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क्या है पिच पर मौजूद 'डेंजर एरिया' जिसमें घुसने पर आमिर-वहाब को मिली थी वॉर्निंग?

शाहिद अफ्रीदी पर लगा था एक टेस्ट और दो वन-डे मैचों का बैन.

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भारत और पाकिस्तान की टीमें. फाइल फोटो
क्रिकेट में बहुत कुछ ऐसा होता है जो कि होता तो है मगर दिखता नहीं. और ऐसी बातें सुनते ही याद आता है डकवर्थ-लुइस सिस्टम जिसके बारे में शेहन करुणातिलक ने अपनी किताब चायनामैन में लिखा था कि इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जिन्हें डकवर्थ-लुइस सिस्टम समझ में नहीं आता है और दूसरे वो जो इसे समझ सकने का ढोंग करते हैं. खैर, यहां हम उसकी बात नहीं करेंगे. हम बात करेंगे उस एक अनोखी और न देखी जा सकने वाली चीज़ की जिसके कारण इंडिया और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच में मोहम्मद आमिर और वहाब रियाज़ को वॉर्निंग मिली. आमिर के साथ तो ऐसा हो गया था कि अगर उन्हें एक वॉर्निंग और मिलती तो उन्हें मैच में उसके बाद बॉलिंग करने से बैन कर दिया जाता. ये चीज़ है डेंजर एरिया. यानी ख़तरे वाली ज़मीन. कैसे ख़तरा? बॉलर या बैट्समेन के जूतों से ख़तरा. क्या है ये ख़तरा? क्यों है ये ख़तरा? और कैसे होता है ख़तरा, सब समझाते हैं.
22 गज. ये टर्म क्रिकेट के साथ ऐसे जुड़ा है जैसे भाजपा के साथ राम मंदिर का मुद्दा. चोली-दामन जैसा कॉम्बो. (सेक्सिज्म अलर्ट!) और वो डेंजर एरिया इसी 22 गज में कहीं होता है. पूरे भर में नहीं फैला होता. जैसे, 'ऊंच-नीच' या फिर 'बरफ़-पानी' खेलते हुए आपको 'चोर' बनने से बचने के लिए 'नीच' या 'पानी' पर ही रहना होता है, वैसे ही अम्पायर की वॉर्निंग से बचने के लिए आपको डेंजर ज़ोन से बाहर होना होता है. डेंजर ज़ोन असल में पिच के बीचों-बीच एक अदृश्य चौखटा होता है जिसमें दौड़ने की आपको मनाही होती है. क्यूंकि ये वो जगह होती है जहां बॉल लैंड होती है और आपके पैरों के निशान से टूटी या खुरदुरी हुई पिच से बॉलर को फ़ायदा मिल सकता है.
आपको अगर ध्यान हो तो शेन वॉर्न की बॉलिंग याद करिए. बल्लेबाज़ के पैरों के पास खुरदुरी हो चुकी पिच पर उसकी गेंद पड़ती थी और ऐसे टर्न लेती थी जैसे कोई नेता अपने वादों से लेता है. इन्हें रफ़ पैचेज़ कहते हैं. टेस्ट मैचों में तीसरे दिन के बाद पेस बॉलर्स के पैरों से बने निशानों में गेंद को टप्पा खिलाने का जो मज़ा स्पिनर्स को आता है, उसकी फीलिंग सिर्फ़ और सिर्फ़ वो ही बता सकते हैं. ऐसे में अपने बॉलर को फ़ायदा दिलाने के लिए पहले बैटिंग करते हुए बैट्समेन भी पिच के बीच से दौड़ जाते हैं. बॉलर्स भी ऐसा करते हैं जिससे आने वाले स्पिनर को फ़ायदा मिल सके. हां, कई बार ये काम गलती से भी हो जाता है लेकिन नियम तो नियम है. वो 'जान-बूझ कर' और 'गलती से' के बीच का फ़र्क नहीं समझता. आप बिजली के सॉकेट में उंगली जान-बूझ कर डालें या गलती से, झटका तो लगेगा हो लगेगा. और ऐसे में ही मिलती है अम्पायर से वॉर्निंग.

