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तुम्हारे जैसा फ़ैन... जब IPL में अपने ही कप्तान को खरी-खोटी सुना गए विरेंदर सहवाग!

विरेंदर सहवाग. कमाल के क्रिकेटर रहे हैं, लेकिन क्रिकेट के बाद उनके काम करने के तरीके और व्यवहार की गंभीर शिकायतें हो रही हैं. और ये शिकायतें की हैं किंग्स XI पंजाब के कप्तान रहे ग्लेन मैक्सवेल ने.

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मैक्सवेल ने लगाए सहवाग पर आरोप (Getty, PTI)

ग्लेन मैक्सवेल कभी विरेंदर सहवाग के फ़ैन थे. फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनका दिल टूट गया. उन्होंने ये बात सहवाग को बताई. जवाब में पता सहवाग ने क्या कहा? वह बोले- मुझे तुम्हारे जैसे फ़ैन की जरूरत भी नहीं है. जी हां, ये पुराना क़िस्सा अब सामने आया है. और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोर रहा है.

अपनी किताब, 'द शोमैन' में मैक्सवेल ने ये क़िस्सा बताया है. और इसकी शुरुआत होती है किंग्स XI पंजाब से. मैक्सवेल 2014 में इस टीम से जुड़े थे. ये सीजन कमाल का रहा. पंजाब ने टेबल टॉप की. सिर्फ़ तीन मैच गंवाते हुए फ़ाइनल में पहुंचे. मैक्सवेल ने इस सीजन कमाल बैटिंग करते हुए 552 रन बनाए. इस सीजन कोई भी बैटर उनसे ज्यादा छक्के नहीं मार पाया था.

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फ़ाइनल में ये लोग कोलकाता नाइट राइडर्स से हारे. इस सीजन का ज़िक्र करते हुए मैक्सवेल लिखते हैं,

'हम आखिरी ओवर में हारे. IPL में इससे परफ़ेक्ट सीजन नहीं हो सकता, लेकिन ट्रॉफ़ी नहीं मिली.'

इस सीजन के बाद मैक्सवेल से कहा गया कि अब उनके इर्द-गिर्द टीम बनाई जाएगी. यानी वह सेंट्रल रोल में होंगे. लेकिन, जल्दी ही चीजें खराब होने लगीं. पंजाब की फ़ॉर्म चली गई. अगले दो सीजन टीम ने टेबल में सबसे अंत में फ़िनिश किया. मैक्सवेल की फ़ॉर्म भी सही नहीं रही. और इसके लिए उनकी खूब आलोचना हुई. इस बारे में उन्होंने लिखा,

'एक युवा प्लेयर के रूप में ये बहुत कठिन था. मैंने खुद पर शक़ किया, नेगेटिविटी महसूस की. सोशल मीडिया पोस्ट्स देखीं.'

मैक्सवेल 2017 में फिर किंग्स XI पंजाब लौटे. इस बार विरेंदर सहवाग टीम के मेंटॉर बन चुके थे. और सहवाग ने ही मैक्सवेल को बताया कि अब उन्हें कप्तानी भी संभालनी है. मैक्सवेल को लगा कि अब मजा आएगा. लेकिन जल्दी ही सहवाग ने टीम सेलेक्शन में अपनी मनमानी चलानी शुरू कर दी.

मैक्सवेल के मुताबिक भले ही टीम के कोच जे अरुणकुमार थे, लेकिन पहले सीजन में सहवाग सारे फैसले खुद लेते थे. इससे प्लेयर्स और कोचेज़ में बहुत कन्फ़्यूज़न थी. मैक्सवेल के मुताबिक ऐसे हाल में टीम चलाना आसान नहीं था. सेलेक्शन प्रोसेस अजब ही चल रहा था. सहवाग पूरी तरह से अपनी मनमानी कर रहे थे.

टीम पर उनकी पकड़ लगातार बढ़ती जा रही थी. और एक खराब सीजन के बाद मैक्सवेल के साथ उनकी टेंशन और बढ़ गई. जब मैक्सवेल ने जिम्मेदारी उठाते हुए मीडिया से बात करने की पेशकश की, तो सहवाग ने मना कर दिया. और खुद चले गए. और वहां जाकर मैक्सवेल की खूब आलोचना की.

मैक्सवेल ने इस बारे में लिखा,

'जब तक हम होटल पहुंचे, मेरा फ़ोन लगातार बज रहा था, सहवाग ने मुझे 'बड़ी निराशा' करार दिया था. कहा कि मैंने एक कप्तान के रूप में जिम्मेदारी नहीं ली, और बाक़ी चीजें. यह बहुत खराब था, खासतौर से तब, जबकि मेरे हिसाब से हम अच्छे टर्म्स पर अलग हुए थे. मैंने टेक्स्ट के जरिए उन्हें बताया कि इन कॉमेंट्स से मुझे कितनी तकलीफ़ हुई. और साथ ही ये भी जोड़ा कि उन्होंने जिस तरह का व्यवहार किया, इससे उन्होंने अपना एक फ़ैन भी गंवा दिया.

सहवाग ने एकदम साधारण जवाब दिया- तुम्हारे जैसे फ़ैन की जरूरत नहीं है. इसके बाद हमने कभी बात नहीं की. मुझे पता था कि अब मेरा वक्त यहां खत्म हो रहा है और मैंने मालिकों से कह भी किया- अगर सहवाग यहां रहेंगे, तो वो लोग एक ग़लती कर रहे हैं. और फिर एक सीजन बात दिखा कि सहवाग जा चुके हैं.'

मैक्सवेल ने अपनी किताब में ये भी लिखा है कि कैसे 2020-21 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के वक्त विराट कोहली ने उन्हें RCB आने का न्यौता दिया था. और उन्होंने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया.

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