 टीम में उन्हें जगह नहीं मिली थी. तब उनके मन में क्रिकेट छोड़ने का ख्याल आने लगा था. लेकिन समय का पहिया घूमता है. कभी कुलदीप को को यूपी की टीम में जगह नहीं मिल रही थी, वो आज इंडिया के लिए वर्ल्ड कप फाइनल खेल रहे हैं. हालांकि यहां तक पहुंचने का सफर सांप-सीढ़ी की तरह था. कितनी ही बार सफलता के एकदम करीब से वापिस लौटना पड़ा कुलदीप को.

दो साल में ही खारिज करने लगे थे लोग

कुलदीप ने 2017 से इंडिया के लिए खेलना शुरू किया. लेकिन दो साल के अंदर जिसे उभरता सितारा कहा जा रहा था वो डूबता सूरज नज़र आने लगा. 2019 की ODI वर्ल्ड कप टीम में जगह मिली. लेकिन प्रदर्शन खराब रहा. सात मैच में सिर्फ 6 विकेट कुलदीप के खाते में आए. यहां से शुरू हुआ उनके करियर का डार्क फेज़.

वर्ल्ड कप के बाद कुलदीप का फॉर्म जाता रहा और वो टीम से ड्रॉप होने लगे. उनके बारे में ये पर्सेप्शन बनने लग गया था कि उन्हें स्पीड पर काम करने की जरूरत है. कहा जाने लगा कि कुलदीप की बॉल इतना स्लो टर्न लेती है कि बल्लेबाज आराम से जज कर लेता है. सेलेक्टर्स को कुलदीप सुहा नहीं रहे थे. टीम इंडिया के मैनेजमेंट ने हाथ खींच लिया. 

IPL में जिस KKR को कुलदीप जिताते आ रहे थे उसने भी अब साथ छोड़ दिया. 2021 में KKR ने कुलदीप को एक भी मैच में नहीं खिलाया. पूरा सीज़न कुलदीप बेंच पर बैठे रहे. एक रेगुलर स्पिनर पूरा सीज़न बेंच पर बैठकर बिता दे, उसके करियर में ये किसी धब्बे से कम नहीं है. फिर घुटने की इंजरी. सर्जरी करानी पड़ी. कुलदीप तब अपने करियर के सबसे बुरे वक्त से गुज़र रहे थे.

लेकिन कोरोना के दौरान में जब कोई कुलदीप के साथ नहीं था, तब उनके धैर्य और संबल ने उन्हें साहस दिया. और साथ थे बचपन के कोच कपिल पांडे. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कोच पांडे बताते हैं,

‘कुलदीप का ज्यादातर वक्त नेट में बीतने लगा था. वो अपनी बॉल की लेंथ और स्पीड पर काम कर रहे थे. इन्हीं चीज़ों पर सवाल उठाए जा रहे थे, टीम इंडिया के मैनेजमेंट से इंस्ट्रक्शन मिले थे. कुलदीप रोज 6-7 घंटे प्रैक्टिस कर रहे थे. और कभी-कभी तो उन्हें जबरदस्ती मैदान से खींचकर बाहर लाना पड़ता था.'

फिर 2021 में ही कुलदीप को संरक्षण मिला सुनील जोशी का. पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर. पूर्व चीफ सेलेक्टर. जिन्होंने सेलेक्शन कमेटी में रहते कुलदीप के लिए हाथ खड़े कर दिए थे. जोशी, कुलदीप को नेशनल क्रिकेट अकेडमी ले गए. कुलदीप की बोलिंग को तराशा. उनके हाथ का मूवमेंट सुधरवाया. स्पीड बदली. और कुछ नए गुर सिखाए.

कम बैक

अगला IPL आया. सितंबर 2021 में कुलदीप को घुटने में इंजरी हुई और इस बार कुलदीप को KKR ने खरीदा ही नहीं. कुलदीप KKR से रिलीज़ हुए और डेली कैपिटल्स (DC) ने उन्हें खरीद लिया. DC के कप्तान थे ऋषभ पंत और कोच रिकी पोंटिंग. डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है. और कुलदीप के कंधे पर तो हाथ रख दिया कोच और कप्तान दोनों ने. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुलदीप जब पहली बार DC के कैंप में पहुंचे तो पोटिंग ने उनसे कहा, 

‘तुम इस सीज़न के सारे मैच खेलने वाले हो. शेन वॉर्न तुम्हें क्यों पसंद करते हैं, मैं देख पा रहा हूं. तुम हमारे मैच विनर होगे.’

