'ला रोहा'. स्पेनिश भाषा के शब्द हैं. स्पेन की फुटबॉल टीम खुद को 'ला रोहा' कहती है. अंग्रेजी में इन शब्दों का मतलब है- 'द रेड वन'. मतलब, लाल जर्सी पहनकर उतरी टीम. बात रंग की हो रही है तो लाल रंग जज़्बे और जुनून का प्रतीक है. जज़्बा और जुनून, ये महज शब्द नहीं हैं. जीवन जीने के तरीके हैं और खेल खेलने के भी. 9 जुलाई को जर्मनी के म्यूनिख फुटबॉल एरेना में 'ला रोहा' के खिलाड़ी इसी स्पिरिट के साथ उतरे और फ्रांस (Spain vs France) को हराकर Euro 2024 के फाइनल में पहुंच गए.
16 साल के लड़के का पराक्रम, इतिहास और धराशाई महारथी... स्पेन-फ्रांस मैच की पूरी कहानी
Spain vs France Euro 2024: यूरो 2024 में 9 जुलाई को स्पेन और फ्रांस के बीच सेमीफाइनल मुकाबला हुआ. स्पेन की टीम शुरुआती मिनट्स में पिछड़ गई थी. लेकिन फिर शुरू हुई राख से उठ खड़े होने की कहानी. स्पेन की टीम ने वही किया, जो वो इस पूरे टूर्नामेंट में करती आ रही थी.
इस यूरो में स्पेन की टीम अलग ही रंग में नजर आ रही है. उसने अभी तक खेले गए अपने सभी छह मैच जीते हैं. स्पेन की टीम ने फुटबॉल की पावर हाउस कही जानी वाली टीम्स को हराया है. क्रोएशिया, इटली, जर्मनी और फ्रांस. हर मैच के साथ टीम पहले से बेहतर नजर आ रही है. 9 जुलाई को हुए सेमीफाइनल मुकाबले के शुरुआती आठ मिनट में टीम फ्रांस के सामने पिछड़ गई थी. किलियन एमबाप्पे के क्रॉस पर कोलो मुआनी ने एक पिक्चर परफेक्ट हेडर मारा और गेंद स्पेनिश गोलपोस्ट के अंदर थी. गोलकीपर उनई सिमन को कोई हरकत करने का भी मौका नहीं मिला.
लेकिन फिर शुरू हुई कहानी राख से उठ खड़े होने की. ऐसा लगा कि मैदान पर मैच नहीं खेला गया, बल्कि एक महाकाव्य रचा गया. लिखने वाले लिख रहे हैं कि शायद ऐसे ही नए साम्राज्यों का उदय होता है. विजेता पुराने सम्राज्यों के खंडहरों पर नई इमारतें खड़ी करते हैं. नए विचारों और नजरियों के साथ. नए साम्राज्य अपने तर्क गढ़ते हैं और इन तर्कों को अजेय बना देते हैं. इस टूर्नामेंट में स्पेन की टीम ने कुछ यही किया है. जब बड़ी-बड़ी टीम्स की ख्यातिप्राप्त अटैकिंग टेकनीक्स या तो फेल हो गईं या फिर उनकी धार फीकी पड़ गई, तब स्पेन ने वो कर दिखाया जिसका इंतजार फुटबॉल फ़ैन्स कर रहे थे.
जैसा कि हमने बताया, शुरुआती आठ मिनट में स्पेन की टीम पिछड़ चुकी थी. फिर एक 16 साल का लड़का गेम में आया. नाम लमीन यमाल. इस लड़के ने इस पूरे टूर्नामेंट में जबरदस्त खेल दिखाया था. उसके सामने बड़े-बड़े डिफेंडर्स सांसे भर रहे थे. बेजोड़ खेल का प्रदर्शन करने के बाद भी इस लड़के के खाते में अभी तक कोई गोल नहीं आया था. सेमीफाइनल मुकाबले से ठीक पहले फ्रांस के एक स्टार ने इस लड़के पर तंज कसा था. लड़के ने भी तय कर लिया था कि वो मैदान में ही चेकमेट बोलेगा. और उसने ऐसा किया भी. मैच के 21वें मिनट में एक कलात्मक गोल. पहले बाएं, फिर दाएं और फिर बाएं... एक सधा हुआ पुश और गेंद किसी लूप में यात्रा करती हुई फ्रांस के गोलपोस्ट के टॉप कॉर्नर में समा गई.
इस गोल को एक सुंदर कविता की संज्ञा दी जा सकती है. लमीन यमाल ने 25 यार्ड की दूरी से इस 'आर्टिस्टिक पीस' को क्रिएट किया. यह ना केवल उनकी अपनी जीत थी, बल्कि उस स्पोर्टिंग सिस्टम की भी, जो लमीन यमाल जैसे टैलेंट्स को प्रोड्यूस करता है, आगे बढ़ाता है और उनका जश्न मनाता है.
