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जब ईशांत ने बीच मैदान मुरलीधरन को 'ना मतलब ना' सिखा दिया!

'शॉट लगाओ और आउट हो जाओ.'

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ईशांत शर्मा (फोटो - AP)

‘बोलिंग के साथ, आप कई बार एक मजदूर जैसा महसूस करते हैं. लेकिन बैटिंग में जब आप रन बनाते है, तो आप किंग जैसा महसूस करते हैं.’

आपको ये डॉयलाग किसी ऑलराउंडर के मुंह से आता हुआ लग रहा होगा. मतलब ऐसा बंदा, जिसने इंटरनेशनल क्रिकेट में ठीक-ठाक रन बनाए होंगे. लेकिन ऐसा नहीं है, ये बात इंडिया के तेज़ गेंदबाज ईशांत शर्मा ने कही थी. और इस बात का संदर्भ एमएस धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) से जुड़ा है.

दरअसल, हुआ ऐसा था कि साल 2019 के IPL प्लेऑफ में चेन्नई और दिल्ली की टीम आमने-सामने थी. इस मुकाबले में दिल्ली की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 147 रन बनाए थे. इसमें ईशांत ने भी 10 रन का योगदान दिया था. उन्होंने एक चौका और एक छक्का लगाया था. अब हुआ यूं कि, जैसे ही ईशांत ने ये शॉट्स खेले वो मुस्कुराकर विकेट के पीछे खड़े एमएस धोनी को देखने लगे.

यूट्यूब शो आइसोलेशन प्रीमियर लीग में ये क़िस्सा बताते हुए ईशांत ने कहा था,

‘माही भाई मेरा मज़ाक बनाते थे, कहते थे कि मैं छक्के नहीं मार सकता. मेरे अंदर वो ताकत नहीं है. तो बीते साल मैंने जड्डू (रविंद्र जडेजा) को पहले एक चौका लगाया और फिर एक छ्क्का. फिर मैंने माही भाई का रिएक्शन देखने के लिए अपना मुंह घुमाया. और जो उन्होंने जड्डू को डांटा..आह!’ 

ये एक छक्का छोड़ दें, तो धोनी की बात वैसे गलत नहीं थी. ईशांत के बल्लेबाजी के आंकड़े देखें तो उन्होंने बल्ले से कुछ खास नहीं किया है. टेस्ट क्रिकेट में एक पचासे के साथ उनके नाम 785 रन हैं, जिसमें उन्होंने कुल एक छक्का लगाया है. 80 वनडे मुकाबलों में ईशांत ने 72 रन बनाए हैं, इसमें भी एक भी छक्का शामिल नहीं है.

और यही हाल T20I का भी है. 14 मैच में यहां उनके नाम कुल एक चौके के साथ आठ रन हैं. खैर, जाहिर तौर पर ईशांत शर्मा के बल्ले से जो भी रन आए वो टीम के लिए एक प्लस ही है. क्योंकि आप उनसे इतनी उम्मीद नहीं करते हो. लेकिन जब ऐसा ही कोई बंदा एक छोर पर जमकर विरोधी गेंदबाजों को रूला देता है, तब मज़ा तो खूब आता है.

तो चलिए, ईशांत के जन्मदिन पर आपको एक ऐसा ही क़िस्सा सुनाते है. इस क़िस्से में इस गेम के लेजेंड्स में शामिल, मुथैया मुरलीधरन भी हैं. क़िस्सा उस वक्त का है जब मुरलीधरन अपने 800वें विकेट की तलाश में थे. उन्होंने ईशांत को कहा भी कि भाई अपना विकेट मुझे दे दो. लेकिन ईशांत एक दम खुद्दार, ना मतलब ना! मैं तो ना दे रहा.

# ईशांत के मना करने के बाद कैसे आया 800वां विकेट?

चलो फिर, इस क़िस्से को शुरू से शुरू करते है. ये बात है साल 2010 की. इंडिया की टीम श्रीलंका के दौरे पर गई थी, उनके साथ तीन टेस्ट मैच की सीरीज खेलने. इस सीरीज़ से पहले श्रीलंका के लेजेंड मुथैया मुरलीधरन 792 विकेट्स पर थे, तो यहां उनके पास रिकॉर्ड बनाने का मौका था. और उन्होंने इसको दोनों हाथों से लपक लिया.

पहला टेस्ट मुकाबला गाले में खेला गया. यहां पर होम टीम ने पहले बल्लेबाजी की. और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की. उनके लिए दो खिलाड़ी थरंगा परनाविताना और कुमार संगकारा ने शतकीय पारी खेली. रंगना हेराथ ने भी 80 रन बनाए. और लसिथ मलिंगा ने 64 रन की पारी खेलकर अपनी टीम को 520 रन तक पहुंचा दिया.