एक किस्सा सुनाता हूं. साल 2005. पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक मैच खेला जा रहा था. टेस्ट मैच. पाकिस्तान और इंग्लैण्ड के बीच. मैच का दूसरा दिन ख़तम होने को था. घंटा-सवा घंटा ही बाक़ी था कि स्टेडियम के एक कोने से धमाके की आवाज़ आई. स्टेडियम में सन्नाटा छा गया. हर किसी को लगा कि बम फटा है. डीप कवर बाउंड्री पर ड्रिंक्स मशीन फटकर बाहर आ पड़ी थी. खेल पूरी तरह से रुक चुका था और खिलाड़ी एक जगह इकट्ठे हो चुके थे. उन्हें नहीं मालूम था कि ऐसे में करना क्या था. उन्हें पवेलियन की ओर जाना था या वहीं मैदान के बीच में रहना था.
मिनट-दो मिनट में मामला समझ में आया. मालूम पड़ा कि मैदान के उस कोने में एक गैस सिलिंडर फट गया था. ये उसी का धमाका था. मैच कुछ देर के लिए रोकने का फ़ैसला लिया गया. खिलाड़ी वापस जाने लगे. इतने में शाहिद अफ्रीदी अपने कप्तान यूनिस खान के पास पहुंचे और पूछा, "लाला, घूम जाऊं?" शाहिद अफ्रीदी पिच की ओर इशारा कर रहे थे. यूनिस ने धीरे से कहा, "घूम जा लाला." शाहिद अफ्रीदी गए और पिच के एक छोर पर जाकर ऐसी एक्टिंग की मानो बॉलिंग कर रहे हों और अपने जूतों में निकली कीलें पिच में धंसा कर घूम गए. ये क्रिकेट में आई टेक्नोलॉजिकल क्रान्ति का दौर था. अफ्रीदी को ये मालूम भी नहीं था कि एक टीवी कैमरा अभी भी रोलिंग था और सीधा पिच को ही देख रहा था. उनका किया-धरा सब कुछ कैमरे में कैद ही नहीं हुआ बल्कि लाइव टीवी पर दिखाया गया. इसके तुरंत बाद ही कमेंट्री बॉक्स में बैठे भद्रजनों ने इसके बारे में बात करनी शुरू की. दिन का खेल ख़त्म होने के बाद मैच रेफ़री ने अफ्रीदी को तलब किया और उनपर एक टेस्ट मैच और 2 वन-डे मैचों का बैन लगा.

शाहिद अफ्रीदी जिस जगह पर घूमे थे, डेंजर ज़ोन में था. वो पिच के किनारे जाकर ऐसा करते तो उन्हें कुछ भी नहीं होता. अब आपको शायद इस डेंजर एरिया की अहमियत के बारे में मालूम पड़ होगा. सभी कामों के साथ-साथ, इसे मेंटेन रखना भी अम्पायरों के काम में शामिल होता है. और जब भी उन्हें कोई भी खिलाड़ी इस एरिया में एंटर करता हुआ दिखाई देता है, वो उसे बाकायदे वार्निंग से नवाजते हैं.
टेक्निकली देखें तो दोनों तरफ़ की पॉपिंग क्रीज़ के 5 फुट आगे से पिच के बीचों बीच 2 फुट चौड़े चौखटे को डेंजर एरिया कहते हैं. इसके लिए बहुत ही महीन मार्किंग भी होती हैं जिनपर हर वक़्त अम्पायर की ख़ास नज़र होती है.
लाल चौखटा डेंजर ज़ोन है जो कि सिर्फ़ टीवी पर दिखाया जाता है. अम्पायर तुक्के से देखता है. उसकी मदद के लिए मार्किंग की जाती है जिसका निशान लाल घेरे में दिखाया गया है.
लाल चौखटा डेंजर ज़ोन है जो कि सिर्फ़ टीवी पर दिखाया जाता है. अम्पायर तुक्के से देखता है. उसकी मदद के लिए मार्किंग की जाती है जिसका निशान लाल घेरे में दिखाया गया है.