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बैज़बॉल को चित करने वाले मिचल स्टार्क, ऐसे बने थे 2015 वर्ल्ड कप के महारथी!

Trent Boult ने भी लिए थे 22 विकेट, फिर इस ऑस्ट्रेलियाई पेसर को MVP क्यों चुना गया?

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मैक्कलम का यॉर्कर, चित न्यूज़ीलैंड के बैज़ (तस्वीर - गेटी)

2015 ODI World Cup का फ़ाइनल. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड. मेज़बान ऑस्ट्रेलिया के सामने पड़ोसी मुल्क न्यूज़ीलैंड के 11 खिलाड़ी अपना पहला वर्ल्ड कप जीतने उतरे थे. सामने वो देश, जो चार बार ये ख़िताब जीत चुका था. अब पंजा पूरा करना चाहता था. कीवी टीम ने टॉस जीता, और पहले बैटिंग करने का फैसला लिया. मार्टिन गप्टिल के साथ ओपनिंग करने आए कप्तान ब्रेंडन मैक्कलम.

वो प्लेयर, जिसने बैज़बॉल का ईजाद किया. मैक्कलम का फॉर्मूला सिंपल था. बॉलर कोई भी हो, अटैक करो. और इस अप्रोच से मैक्कलम ने 2015 वर्ल्ड कप में खूब नाम कमाया. उन्होंने यहां 188.5 के स्ट्राइक रेट से रन्स बनाए. मैक्कलम टीम के लिए खेल रहे थे. नौ पारियों में चार पचासे, एक भी शतक नहीं. फ़ाइनल की तैयारियां ऐसे प्लेयर्स के लिए ही होती हैं.

पहले ओवर की दूसरे बॉल पर मैक्कलम स्ट्राइक पर आ गए. तीसरी बॉल पर वही अप्रोच. ओवरपिच्ड, ऑफ-स्टंप को लगभग छूती हुई बॉल निकली. आमतौर पर एक बल्लेबाज़ अगली बॉल डिफेंड करता है. मैक्कलम उर्फ़ बैज़ अलग धातु से बने हुए हैं. वो शॉट खेलने आगे बढ़े. इस बार बॉल उनकी बॉडी और लेग स्टंप के बीच से गुज़री. 'ओह्ह्ह्ह' की आवाज़ पूरे मैदान में गूंज गई. दो यॉर्कर्स, दोनों स्टंप के बगल से गुज़री, बस लाइन हल्की-सी मिस हुई थी.

अगली बॉल पर मिचल स्टार्क ने फिर वही कोशिश की. इस बार लाइन मिस नहीं हुई. बैट और पैड के बीच तीखा यॉर्कर, और ऑफ-स्टंप नदारद. न्यूजीलैंड को बहुत बड़ा नुकसान हो गया. मैक्कलम उस वक्त कीवीज़ के सिर्फ कप्तान नहीं थे... वो उनके सचिन तेंडुलकर थे, वो उनके माइकल जॉर्डन थे, वो उनके लियोनल मेसी थे. इनकी विफलता के बावजूद टीम जीत सकती थी, पर फ़ैन्स के भरोसे पर जो बट्टा लगा, उसका क्या. एक रन पर एक विकेट. मिचल स्टार्क ने शायद ही ऐसे कोई विकेट सेलिब्रेट किया हो, जैसे मैक्कलम का किया.

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वर्ल्ड कप फ़ाइनल में इस बड़े विकेट के बाद, स्टार्क ने किफायती बॉलिंग का नया आयाम भी सेट किया. आठ ओवर में इस बॉलर ने 2.5 की इकॉनमी से सिर्फ 20 रन खर्च किए. मैक्कलम के बाद ल्यूक रॉन्ची को आउट किया, सो अलग. स्टार्क को प्लेयर ऑफ द मैच तो नहीं, पर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट जरूर चुना गया. क्यों? इस 'वर्ल्ड कप के महारथी' सीरीज़ में हम आपको वही तो बता रहे हैं.

वनडे वर्ल्ड कप 2023 शुरू होने वाला है. भारत में होने वाले इस टूर्नामेंट की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हमने सोचा, क्यों ना बिल्डअप करते हुए आपको अब तक जितने भी वनडे वर्ल्ड कप्स हुए हैं, उनके प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट्स के बारे में बताया जाए. इस कड़ी में पहला नाम था केन विलियमसन. हम ठहरे क्रिस्टोफर नोलन के फैन, इसलिए रिवर्स ऑर्डर में ये सीरीज़ कर रहे हैं. 2019 में केन विलियमसन को क्यों चुना गया था, वो आप यहां पढ़ सकते हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको 2015 के मैन ऑफ द टूर्नामेंट के बारे में बताएंगे. नाम है मिचल स्टार्क.

MVP (मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर), मैन ऑफ द टूर्नामेंट, प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट या मैन ऑफ द सीरीज़ - ये सिर्फ अलग-अलग नाम हैं. ये प्लेयर्स कैसे चुने जाते हैं, इसके बारे में हमने आपको विलियमसन वाली रिपोर्ट में बताया था. वापस लौटते हैं, 2019 वर्ल्ड कप की तरफ.

