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कहानी उस शर्मीले बच्चे की, जो गाली-गलौज करते हुए सात सौ से ज्यादा टेस्ट विकेट ले गया!

James 'Jimmy' Anderson. एंडरसन अब इंग्लैंड के लिए खेलते हुए नहीं दिखेंगे. 188 टेस्ट और 704 विकेट्स का सफर अब थम गया है. लॉर्ड्स के ऑनर बोर्ड के साथ शुरू हुए इस सफर के कई पहलू हैं. चलिए, साथ मिलकर इनमें से कुछ जान लेते हैं.

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जेम्स एंडरसन सनकी, गुस्सैल या सबसे महान पेस बोलर? (AP)

साल 2014 का इंग्लैंड दौरा. विराट कोहली कभी नहीं भूलेंगे. इस टूर पर कोहली से ज्यादा टेस्ट रन रविंद्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार ने बना डाले. कोहली दस पारियों में कुल 134 रन जोड़ पाए. और चार बार जेम्स एंडरसन का शिकार बने. जेम्स एंडरसन, जिनका सुनहरा टेस्ट करियर अब खत्म हो चुका है. 42 साल के एंडरसन टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हो चुके हैं.

पूरे 22 साल खेले एंडरसन निर्विवाद रूप से विकेट्स के मामले में महानतम पेस बोलर हैं. जिमी सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले पेसर हैं. जिमी का जलवा ऐसा है कि इस मामले में इनके बाद आने वाले स्टुअर्ट ब्रॉड तक़रीबन सौ विकेट पीछे रह गए.

जिमी इंग्लैंड के एक कस्बे बनली से आते हैं. लैंकशा काउंटी के हिस्से आने वाले इस शहर को एक वक्त कॉटन और फुटबॉल के लिए जाना जाता था. वक्त बीतते-बीतते यहां से कॉटन खत्म होती गई. लेकिन फुटबॉल आज भी है. इस कस्बे की अपनी फुटबॉल टीम है. इसे बनली फुटबॉल क्लब बुलाते हैं.

# Burnley To Badshah

ये टीम जहां खेलती है, उस स्टेडियम का नाम टर्फ़ मूर है. और जिमी की कहानी में टर्फ़ मूर का बड़ा रोल है. इस टर्फ़ मूर के पास ही एक और टर्फ़ मूर है. जहां बनली की क्रिकेट टीम खेलती है. इस क्रिकेट क्लब की वेबसाइट पर जाएं तो पता चलता है कि इनके पास चेंजिंग रूम, पविलियन के साथ रोलर, स्कोर बॉक्स, कवर्स और घास वाला एक नेट है.

अगर आप भारत की किसी भी मेट्रो सिटी में क्रिकेट खेलते हैं, तो ये विवरण सुन आपको निश्चित तौर पर कुछ याद आ रहा होगा. नोएडा से लेकर गुड़गांव, बैंगलोर और मुंबई तक. सब जगह क्रिकेट खेलने की ऐसी व्यवस्था मौजूद है. तक़रीबन तीस साल पहले, बनली की यही व्यवस्था. क्लब की सेकंड इलेवन, यानी वो टीम जिसमें दूसरे दर्जे के प्लेयर्स खेलते हैं, में एक ऑप्टोमेट्रिस्ट यानी आंखों का विशेषज्ञ क्रिकेट खेलने आता था.

ये बंदा अपने साथ अपने बेटे को भी ले आता था. और ये बेटा यानी जेम्स एंडरसन टीम के लिए स्कोरर का काम करता था. जल्दी ही इसे एक पेस बोलर के रूप में क्लब की सेकंड इलेवन में जगह भी मिल गई. लेकिन अभी तक किसी ने इसे नोटिस नहीं किया था. और इसके पीछे जिमी का शर्मीलापन भी एक वजह थी. वह बहुत कम बोलते थे. और इसीलिए, लोगों को लगता था कि ये बस ऐवें ही कोई होगा.

जिमी नोटिस हुए कुछ बरस बाद. आज से तक़रीबन 26 साल पहले. अब उनकी हाइट बढ़ चुकी थी और गेंदों की रफ़्तार भी पहले से ज्यादा थी. काउंटी का पहला सीजन खत्म, जिमी को इंग्लैंड अकैडमी के लिए चुन लिया गया. एंडरसन पहला मैच खेलने के लिए पहुंचे. अपना सामान अनपैक किया. सोने की तैयारी चल रही थी. तभी पता चला कि उन्हें इंग्लैंड की वनडे स्क्वॉड में चुन लिया गया. वह फिर से पैकिंग करने लगे. ये देख उनके रूममेट ने पूछा,

'क्या कर रहे हो, अभी तो सामान खोला था.'

जिमी ने जवाब दिया,

'मैं इंग्लैंड की स्क्वॉड से जुड़ रहा हूं.'

