IPL फ्रैंचाइज़़ (IPL Franchise) कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने बुधवार, 17 अगस्त को रणजी चैंपियन चंद्रकांत पंडित (Chandrakant Pandit) को अपना नया हेड कोच नियुक्त किया. कई घरेलू टीम्स के साथ सफलता हासिल करने के बाद चंद्रकांत पंडित ने हाल ही में मध्य प्रदेश को उनकी पहली रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) जिताई थी. वह अब दो बार की IPL चैंपियन टीम KKR में ब्रैंडन मैकलम की जगह लेंगे.
शाहरुख खान का ऑफर ठुकराने वाले चंद्रकांत पंडित कैसे बने KKR के हेड कोच?
घरेलू क्रिकेट में चंद्रकांत पंडित का रिकॉर्ड लेजेंडरी है.
इस नई चुनौती को स्वीकार करते हुए चंद्रकांत पंडित ने कहा,
‘मेरे लिए यह जिम्मेदारी मिलना एक बड़ा सम्मान और सौभाग्य की बात है. मैंने कोलकाता नाइट राइडर्स की पारिवारिक संस्कृति और साथ ही इस फ्रैंचाइज़ की सफलता की परंपरा के बारे में KKR से जुड़े खिलाड़ियों और अन्य लोगों से सुना है. मैं सपोर्ट स्टाफ और टीम के सेटअप का हिस्सा रहे खिलाड़ियों की क्वालिटी को लेकर उत्साहित हूं. और मैं पूरी विनम्रता और सकारात्मक उम्मीदों के साथ इस अवसर को देख रहा हूं.’
KKR के CEO वेंकी मैसूर ने चंद्रकांत पंडित का टीम के हेड कोच के रूप में स्वागत करते हुए कहा,
# Chandrakant Pandit KKR‘हम बहुत उत्साहित हैं कि चंदू हमारी जर्नी के अगले चरण में हमारा नेतृत्व करने के लिए नाइट राइडर्स परिवार में शामिल हो रहे हैं. वह जो करते हैं उसके प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और घरेलू क्रिकेट में सफलता का उनका ट्रैक रिकॉर्ड सभी के सामने है. हम अपने कप्तान श्रेयस अय्यर के साथ उनकी रोमांचक पार्टनरशिप के लिए उत्साहित हैं.’
2000-01 में एक क्रिकेटर के रूप में रिटायर होने के बाद चंद्रकांत पंडित ने कोचिंग रुख किया था. पिछले दो दशकों में पंडित तीन अलग-अलग राज्यों के साथ छह रणजी विजेता टीम्स के मुख्य कोच रहे हैं. उन्होंने अपनी कोचिंग में मुंबई को तीन बार, विदर्भ को दो बार और मध्य प्रदेश को एक बार चैंपियन बनाया. हालांकि घरेलू क्रिकेट में इस प्रकार की सफलता के बावजूद उनका नाम कभी किसी IPL टीम के साथ नहीं जुड़ा. KKR का हेड कोच बनने से पहले IPL की कोचिंग को लेकर चंद्रकांत पंडित ने कहा था,
‘अगर मैं किसी IPL टीम को फोन करुंगा तो कुछ मिल जाएगा ही. लेकिन वो मेरा स्टाइल कभी नहीं था.’
इससे पहले साल 2012 में चंद्रकांत पंडित को KKR से जुड़ने का ऑफर मिला था. यह ऑफर उन्हें खुद KKR के मालिक शाहरुख़ खान ने दिया था. इस बारे में उन्होंने बताया था कि वो 2012 सीज़न से पहले KKR के मालिक शाहरुख़ ख़ान से उनके बंगले पर मिले थे. पंडित ने कहा था,
‘मैं तब शाहरुख़ ख़ान से मिला था, लेकिन मैं खुद को एक विदेशी कोच के अंडर काम करने के लिए तैयार नहीं कर पाया.’
इस घटना के 10 साल बाद चंद्रकांत पंडित आधिकारिक तौर पर KKR के हेड कोच का पदभार संभाल चुके हैं. अगर उनके क्रिकेट करियर की बात करें तो पंडित ने साल 1986 में भारत के लिए डेब्यू किया था. 80 के दशक में सैयद किरमानी का उत्तराधिकारी बनने के इच्छुक लड़कों की लिस्ट में चंद्रकांत पंडित भी शामिल थे.
उन्हें बैटिंग के दम पर इंडिया डेब्यू का मौका तो मिला, लेकिन पांच में से तीन टेस्ट में उन्हें कीपिंग नहीं करने मिली. फिर 1991-92 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आखिरकार चंद्रकांत को दस्ताने पहनने का मौका मिला और उन्होंने 11 कैच लपकते हुए अपनी कीपिंग स्किल्स का शो ऑफ कर डाला.
चंद्रकांत का टेस्ट करियर बहुत लंबा नहीं चला, लेकिन अपनी बैटिंग के चलते वो 1986 से 1992 तक 36 वनडे मुकाबले जरूर खेल गए. हालांकि 1992 के बाद उनकी टीम में जगह नहीं बनी. जिसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश टीम का दामन थाम लिया और सालों तक वहां खेलते रहे. चंद्रकांत पंडित के MP से जुड़ने के बाद इस टीम की कहानी पलटनी शुरू हुई. शुरुआत से रणजी ट्रॉफी खेल रही मध्यप्रदेश की टीम साल 1998-99 में पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची.
जहां एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनका सामना कर्नाटक की टीम से था. फाइनल तक कमाल की क्रिकेट खेलने वाली एमपी की टीम फाइनल में 96 रन से चूक गई. पंडित एक खिलाड़ी के रूप में इस टीम को खिताब नहीं जिता पाए. लेकिन बाद में उन्होंने एक कोच के रूप में ये कर दिखाया.
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