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# कैसा रहा था वर्ल्ड कप?

- 14 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया का कैंपेन शुरू हुआ. सामने इंग्लैंड थी. स्टार्क ने पांचवें ओवर में मोईन अली का विकेट लिया. इसके बाद विकेट्स गिरते गए और कंगारुओं ने 111 रन से मैच जीता.

- बांग्लादेश के खिलाफ मैच वाशआउट होने के बाद ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड से टकराई. ऑकलैंड में मैच. न्यूज़ीलैंड का घर. टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट ने आग के गोले बरसाए. कंगारू 151 पर ढेर हो गए! मेज़बान देश के लिए आसान जीत? होनी चाहिए थी, पर हुई नहीं. मिचल स्टार्क ने नौ ओवर बॉलिंग की. 28 रन दिए और छह विकेट लिए. न्यूज़ीलैंड एक विकेट से जीत तो गया, लेकिन ये क्या ही मैच था. हाईलाइट्स चिपका रहे हैं, देख लीजिए. ऐसी सीम बॉलिंग कम ही देखने को मिलती है.

- अफ़ग़ानिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ दो-दो विकेट और स्कॉटलैंड के खिलाफ चार. स्टार्क लगातार माइकल क्लार्क को ओपनिंग ब्रेकथ्रू दिला रहे थे.

- क्वॉर्टरफ़ाइनल में पाकिस्तान को हराना था. स्टार्क ने फिर अपनी टीम के लिए पहला विकेट झटका. आगे चलकर सेट वहाब रियाज़ को भी आउट किया, जो पाकिस्तान की टेल को बचा रहे थे.

- सेमीफाइनल में इंडिया जैसा चैलेंज. उमेश यादव के चार विकेट के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया ने 328 रन बना दिए थे. ये स्कोर चेज़ किया जा सकता था. पर अगर आपका स्ट्राइक बॉलर 3.16 की इकनॉमी से नौ ओवर बॉलिंग करे, चेज़ मुश्किल हो जाता है. भारत 233 पर ऑलआउट, और ऑस्ट्रेलिया सिडनी से मेलबर्न पहुंच गई.

- फाइनल में क्या हुआ, ये हमने आपको पहले ही बताया. 183 पर न्यूज़ीलैंड की पारी ख़त्म हो गई, माइकल क्लार्क की टीम ने इसे आसानी ने चेज़ कर लिया. कई फ़ैन्स का मानना है कि इस मैच का रिजल्ट पांचवी बॉल पर ही तय हो गया था. न्यू साउथ वेल्स के इस लड़के ने सिर्फ 2.5 रन की इकनॉमी से बॉलिंग की और दो विकेट झटके. कई बार टेस्ट क्रिकेट में बॉलर्स इससे महंगे साबित होते हैं. और स्टार्क ये सब वनडे वर्ल्ड कप में कर रहे थे.

पूरे वर्ल्ड कप के आंकड़े - 8 मैच, 63.5 ओवर, 224 रन, 22 विकेट, 3.5 की इकनॉमी. ये उस बॉलर के फिगर्स हैं, जो अपनी टीम के लिए पहले और आखिरी पावरप्ले में बॉलिंग कर रहा था. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़ मिली हार को छोड़कर माइकल क्लार्क ने हर मैच का पहला ओवर स्टार्क को दिया. जिस तरह से बॉल लहरती हुई निकलती थी, पहले ओवर से ही विरोधी बल्लेबाज़ प्रेशर में आ जाते थे.

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स्टार्क और ट्रेंट बोल्ट, दोनों ने 22 विकेट लिए थे, पर स्टार्क का इम्पैक्ट किसी भी दूसरे प्लेयर से कहीं ज्यादा था. मार्टिन गप्टिल के 547 रन भी लाज़वाब थे, पर चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ वो एक बार भी नहीं चले. स्टार्क ने एक नहीं, कई बार अपनी एबिलिटी का सबूत दिया है.

ऑस्ट्रेलिया की इस जीत को आठ साल बीत चुके हैं, स्टार्क आज भी वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे क़ाबिल लेफ्ट आर्म पेसर्स में से एक हैं. उनकी यॉर्कर्स को खेलना, आज भी उतना ही मुश्किल है, और अब तो उनके हथियारों की लिस्ट में स्लोअर यॉर्कर भी आ गई है. ICC टूर्नामेंट्स में अपना लोहा मनवाने वाले स्टार्क एक बार फिर तैयार होंगे.

ये थी 2015 वर्ल्ड कप की कहानी, जिसमें मिचल स्टार्क ने एक अहम भूमिका निभाई थी. इस सीरीज़ की तीसरी रिपोर्ट युवराज सिंह पर होगी. 2011 का वो हीरो, जिसने कैंसर से लड़ते हुए भारत और सचिन तेंडुलकर का सपना पूरा किया.

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