ये सुन साथी को यकीन नहीं हुआ. वो जोर-जोर से हंसते हुए बोला,

'चलो-चलो अपना सामान वापस रखो.'

जिमी लगातार बेहतर होते रहे. फिर आई 23 मई की तारीख, साल 2003. लॉर्ड्स का मैदान. इंग्लैंड के सामने ज़िम्बाब्वे की टीम. जेम्स एंडरसन का टेस्ट डेब्यू. नई गेंद से पहला ओवर. बहुत बुरी लाइन और लेंथ. दो नो बॉल्स के साथ इसमें आए 17 रन. लेकिन ज़िम्बाब्वे की पहली पारी खत्म हुई तो एंडरसन का ये ओवर दुनिया भूल चुकी थी. क्योंकि ये बंदा अपने पहले मैच की पहली पारी में फ़ाइव विकेट हॉल ले चुका था. एंडरसन ने टेस्ट करियर की शुरुआत ही लॉर्ड्स के ऑनर बोर्ड पर नाम लिखाने के साथ की.

फिर वनडे में पाकिस्तान के खिलाफ़ हैटट्रिक भी ली. लेकिन जिमी को जल्दी ही समझ आ गया, कि इस लेवल का खेल आसान नहीं होगा. जिमी अपने शुरुआती प्रदर्शन को निरंतरता में नहीं बदल पाए. अच्छी शुरुआत के बाद जल्दी ही उन्हें ड्रॉप कर दिया गया. ना सिर्फ़ वह गेंद से नाकाम हो रहे थे, बल्कि उनका शर्मीलापन भी साथियों के लिए समस्या था. कप्तान नासिर हुसैन समझ ही नहीं पाते थे कि एंडरसन के साथ कैसे काम किया जाए.

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हालात ऐसे थे कि इंग्लैंड वाले किसी को भी बुलाकर उतार देते, लेकिन एंडरसन को नहीं. एंडरसन सालों तक ऐसे ही घूमते रहे. बांग्लादेश, श्रीलंका, साउथ अफ़्रीका, पाकिस्तान... जाने कहां-कहां के टूर किए. लेकिन इस दौरान उन्हें सिर्फ़ दो टेस्ट खेलने का मौका मिला. इन टूर्स पर एंडरसन का काम नेट्स में बोलिंग, और साथियों को पानी पिलाने का होता था.

यहां तक कि इंग्लैंड वाले घर में खेलते, तो भी एंडरसन कवर के रूप में ही बुलाए जाते. कई बार ऐसा भी हुआ कि कवर के रूप में टीम से जुड़े एंडरसन को बीच में ही काउंटी खेलने भेज दिया गया. वो भी तब, जब उनकी टीम लैंकशा किसी चैंपियनशिप गेम के दो दिन बिता चुकी होती थी. क्रिकइंफ़ो के मुताबिक 2004 की गर्मियों में एंडरसन ने कुल सात फ़र्स्ट क्लास मैच खेले. इनमें से तीन टेस्ट थे.

लेकिन फिर उन्होंने वापसी की. और ऐसी वापसी की, कि इंग्लैंड की टेस्ट टीम के परमानेंट मेंबर बन गए. जिमी ने 2010 की ऐशेज़ में ऑस्ट्रेलिया की हालत खराब कर दी. पांच टेस्ट की इस सीरीज़ में 24 विकेट लेने से पहले, वह पाकिस्तान के खिलाफ़ चार टेस्ट में 23 विकेट्स ले चुके थे. ऐशेज़ की 72 पारियों में जिमी ने 117 विकेट अपने नाम किए. जबकि भारत के खिलाफ़ 73 पारियों में उनके नाम 149 विकेट रहे. जिमी ने साउथ अफ़्रीका के खिलाफ़ 52 पारियों में 103 विकेट निकाले थे.

साल 2012. इंग्लैंड वाले भारत दौरे पर आए थे. यहां इन्होंने चार टेस्ट की सीरीज़ 2-1 से अपने नाम की. यूं तो ये बस एक टेस्ट सीरीज़ की जीत थी. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यहां तक आने में इंग्लैंड को 27 साल लगे. यानी उन्होंने पूरे 27 साल बाद भारत में टेस्ट सीरीज़ जीती. और इस जीत के आर्किटेक्ट रहे जिमी एंडरसन. इन्होंने ऐसी खतरनाक रिवर्स स्विंग फेंकी, कि वसीम अकरम भी फ़ैन हो गए. उन्होंने ये बोलिंग देख तीसरे टेस्ट के बाद कहा,

'जिस तरह से उन्होंने बोलिंग की, उससे लगता है कि इंग्लैंड अब इस सीरीज़ में बेहतर ही होगा क्योंकि उनके पास रिवर्स स्विंग की जानकारी है. और महत्वपूर्ण रूप से इस बात का आइडिया भी कि इसका इस्तेमाल कैसे करें. मेरे लिए, यह ऐसा था कि जैसे पाकिस्तान की टीम यहां खेल रही हो. कमाल की बोलिंग.'