अब इंडिया को इतने रन का पीछा करना था. पुरानी आइकॉनिक जोड़ी गौतम गंभीर और विरेंदर सहवाग टीम के लिए ओपन करने उतरे. लगा कि ये जोडी अपने नेचुरल अंदाज में खेलेगी. एक पीटेगा और एक संभल के बल्लेबाजी करेगा. लेकिन यहां पर पीटने वाली बात तो सच हो गई. लेकिन संभलकर बल्लेबाजी करने वाले गंभीर दो रन पर पविलियन लौट गए.

इनके बाद राहुल द्रविड़ आए, वो 18 रन बनाकर रनआउट हो गए. फिर सचिन ने आठ, वीवीएस लक्ष्मण ने 22, युवराज ने 52 और एम एस धोनी ने 33 रन की पारी खेली. और एक ओर से खड़े सहवाग ने 109 रन बनाए. और टीम 276 रन पर ऑल आउट हो गई. इंडिया को रोकने का क्रेडिट मुथैया मुरलीधरन को गया. उन्होंने पांच विकेट हासिल किए.

यहां श्रीलंका के पास 244 रन की लीड थी. उन्होंने इंडिया को फॉलोआन करने के लिए कह दिया. इंडिया फिर बल्लेबाजी करने आई. और इस बार गौतम शून्य पर ही पविलियन लौट गए. पहली पारी में शतक लगाने वाले सहवाग भी कुल 30 रन ही बना पाए. और यही हाल बाकी खिलाड़ियों का भी रहा.

सचिन तेंडुलकर (84) और वीवीएस लक्ष्मण (69) को छोड़कर कोई भी पचासा नहीं बना पाया. इस बार टीम 338 रन पर ऑल आउट हो गई. लसिथ मलिंगा ने पांच और मुथैया मुरलीधरन ने तीन विकेट निकाले. यानी पूरे मैच में मुथैया के नाम कुल आठ विकेट रहे. उतने ही विकेट, जितने उनको 800 का आंकडा छूने के लिए चाहिए थे.

# Muttiah Muralitharan 800 Wickets

अब आपको 800वें विकेट से जुड़ी ईशांत की कहानी सुनाते हैं. दरअसल, हुआ ये था कि मैच की दूसरी पारी में आखिरी विकेट के लिए प्रज्ञान ओझा और ईशांत शर्मा के बीच पार्टरनशिप चल रही थी. और दूसरी तरफ से गेंदबाजी कर रहे है मुथैया मुरलीधरन 799 विकेट पर अटके हुए थे. वो चाहते थे कि उनको एक विकेट मिल जाए, जिससे वो 800 का आंकड़ा छू लें.

इधर ईशांत ऐसा करने के बिल्कुल मूड में नहीं थे. उनके लिए तो ‘ना मतलब ना’ था. वहीं, मुरलीधरन ने ईशांत को कहा भी था कि आप मुझे अपना विकेट दे दो, आपके विकेट से वैसे भी ज्यादा रन तो जुड़ने है नहीं. लेकिन ईशांत डटे रहें. आर.अश्विन से बात करते हुए मुरलीधरन ने बताया था,

’14 ओवर बचे थे. अच्छी बात थी कि मलिंगा चोटिल हो गए थे और मैदान से बाहर चले गए थे. नहीं तो उन्होंने ही गेंदबाजी की होती. वो तेज गेंद फेंक रहे थे. और दूसरी पारी में उन्होंने पांच विकेट भी निकाले थे. लेकिन वो चोटिल थे और बाहर चले गए. और रंगना हेराथ दूसरे एंड से गेंदबाजी कर रहे थे, उन्होंने विकेट लेने की बहुत कोशिश की. लेकिन हमारे पास काफी समय बचा था.

मैंने प्रज्ञान से बात नहीं की. पानी के ब्रेक के दौरान, मैंने ईशांत से बात की और उनसे कहा, ‘ईशांत, आप यहां बहुत देर से है. बस एक गेंद को मैदान से बाहर निकालने की कोशिश कीजिए और आउट हो जाइए. आप आखिरी विकेट है. यहां खड़े रहने से भी चीज़े नहीं बदलेंगी. और ना ही आप रन बना रहे हैं. कम से कम मुझे मेरा 800वां विकेट दे दो.’

इस पर ईशांत ने कहा, 

‘बिल्कुल नहीं. मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करुंगा.’

‘ये किस्मत की बात थी कि मुझे प्रज्ञान ओझा का विकेट मिला.’

ईशांत के बोलिंग करियर की बात करें तो उनके नाम टेस्ट में 311 विकेट हैं. ईशांत 2 सितंबर 1988 को दिल्ली में पैदा हुए थे.

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