केएल राहुल. हाल ही में बांग्लादेश में टेस्ट सीरीज़ जीती भारतीय टीम के कप्तान. राहुल की कप्तानी में भारत ने बांग्लादेश को क्लीन-स्वीप किया. जी हां, इतिहास ऐसा ही तो लिखा जाता है. आगे जब भी इस सीरीज़ की बात होगी तो लोग यही कहेंगे कि हमने राहुल की कप्तानी में बांग्लादेश को उसी के घर में क्लीन-स्वीप किया.
केएल राहुल को बाहर क्यों नहीं कर रही है BCCI?
राहुल के आंकड़े क्या कहते हैं?
लेकिन इस क्लीन-स्वीप के बाद भी केएल राहुल पर कई सवाल हैं. और ये सवाल ना सिर्फ उनकी कप्तानी पर हैं, बल्कि उनकी बैटिंग भी सवालों के घेरे में है. ख़बरें तो यहां तक हैं कि उन्हें श्रीलंका के खिलाफ़ अगले हफ्ते शुरू हो रही T20I सीरीज़ से ड्रॉप कर दिया जाएगा. और हम आंकड़ों के जरिए देखेंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है.
# KL Rahul Testक्रिकेट की दुनिया में मुख्यतः दो तरह के प्लेयर्स को कप्तान बनाया जाता है. पहले वो, जिनका प्रदर्शन बहुत कमाल रहता है. और दूसरे वो, जिनकी लीडरशिप क्वॉलिटी नेक्स्ट लेवल हो. कुछ उदाहरणों के जरिए बात की जाए तो पहली श्रेणी में विराट कोहली और रिकी पॉन्टिंग जैसे नाम आते हैं. जबकि दूसरी कैटेगरी में माइक ब्रेयरली और कुछ हद तक ऑयन मॉर्गन जैसे लोग आते हैं.
इनके अलावा एक और कैटेगरी है. कैटेगरी उन प्लेयर्स की, जो टीम में सिर्फ इसलिए होते हैं क्योंकि वो कप्तान होते हैं. हमारी-आपकी मौज लेने के लिए खेली जाने वाली क्रिकेट में भी ऐसे लोग होंगे ही. लेकिन ये बात कम ही लोग स्वीकारते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है. तेम्बा बवुमा, टिम पेन जैसे प्लेयर्स के बारे में कई बार ऐसा कहा गया कि ये सिर्फ इसलिए टीम में हैं, क्योंकि ये कप्तान हैं.
और अब ऐसा ही केएल राहुल के लिए भी कहा जा रहा है. क्यों कहा जा रहा है, ये आपको पता ही होगा. या हो सकता है कि ना भी पता हो. जरूरी थोड़े है कि सब कोई मेरी तरह क्रिकेट देखते ही हों. हां, तो जिनको नहीं पता वो जान लें कि केएल राहुल ने पिछली 10 टेस्ट पारियों में सिर्फ दो बार 25 का आंकड़ा पार किया है. आखिरी बार वह 3 जनवरी 2022 को टेस्ट क्रिकेट में 25 रन के पार गए थे.
ओवरऑल भी उनके आंकड़े बहुत प्रभावशाली नहीं हैं. राहुल ने 45 टेस्ट मैच में सिर्फ 34 की ऐवरेज से रन बनाए हैं. अफ़ग़ानिस्तान और वेस्ट इंडीज़ को छोड़ दें तो राहुल का टेस्ट ऐवरेज हर देश के खिलाफ़ 40 के अंदर ही है. इसी तरह देश और विदेश में खेले गए टेस्ट मैच के आंकड़े देखें तो राहुल भारत और विंडीज़ को छोड़ हर जगह 40 से कम की ऐवरेज से रन जोड़ते हैं.
राहुल को डेब्यू किए हुए आठ साल हो चुके हैं. और इन आठ सालों में वह सिर्फ तीन बार टेस्ट में 30 या उससे ज्यादा की ऐवरेज से रन जोड़ पाए हैं. यानी टेस्ट में राहुल कभी भी बहुत रिलायबल नहीं रहे. राहुल के लिए पूरे सम्मान के साथ मैं अब ये बात कहना चाहूंगा कि ऐसे ऐवरेज वाले दुनिया में बहुत से प्लेयर्स हैं. और इस ऐवरेज के साथ वह टीम में अंदर बाहर होते ही रहते हैं.
जबकि राहुल के साथ उल्टा है. टीम से बाहर होना तो दूर. वह इस टीम को लीड कर रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में राहुल सीधे तौर पर अनफिट दिखते हैं. उनका ऐवरेज और अप्रोच दोनों ही किसी काम के नहीं हैं. राहुल लगातार फेल हो रहे हैं. 78 पारियों में उनके नाम सिर्फ 20 पचास या उससे ऊपर के स्कोर हैं. वैसे तो ये इतने बुरे नहीं लगते. पता लगता है कि हर चौथी पारी में वह पचास या उससे ऊपर का स्कोर कर रहे हैं.
लेकिन उनका ऐवरेज तो अलग ही कहानी कहता था. इतने मैच खेलने के बाद भी राहुल का ऐवरेज रविंद्र जडेजा और रवि शास्त्री जैसे बोलिंग ऑलराउंडर्स से भी कम है. क्रिकेट के इस फॉर्मेट में तो राहुल अभी तक अपना टैलेंट नहीं ही दिखा पाए हैं. ठीकठाक बोलिंग और थोड़ी टफ पिच आते ही उनका ऐवरेज जमीन में धंस जाता है.
और लीडरशिप क्वॉलिटी में भी वह कुछ बहुत कमाल नहीं कर रहे हैं. पंजाब किंग्स हो या फिर लखनऊ सुपरजाएंट्स, उनकी कप्तानी वाली टीम्स कुछ कमाल नहीं दिखा पाई हैं. लखनऊ ने जरूर डेब्यू में बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन उसका क्रेडिट गौतम गंभीर के खाते में गया. क्यों गया? क्योंकि गंभीर ने अपनी लीडरशिप और टैक्टिकल ब्रिलिएंस ऑलरेडी साबित कर रखी है.
टेस्ट में राहुल का स्ट्रगल पीरियड खत्म ही नहीं हो रहा. और इसके बावजूद हमारा टीम मैनेजमेंट ना सिर्फ उन्हें टीम में बनाए हुए है, बल्कि गाहेबगाहे उन्हें कप्तानी भी सौंप देता है. जबकि इसी टीम में हमारे पास तमाम ऐसे बंदे हैं जिनके पास ना सिर्फ कप्तानी का अनुभव है. बल्कि उनके आंकड़े भी इतने बुरे नहीं हैं. और वो अन्य फॉर्मेट्स में टीम इंडिया की कप्तानी भी कर चुके हैं. लेकिन ऐसे प्लेयर्स क्या ही कर लेंगे?
'होइहि सोइ जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा'
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