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'लोग मेरे खेल से ज़्यादा मेरे बाल, मेरे कपड़े देख रहे थे'... भारत की महिला चेस खिलाड़ी ने और क्या आरोप लगाए?

18 साल की दिव्या नागपुर की रहने वाली हैं. पिछले साल उन्होंने एशियन विमेन चेस चैंपियनशिप जीता था. हाल ही में उन्होंने नीदरलैंड में आयोजित टाटा स्टील मास्टर्स में हिस्सा लिया था. पढ़िए उनका वहां का खराब अनुभव.

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दिव्या का सोशल मीडिया पोस्ट(बाएं) और दिव्या देशमुख(दाएं) (फोटो: लल्लनटॉप)

भारतीय चेस खिलाड़ी दिव्या देशमुख (Indian Chess Player Divya Deshmukh) ने दर्शकों पर लिंगभेदी होने का आरोप लगाया है. इसे लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट भी लिखा है. उनका ये पोस्ट नीदरलैंड में टाटा स्टील मास्टर्स के आयोजन के बाद आया है. आरोप है कि दर्शक उनके खेल से ज्यादा उनके कपड़ों और बालों पर गौर कर रहे थे.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 साल की दिव्या नागपुर की रहने वाली हैं. पिछले साल उन्होंने एशियन विमेन चेस चैंपियनशिप जीता था. हाल ही में उन्होंने नीदरलैंड के विज्क आन जी में आयोजित टाटा स्टील मास्टर्स में हिस्सा लिया. इसमें वो 4.5 के स्कोर के साथ 12वें स्थान पर रहीं. इस प्रतियोगिता को लेकर उन्होंने अपना अनुभव साझा किया है. अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर उन्होंने बताया,

'मैं काफी दिनों से ये कहना चाह रही थी. लेकिन, मैं टूर्नामेंट के खत्म होने का इंतजार कर रही थी. मुझे बताया गया और खुद भी मुझे लगा कि कैसे चेस में दर्शक महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं.'

उन्होंने आगे बताया,

'इस टूर्नामेंट में मैंने खुद ये महसूस किया है. मैंने कई मैच खेले और कुछ खुद मुझे काफी अच्छे लगे और मुझे उन पर गर्व है. मुझे लोगों ने बताया कि दर्शक मेरे गेम से ज्यादा बाकी दुनियाभर की चीजों पर ध्यान दे रहे थे, जैसे मेरे बाल, मेरे कपड़े, मेरा बोलने का लहजा और बाकी बेकार की चीजें'.

उन्होंने बताया कि जहां एक तरफ पुरुष खिलाड़ी अपने खेल को लेकर स्पॉटलाइट में थे, वहीं महिला खिलाड़ियों को उन चीजों को लेकर जज किया जा रहा था जिनका खेल से कुछ लेना-देना ही नहीं था.

उन्होंने बताया,

'मेरे इंटरव्यू में जिस तरह से खेल को छोड़कर बाकी की चीजें डिस्कस की जाती हैं उन्हें लेकर मुझे निराशा हुई है. कुछ ही लोगों ने इस पर ध्यान दिया है और ये बहुत दुखद है. खेल के लिए महिला और पुरुष के पे स्केल पर थोड़ी बेहतरी देखने के लिए मिली है, लेकिन लिंगभेदी व्यवहार ज्यादा बड़ा सवाल है. '

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उन्होंने अपने पोस्ट के आखिर में बताया कि उन्हें बीते सालों में अपने खेल के लिए कितनी नफरत मिली है लेकिन उनके लिए ये बिल्कुल मायने नहीं रखती है. लोगों को महिला खिलाड़ियों का भी बराबर सम्मान करना चाहिए.

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