लमीन यमाल के इस गोल को चार मिनट ही बीते थे. स्पेनिश समर्थक अभी भी तालियां बजा रहे थे. ठीक इसी बीच टीम के अटैकिंग मिडफील्डर डैनी ओल्मो ने एक और गोल मार दिया. गोल्डन बूट की रेस में सबसे आगे डैनी ओल्मो का गोल निर्णायक साबित हुआ. फ्रांस की टीम वापसी नहीं कर पाई. बीच में वापसी के कुछ मौके बने, लेकिन स्पेनिश डिफेंस ने उन्हें मौका ही रहने दिया. वो अपनी अंतिम परिणति तक नहीं पहुंच पाए. इस बीच सवाल यही कि आखिर स्पेन ने पिछड़ने के बाद ये सब किया कैसे?
दरअसल, इस बार स्पेन की टीम एक ऐसी टीम है जो विश्वास से भरी हुई है. स्पेनिश फुटबॉलर्स को फील्ड पर देखेंगे तो लगेगा कि वो किसी उद्देश्य के साथ खेल रहे हैं. एक ऐसा उद्देश्य जो उनसे बड़ा है. इस टीम के खिलाड़ी अपनी ड्यूटी जानते हैं और दूसरों की भी. इस मैच में सेंटर बैक नॉरमैंड उपलब्ध नहीं थे, तो उनकी जगह ली नाचो ने. पूरे मैच में वो छाए रहे और फ्रांस के फुटबॉलर्स को छकाए रहे. पेड्री को पिछले मैच में चोट लगी थी, तो उनकी जगह ली थी ओल्मो ने. इस मैच में भी ओल्मो ने वहीं से शुरू किया.
दरअसल, पहला गोल करने के बाद फ्रांस को लगा था कि उनका डिफेंस अब स्पेन को रोक लेगा. वो आराम फरमाने लगे थे. प्लान यही था कि गेंद एक दूसरे को पास करते रहेंगे और अगर बीच में कोई मौका बना तो उसे भुनाने की कोशिश करेंगे. लेकिन यहीं पर स्पेन ने चुनौती स्वीकर ली. कोलो मुआनी के गोल के 13 मिनट बाद गेंद ओल्मो के पास थी. ओल्मो से मोराटा के पास गई और फिर वहां से यमाल के पास. यमाल ने गोल कर दिया. चार मिनट बाद दाईं तरफ से नवास का क्रॉस आया. ओल्मो ने उसे नेट में पहुंचाने की कोशिश की. इस कोशिश को पहले प्रयास में विफल कर दिया गया. लेकिन गेंद वापस ओल्मो के पास आई. ओल्मो ने इस बार किक जमाई तो वो गेंद कुंडे के पैर को छूते हुए गोल पोस्ट में समा गई.
अचानक से फ्रांस का प्लान धरा का धरा रह गया. अब उनके फुटबॉलर्स बॉल पर क़ब्ज़े के लिए लड़ने लगे और इस लड़ाई में पहला हाफ निकल गया. दूसरे हाफ में फ्रांस ने कई मौके बनाए. हालांकि, इस बीच स्पेन ने भी फ्रांस के लिए खतरे पैदा किए. एक मौके पर फ्रांस के गोलकीपर माइक मेन्यों को गोलपोस्ट छोड़कर बहुत आगे आना पड़ा, ताकि वो धधकती हुई आग की तरह बढ़ रहे स्पेनिश लेफ्ट विंगर निको विलियम्स को रोक पाएं.
फ्रांस ने हमले तेज किए. सब्स्टीट्यूट के तौर पर ग्रीजमन और जिरू को बुलाया. इधर, एमबाप्पे ने खुलकर खेलने की कोशिश की. लेकिन स्पेनिश डिफेंडर, खासकर नाचो और रोड्री इन सभी को रोकते रहे. एमबाप्पे और हर्नांडेज के शॉट्स गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गए. और इन्हीं के साथ फ्रांस की वापसी की उम्मीदें भी खत्म हो गईं.
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अभी तक इस टूर्नामेंट में दो खास चीजें हुई हैं. एक तो इस बार ओन-गोल्स की संख्या ज्यादा है और दूसरा ये कि लास्ट मिनट गोल भी बहुत हुए हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे फ्रांस भी लास्ट मिनट गोल कर देगा और मैच एक्स्ट्रा टाइम में जाएगा. निर्धारित नब्बे मिनट खत्म होने के बाद पांच मिनट का स्टॉपेज टाइम मिला था. ऐसे में इन कयासों को बल मिल गया था. हालांकि, स्पेन के डिफेंडर और मिडफील्डर्स ने ऐसा होने नहीं दिया.
स्पेन की टीम फाइनल में पहुंच गई है. आज यानी 10 जुलाई को दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला होना है. इंग्लैंड और नेदरलैंड्स के बीच. फिलहाल इन दोनों टीम्स को चिंता करने की जरूरत है. चिंता इसलिए क्योंकि चाहे इनमें से कोई भी टीम फाइनल में पहुंचे, उनके सामने होगी स्पेन की टीम. वो स्पेन की टीम जो बॉल को अपने पास से कहीं जाने नहीं दे रही है और विपक्षी टीम के सामने उसे फील्ड पर जहां भी थोड़ी सी जगह दिख रही है, वो उसका पूरा फायदा उठा रही है.
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