कप्तान पंत कुलदीप से जूनियर थे. पंत ने उनको फ्री हैंड दिया. नतीजा बेहतरीन आया. कुलदीप ने IPL 2022 में 21 विकेट झटके. सीज़न का बेस्ट रहा- 4/14. उसी कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ, जिसने कुलदीप को खरीदने से मना कर दिया था.

कुलदीप यादव. (PTI)

कुलदीप को लय मिल चुकी थी. पीछे मुड़ने का कोई सवाल नहीं था. टीम इंडिया में जगह बनी. मैच दर मैच प्रदर्शन निखरता गया. श्रीलंका, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज़, हर सीरीज़ में कुलदीप अपने खाते में विकेट जोड़ते चले जा रहे थे. ब्रिजटाउन में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ 3 ओवर में मात्र 6 रन देकर चार विकेट झटक लिए. और सबसे अहम बात, इकॉनमी में भी पकड़ बनी हुई थी. एशिया कप से पहले 2023 में भारत की तरफ से कुलदीप सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बोलर थे. 11 मैच में 22 विकेट.

एशिया कप खेलने श्रीलंका गए. पहला मैच नेपाल के खिलाफ. कोई विकेट नहीं मिला. लेकिन 10 में दो मेडन डाले और सिर्फ 34 रन खर्च किए. अगला मैच पाकिस्तान से था. कुलदीप ने पड़ोसी मुल्क के बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया. पिछले मैच में जहां एक भी विकेट नहीं मिला था, इस बार सीधे पंजा मारा. अगला मैच श्रीलंका से. प्रदर्शन बरकरार रहा. एक बार फिर 4 विकेट झटके. फाइनल में तो हालांकि, मोहम्मद सिराज ने किसी और को विकेट लेने दिया ही नहीं. लेकिन कुलदीप एशिया कप में अपना काम कर चुके थे. टीम में न सिर्फ जगह पक्की थी, प्लेइंग 11 का अहम हिस्सा बन चुके थे. कप्तान, कोच और टीम मैनेजमेंट का भरोसा जीत चुके थे.

वर्ल्ड कप 2023

इस वर्ल्ड कप से पहले कुलदीप के एक और वर्ल्ड कप की बात करना जरूरी है. जब कुलदीप U-19 खेल रहे थे. स्कॉटलैंड के खिलाफ कुलदीप ने हैट्रिक ली थी. करियर में कुलदीप की पहली हैट्रिक तो थी ही, U-19 वर्ल्ड कप में किसी भी भारतीय ने अब तक ऐसा कारनामा नहीं किया था. हर गेंदबाज का सपना होता है करियर में एक बार हैट्रिक लेने का. लेकिन कुलदीप अब तक तीन बार ये कारनामा कर चुके है. अंडर-19 और इंडिया के अलावा उन्होंने इंडिया A के लिए खेलते हुए 2022 में न्यूज़ीलैंड A के खिलाफ भी हैट्रिक ली.

और अब वर्ल्ड कप 2023 में भी कुलदीप अपनी कन्सिस्टेंसी साबित कर रहे हैं. टूर्नामेंट में कुलदीप 10 मैच में 15 विकेट ले चुके हैं. कुलदीप ने भले ही किसी एक मैच में चार या पांच विकेट न लिए हों, लेकिन उनका स्पेल टीम इंडिया के लिए कितना अहम होता है, ये बात कप्तान रोहित शर्मा बखूबी जानते हैं. मैच के दौरान जब सीमर्स पिट रहे होते हैं, कुलदीप की फिरकी ही रनों की रफ्तान पर रोक लगाती है. 10 मैच में कुलदीप ने 4.3 की औसत से 368 रन खर्च किए हैं.

कप्तान रोहित शर्मा के साथ कुलदीप यादव. (PTI)

एक समय था जब कुलदीप को उनकी गेंदबाजी में स्पीड के लिए टोका जाता था. लेकिन 22 अक्टूबर 2023 को धर्मशाला में न्यूज़ीलैंड बैटिंग कर रही थी. गेंद कुलदीप के हाथ में थी. उन्होंने क्रॉस सीम बॉल डाली. गेंद की रफ्तार थी- 113.7 Kmph. डेरिल मिचेल ने रिवर्स स्वीप करने की नाजायज़ कोशिश की. गेंद सीधे जाकर उनकी बाजू से टकराई. मिचेल दर्द से कराह उठे. कुलदीप की ये गेंद उनकी पिछली गेंद से 33 Kmph तेज थी. नज़ारा देख ऑफ साइड में खड़े कप्तान रोहित शर्मा की हंसी छूट पड़ी. लेकिन इस हंसी में कप्तान का अपने गेंदबाज के लिए भरोसा झलक रहा था. और इस भरोसे पर कुलदीप पूरे टूर्नामेंट खरे भी उतरे हैं.