बढ़ती उम्र के साथ जिमी की बोलिंग और बेहतर हुई. 34 साल की उम्र में वह पहली बार वर्ल्ड नंबर वन टेस्ट बोलर बने. और फिर 40 की उम्र में उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बनाया. फरवरी 2023 में जिमी ICC Test Bowling Ranking टॉप करने वाले सबसे बुजुर्ग बोलर बने.

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हालांकि, इस वापसी में एक और बात जानने लायक थी. एंडरसन अब पहले जैसे शर्मीले नहीं रहे. अब वह बीच मैदान प्लेयर्स, अंपायर्स से भिड़ने से कतराते नहीं थे. यहां तक कि उनके कई टीममेट्स भी ये स्वीकारते हैं कि एंडरसन बहुत गुस्सैल व्यक्ति हैं. जरा से फ़ंबल पर वह अपने साथियों को गालियां देने लगते थे. चलिए, जाते-जाते आपको उनके ऐसे ही कुछ विवादों के बारे में बता देते हैं.

# विवाद

# 2007 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान भी जिमी ने बवाल किया. इयन बेल, जॉन लेविस, पॉल निक्सन और लियम प्लंकेट के साथ जिमी पर भी फ़ाइन लगा था. इन प्लेयर्स पर टीम का अनुशासन तोड़ने के चलते ये फ़ाइन लगा. देर रात शराबखोरी के चक्कर में ये लोग बाहर टहल रहे थे. और एक फ़ैन द्वारा खींची गई इनकी भयंकर तस्वीरें ब्रिटिश प्रेस के हाथ लग गईं. बस फिर क्या था, ECB ने इन सभी पर फ़ाइन लगा दिया.

# 3-7 जनवरी 2010. केपटाउन टेस्ट. ड्रॉ रहा. मैच के तीसरे दिन स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन पर बॉल टेम्परिंग के आरोप लगे. हालांकि, इसकी ऑफ़िशल शिकायत नहीं हुई. लेकिन साउथ अफ़्रीका ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश की. इंग्लैंड टीम ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी. हालांकि, मामला बहुत आगे नहीं गया. चार मैच की टेस्ट सीरीज़ 1-1 से बराबरी पर खत्म हुई थी.

# भारत ने 2014 में इंग्लैंड का दौरा किया. इस दौरे का पहला टेस्ट ट्रेंट ब्रिज़ में खेला गया. टेस्ट के दूसरे दिन जेम्स एंडरसन और रविंद्र जडेजा की कहासुनी हो गई. बाद में भारतीय दल ने आरोप लगाया कि जिमी ने लंच ब्रेक के दौरान ड्रेसिंग रूम के पास, जडेजा के साथ धक्का-मुक्की की. आरोप बड़ा था. एंडरसन पर लेवल थ्री का चार्ज लगा. जबकि जडेजा पर लेवल टू का. मामला खूब लंबा खिंचा, लेकिन अंत में जिमी बच गए. BCCI ने तो यहां तक आरोप लगाए थे कि जानबूझकर घटना की वीडियो फ़ुटेज़ गायब कर दी गई. मामला कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गया. लंबी खींचतान के बाद अंत में दोनों ही प्लेयर्स को दोषमुक्त पाया गया. 

# दिसंबर 2016. इंग्लैंड वाले भारत में टेस्ट सीरीज़ खेल रहे थे. सीरीज़ का चौथा टेस्ट मुंबई में हुआ. यहां अंतिम पलों में बैटिंग पर आए जिमी की अश्विन से भिड़ंत हो गई. दरअसल जिमी ने इस सीरीज़ के दौरान कहा था कि भारतीय पिचेज़ पर विराट कोहली की कमियां ढक जाती हैं. और इसी बात से अश्विन खफ़ा थे. ऐसा विराट का कहना था. विराट ने इस बारे में बाद में कहा था,

'पहली बार मैं मैदान में एंडरसन से जुड़ी लड़ाई शांत करने की कोशिश कर रहा था. अश्विन को एंडरसन का बयान पसंद नहीं आया था, लेकिन मुझे तो ये पता ही नहीं था. इसलिए मुझे समझ नहीं आया कि इसका क्या करूं. मैं तो हंस रहा था.'

तमाम विवादों और 704 टेस्ट विकेट्स के साथ, एंडरसन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. वनडे में उनके नाम 269, जबकि T20I में 18 विकेट्स रहे. जिमी टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पेसर हैं. जबकि ओवरऑल उनका नंबर तीसरा है. जिमी से ज्यादा टेस्ट विकेट बस शेन वॉर्न और और मुथैया मुरलीधरन के नाम हैं.

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