Jay Shah ICC चेयरपर्सन बन गए हैं. दिसंबर में वह अपना कार्यकाल संभाल लेंगे. लेकिन इससे पहले ही जनता ने उनके सामने एक मांग रख दी है. और यहां जनता से हमारा मतलब है उन लोगों से, जिनका क्रिकेट में स्टेक यानी हिस्सा है. फिर चाहे वो पूर्व क्रिकेटर्स हों या फिर इस खेल पर क़रीबी नज़र रखने वाले विशेषज्ञ. और अब हम आपको बताएंगे कि क्या है ये मांग और इसके पक्ष में क्या दलीलें दी जा रही हैं. साथ ही चर्चा इस बात की भी होगी कि इस मांग को पूरा करना जय शाह के लिए कितना मुश्किल होगा.
जय शाह ICC से बाद में जुड़ेंगे, ऐसी मांग देख हाथ पहले जुड़ जाने हैं!
जय शाह ICC जाने वाले हैं. चेयरमैन की पोस्ट पर उनका निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है. लेकिन इस पोस्ट को जॉइन करने से पहले ही उनसे एक बड़ी मांग हो रही है. क्या है वो मांग और क्या इसे पूरा किया जा सकता है?
मौजूदा BCCI सेक्रेटरी जय शाह मंगलवार, 27 अगस्त को ICC के अगले चेयरपर्सन चुने गए. इस पोस्ट के लिए शाह अकेले प्रत्याशी थे. यानी उनका चुनाव निर्विरोध रहा. जय शाह इस पोस्ट पर ग्रेग बार्कले की जगह लेंगे. बार्कले दो टर्म के बाद ये पोस्ट छोड़ रहे हैं. जय शाह की नियुक्ति पर क्रिकेट इन्फ्लुएंसर मुफद्दल वोहरा ने X पर एक पोस्ट की. इन्होंने लिखा,
'एक चीज जो आप चाहते हैं कि ICC चेयरमैन के रूप में जय शाह करें?
मेरी राय में- वनडे त्रिकोणीय सीरीज़ की वापसी,'
इनकी इसी पोस्ट को क़ोट करते हुए डेविड लॉयड ने लिखा,
'धन बांटो.'
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लॉयड यहीं नहीं रुके. उन्होंने इसी मसले पर एक ब्रिटिश क्रिकेट जर्नलिस्ट की दो पोस्ट्स भी शेयर की. बिली क्रॉफ़र्ड नाम के इस जर्नलिस्ट ने लिखा था,
'जब तक BCCI, ECB और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया रेवेन्यू को अन्य बोर्ड्स के साथ अधिक समान रूप से साझा करने के लिए तैयार नहीं होंगे, तब तक इंटरनेशनल क्रिकेट सर्वाइव नहीं कर पाएगा. बाक़ी टीम्स को कंपटिटिव गेम्स ना मिलने की दशा में जनता जल्दी ही बिग थ्री को आपस में बार-बार खेलता देखने में रुचि खो देगी.'
इंग्लैंड की टॉप टियर फ़ुटबॉल लीग, प्रीमियर लीग का उदाहरण देते हुए क्रॉफ़र्ड ने आगे लिखा,
‘प्रीमियर लीग इसलिए इतनी सफल है क्योंकि टीवी रेवेन्यू 20 टीम्स में बराबर बांटा जाता है. जाहिर तौर पर इप्सविच टाउन जैसी छोटी टीम मैनचेस्टर यूनाइटेड जितना रेवेन्यू नहीं जेनरेट कर सकती, लेकिन छोटी टीम्स को मजबूत बनाए रखने ने ही लीग को सफल बनाया है. ICC को इसकी नकल करनी चाहिए.’
हालांकि, इन दलीलों में कुछ खास दम नहीं है. और ये बात लोगों ने उसी पोस्ट पर ही बता दी. अब हम वही चीजें थोड़े विस्तार के साथ आपको समझाने की कोशिश करते हैं. क्रॉफ़र्ड ने अपनी दलील के पक्ष में जिस फ़ुटबॉल लीग का उदाहरण दिया. वो एक देश की लीग है, ना कि इंटरनेशनल लीग. साथ ही लीग और इंटरनेशनल क्रिकेट भी दो अलग चीजें हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट में आप अलग-अलग देशों के खिलाफ़ खेलते हैं.
इसमें ICC के साथ दोनों देशों के बोर्ड्स, ब्रॉडकास्टर जैसे कई पक्ष शामिल रहते हैं. जबकि प्रीमियर लीग का पूरा काम फ़ुटबॉल असोसिएशन या इंग्लैंड की फ़ुटबॉल को चलाने वाली संस्था देखती है. ये कुछ ऐसा ही है, जैसे इंडियन प्रीमियर लीग का पूरा काम BCCI देखती है. और यहां पर सारी टीम्स को बराबर पैसे भी मिलते हैं. सेंट्रल पूल में आने वाली कमाई का 50 परसेंट BCCI अपने पास रखती है. जबकि 45 परसेंट में से सारी फ़्रैंचाइज़ को बराबर हिस्सा मिलता है. और बचे हुए पांच परसेंट को प्ले-ऑफ़ खेलने वाली टीम्स में बांटा जाता है. जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा चैंपियंस को मिलता है.
यानी अगर BCCI के सेंट्रल पूल में IPL से 100 रुपये की कमाई हुई. तो पचास वो अपने पास रख लेते हैं. 45 में से साढ़े चार-साढ़े चार रुपये हर फ़्रैंचाइ़ज को मिल जाते हैं. और बचे हुए पांच प्ले-ऑफ़ तक पहुंची चार टीम्स में बंटते हैं.
ICC के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा. ICC का मौजूदा रेवेन्यू मॉडल अलग तरीके से काम करता है. इसमें हर फ़ुल मेंबर को 8.3 परसेंट का रेवेन्यू मिलता है. लेकिन उन्हें अंत में मिलने वाली धनराशि इस बात पर निर्भर करती है कि वो ICC के लिए कितनी कॉमर्शियल वैल्यू ला पाते हैं. और इसी वजह से BCCI का पलड़ा भारी हो जाता है. क्योंकि ICC की होने वाली कुल कमाई का 70 से 80 परसेंट भारतीय मार्केट से होता है. और इसी वजह से भारत को कमाई का बड़ा हिस्सा भी मिलता है. और लोग चाहते हैं कि जय शाह इसे बदल दें. भारत से कमाई चाहे जितनी हो, लेकिन उन्हें मिलने वाला हिस्सा कम हो जाए.
वीडियो: जय शाह बने ICC चेयरमैन तो BCCI सचिव का पद कौन संभालेगा?