ODI World Cup 2023 के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हरा दिया. अगर इसे एकतरफा जीत कहा जाए, तो बिलकुल ग़लत नहीं होगा. भारत ने पहले बैटिंग की और पारी 240 रन पर सिमट गई. जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की जोड़ी ने तीन विकेट लेकर मैच में बने रहने की कोशिश की, पर ट्रैविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने बाकी बोलर्स की एक न चलने दी.
इन पांच वजहों से वर्ल्ड कप हारी इंडिया
भारतीय पारी में हुई ये दो बड़ी गलतियां इंडियन फ़ैन्स को खूब खलेगी.
हमारे हिसाब से इस मैच में भारत को मिली हार के पांच कारण हैं -
पिचपिच को लेकर खूब बहस हुई. पता चला कि ये नई पिच नहीं है. इसपर ही भारत और पाकिस्तान का मैच भी खेला गया था. उस मैच को रोहित शर्मा की टीम ने शानदार तरीके से जीता था. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ भारत ने स्लो पिच यूज़ करने का फैसला लिया, जो बैकफ़ायर कर गया. बल्लेबाज़ों को एडम जम्पा, ट्रैविस हेड और ग्लेन मैक्सवेल ने खूब फंसाया. डेथ ओवर्स में जॉस हेजलवुड-कमिंस ने स्लोअर बॉल और कटर मारकर टीम इंडिया को रनरेट बढ़ाने ही नहीं दिया और लगातार विकेट्स निकालते रहे.
इसपर किसी का कंट्रोल नहीं है. हालांकि, अहमदाबाद में ओस पड़ने का प्रिडिक्शन पहले से था. और इंडियन बोलर्स को इससे काफ़ी समस्या हुई. बॉल ग्रिप नहीं हो रही थी और आउटफील्ड फास्ट हो गई, सो अलग. जो बॉल भारत की पारी के दौरान बाउंड्री तक रेंग रही थी, वही बॉल कंगारू पारी के दौरान तेज़ी से बाउंड्री तक पहुंच रही थी. रोहित शर्मा अपनी तरफ़ से जो कर सकते थे, उन्होंने किया. रोहित ने कुलदीप यादव और रवीन्द्र जडेजा को जल्दी ही बोलिंग दे दी, ताकि वो बॉल टर्न कर मैच पर इम्पैक्ट डाल सकें. पर ऐसा हो नहीं पाया. ऑस्ट्रेलिया के बोलर्स को रिवर्स स्विंग मिली. वहीं, भारतीय पेसर्स ये फायदा नहीं उठा सके.
मिडिल ओवर्सभारत की हार की सबसे बड़ी वजह यही है. मिडिल ओवर्स में टीम इंडिया ने बेहद स्लो बैटिंग की. विराट कोहली सिंगल्स निकाल रहे थे, पर केएल राहुल का बल्ला अटका-अटका दिखा. रोहित शर्मा के आउट होने के बाद भारतीय पारी में बाउंड्री का जैसे सूखा पड़ गया. 11 से लेकर 50 ओवर में भारत ने सिर्फ चार चौके जड़े. छक्का मारना तो सपने जैसा था. फिनिशिंग के लिए टीम में खेल रहे सूर्यकुमार यादव का बल्ला भी शांत रहा. राहुल ने 107 बॉल में 66 रन बनाए. सूर्या के नाम 28 बॉल पर 18 रन थे.
हमने इसपर पहले भी बात की है. ओस तो जो थी, सो थी. जड्डू और कुलदीप ने आम बोलिंग ही की. नॉकआउट वाला अग्रेशन नहीं था. जड्डू, लेफ्ट-हैंडेड ट्रैविस हेड को राउंड द विकेट बॉलिंग कर रहे थे, जिसे डिफेंसिव कहा जा सकता है. कुलदीप यादव ने एक-दो बॉल पर बल्लेबाज़ों को ज़रूर बीट किया, पर उनका भी विकेट वाला कॉलम खाली रहा. मिडिल ओवर्स में ऑस्ट्रेलियन स्पिनर्स ने भारतीय बल्लेबाज़ों को खूब फंसाया था. हमारे स्पिनर्स ऐसा नहीं कर सके.
बल्लेबाज़ों का फेलियरहमने ऊपर सूर्यकुमार यादव और केएल राहुल की पारी का जिक्र किया. केएल ने 66 रन बनाए, जो भारत को 240 तक पहुंचाने में अहम था. पर कुछ बल्लेबाज़ ऐसे भी थे, जिनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी. शुभमन गिल डेंगू से लौटने के बाद से ही ऑफकलर नज़र आए हैं. फ़ाइनल में भी कुछ ऐसा ही हुआ. श्रेयस अय्यर लगातार दो शतक लगाकर फ़ाइनल आए थे. उनका बल्ला भी चुप रहा. सूर्या से जो उम्मीद थी, उसपर वो फाइनल में भी खरे नहीं उतरे. पूरे टूर्नामेंट में सूर्या के बल्ले से एक भी मैच-विनिंग पारी नहीं आई.
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